इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत के आदेश की अनदेखी के लिए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख प्रसून जोशी को नोटिस भेजा है। ये नोटिस मंगलवार (16 जनवरी) को भेजा गया है। कामता प्रसाद ने 9 नवंबर 2017 को हाईकोर्ट में फिल्म 'पद्मावत' (पहले पद्मावती) को लेकर एक जनहित याचिका दायरा किया था। इस पीआईएल में फिल्म को सती प्रथा को बढ़ावा देने वाला बताया गया था।
हाईकोर्ट ने 9 नवंबर को ही ये कहते हुए पीआईएल को खारिज कर दिया था कि सिनेमैटोग्राफ सर्टिफिकेशन रूल्स 1983 के नियम-32 के तहत पिटीशनर को अपनी बात सेंसर बोर्ड के चेयरमैन के सामने रखनी चाहिए। कोर्ट ने इसके लिए 3 हफ्ते का वक्त दिया था। 13 नवंबर 2017 को पिटीशनर अपनी बात लेकर सेंसर बोर्ड के पास गया लेकिन बोर्ड ने तीन हफ्ते में कोई फैसला नहीं लिया। जिसके बाद पिटीशनर ने वापस हाईकोर्ट का रुख किया।
जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रसून जोशी को नोटिस भेजा है। 12 फरवरी को केस की अगली सुनवाई होगी।
फिल्म 'पद्मावत' (पहले पद्मावती) को सेंसर बोर्ड ने A/U सर्टिफिकेट दिया है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म को 25 जनवरी को रिलीज करने का ग्रीन सिग्नल दे दिया था। इसके बाद फिर से विवाद बढ़ने लगा। फिल्म को कई राज्यों में बैन किया जा चुका है। फिल्म पद्मावत का नाम पहले ही बदल चुका है, लेकिन विरोध कर रही करणी सेना इस कदम से राजी नहीं है। वह लगातार फिल्म रिलीज ना होने देने की बात कह रही है।
फिल्म को हरियाणा के अलावा राज्स्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात में बैन किया जा चुका है। इस फिल्म में दीपिका पादुकोण पद्मावत (पहले पद्मावती) फिल्म का मुख्य केंद्र है। वहीं शाहिद कूपर और रणवीर सिंह लीड रोल निभा रहे हैं। संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित फिल्म 'पद्मावत' 25 जनवरी को बड़े पर्दे पर रिलीज होगी।