सलमान खान की जमानत पर सुनवाई पूरी, जमानत पर फैसला 1 घंटे और टला
By पल्लवी कुमारी | Published: April 7, 2018 11:23 AM2018-04-07T11:23:09+5:302018-04-07T11:23:09+5:30
जोधपुर कोर्ट से बाहर आते सलमान खान के वकीलों में जमानत को लेकर दिखा काफी आत्मविश्वास।
जोधपुर, 7 अप्रैल: काला हिरण शिकार मामले में सुपरस्टार सलमान खान की जमानत याचिका पर जोधपुर कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। सलमान की जमानत याचिका पर सुनवाई जज देवेंद्र कुमार जोशी ने ही की है। कोर्ट में 10.30 से सुनवाई शुरू हुई थी और 11 बजे तक सुनवाई पूरी हो गई थी। फैसला लंच के बाद 2 बजे तक आएगा। लेकिन बाद में यह समय बढ़ा कर तीन बजे कर दिया गया है। सलमान के वकील में काफी आत्मविश्वास दिख रहा है कि सलमान को बेल मिल जाएगी। सरकारी वकील बार-बार सलमान की बेल ना होने पर कोर्ट में जोर दे रहे थे। सलमान खान की बहन पिछले चार दिनों से जोधपुर में ही है। आज भी बहन अलवीरा कोर्ट में जाने से पहले मंदिर गईं थी। कोर्ट में भी वह सुनवाई के वक्त मौजूद रही हैं।
Verdict will be pronounced post lunch, we have concluded our arguments: Hastimal Saraswat, #SalmanKhan's lawyer #BlackBuckPaochingCasepic.twitter.com/l6wJrGPf4f
— ANI (@ANI) April 7, 2018
गौरतलब है कि अक्टूबर 1998 में दो काले हिरणों का शिकार करने के मामले में जोधपुर की एक अदालत ने गुरुवार 5 अप्रैल को सलमान खान को पांच साल की सजा सुनाई थी। अदालत ने सलमान पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
No mobile phones or selfies are allowed, no outside food is coming inside, jail authorities are serving him food: Jodhpur Jail official on #SalmanKhan#BlackBuckPaochingCasepic.twitter.com/rzHF89mfDa
— ANI (@ANI) April 7, 2018
6 अप्रैल को सलमान की जमानत याचिक पर सुनवाई करते हुए जोधपुर सेशन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। बीती रात भी सलमान खान को जोधपुर सेंट्रल जेल में ही बिताना पड़ा। 6 अप्रैल को कोर्ट में सुनवाई के वक्त सलमान की बहन अलवीरा और बॉडीगार्ड शैरा भी मौजूद रहे। सलमान के वकील तमाम दलीलों को देने के बाद भी सलमान का बेल लेने में नाकाम रहे थे।
कोर्ट ने कल 6 अप्रैल को बिश्नोई समाज के वकील महिपाल बिश्नोई की दलील को स्वीकार कर सलमान की जमानता याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। महिपाल बिश्नोई ने 6 अप्रैल को कोर्ट में दलील रखी कि चूंकि सलमान को तीन साल से ज्यादा की सजा हुई है तो इसलिए कोर्ट को बेल देने के पहले सीजेएम कोर्ट के रिकॉर्ड देखना चाहिए। जज ने बिश्नोई समाज के वकील की इस दलील को स्वीकार कर लिया। महिपाल बिश्नोई के मुताबिक यह मामला 1998 से चल रहा है, ऐसे में बिना सीजेएम कोर्ट का रिकॉर्ड देखे बिना बेल नहीं दी जा सकती। यह मामला काफी गंभीर है। इसलिए हर पहलू पर गौर करना चाहिए।