शोले के 46 साल पूरे होने पर बोले डैनी डेंजोंगपा- गब्बर के रोल को ठुकराने पर मुझे कोई पछतावा नहीं है
By अनिल शर्मा | Published: August 21, 2021 10:34 AM2021-08-21T10:34:48+5:302021-08-21T11:44:12+5:30
डैनी ने कहा कि यह मेंरी किसी और फिल्म के प्रति प्रतिबद्धता और मेरे सम्मान के वचन के कारण था कि मुझे शोले को छोड़ना पड़ा। डैनी ने कहा, मैंने शोले से पहले फिरोज खान की फिल्म धर्मात्मा को साइन कर चुका था और फिरोज भाई को डेट भी दे चुका था।
मुंबईः भारतीय कल्ट क्लासिक फिल्म शोले ने अपने रिलीज के 46 साल पूरे कर लिए हैं। धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन अभिनीत यह फिल्म साल 1975 में 15 अगस्त के दिन रिलीज हुई थी। फिल्म का निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था जिसमें गब्बर का रोल महान अभिनेता अमजद खान ने निभाया था। इस किरदार ने अजमद खान को विलेन की कतार में सबसे उपर खड़ा कर दिया। जैसे अमजद खान इस किरदार के लिए ही बने थे। लेकिन फिल्म के निर्देशक रमेश सिप्पी की गब्बर के लिए पहली पसंद अमजद खान नहीं बल्कि डैनी डेंजोंगपा थे।
रमेश सिप्पी ने डैनी को इस किरदार का ऑफर दिया लेकिन डैनी ने इसे ठुकरा दिया। फिर ये किरदार अमजद खान को जा मिली और जो हुआ वो सिनेमा का इतिहास में दर्ज है। क्या इस किरदार को ना कहने का डैनी को अब भी मलला है? इस सवाल का जवाब डैनी ने ना में दिया। डैनी ने एक साक्षात्कार में कहा है कि उन्हें 'शोले' में गब्बर सिंह के किरदार के लिए मना करने के अपने फैसले पर कोई मलाल नहीं है।
डैनी ने कहा कि यह मेंरी किसी और फिल्म के प्रति प्रतिबद्धता और मेरे सम्मान के वचन के कारण था कि मुझे शोले को छोड़ना पड़ा। डैनी ने कहा, मैंने शोले से पहले फिरोज खान की फिल्म धर्मात्मा को साइन कर चुका था और फिरोज भाई को डेट भी दे चुका था। उन्होंने कहा, मुझे पता था कि गब्बर का किरदार शानदार है लेकिन मेरी अंतरात्मा ने मुझे सही फैसला लेने के लिए प्रेरित किया। अभिनेता ने कहा कि अगर मैंने शोले की होती तो हम अमजद खान नामक एक अद्भुत अभिनेता के सभी अद्भुत प्रदर्शनों को देखने से चूक जाते।
डैनी ने अपनी बात को विस्तार देते हुए अभिनेता प्राण का हवाला दिया। कहा कि महान अभिनेता प्राण ने भी मनोज कुमार की शोर को ना कह दिया था क्योंकि वह उस समय पहले से ही जंजीर में एक पठान की भूमिका निभा रहे थे। डैनी कहते हैं- “प्राण अंकल खुद को न दोहराने के लिए उत्सुक थे। एक खलनायक के रूप में टाइपकास्ट होने के बाद, उन्होंने दो फिल्मों का निर्माण किया, जो उनके बेटे टोनी सिकंद द्वारा निर्देशित थीं और उन्होंने मुझे उसमें बुरे आदमी की भूमिका दी और खुद दोनों फिल्मों में सकारात्मक किरदार निभाए।
डैनी का कहना है कि वह हमेशा सेलेक्टिव रहे हैं। उन्होंने कहा, मेरे साथ आए मेरे सहयोगियों ने 600-700 फिल्में की हैं। मेरा औसत प्रति वर्ष तीन साल का रहा। शुरू से ही मैंने बहुत सारी फिल्में नहीं करने का फैसला किया था क्योंकि मुझे मुंबई में गर्मियों के दौरान शूटिंग करना बहुत मुश्किल लगता है। मेरे द्वारा किसी भूमिका को ना कहने के कई कारण होते थे।