2 घंटे में 200 से ज्यादा बार मापा गया सनी लियोनी का जिस्म!
By आदित्य द्विवेदी | Updated: January 19, 2018 16:45 IST2018-01-19T16:08:13+5:302018-01-19T16:45:21+5:30
पोर्न से बॉलीवुड इंडस्ट्री में आई एक्ट्रेस सनी लियोनी की अब दिल्ली के मैडम तुषाद म्यूजियम में एंट्री। कैसे बनता है मोम का पुतला?

2 घंटे में 200 से ज्यादा बार मापा गया सनी लियोनी का जिस्म!
बॉलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोनी का एक ट्वीट पढ़िए...
खुद को दिल्ली के मैडम तुषाद म्यूजियम में देखने के लिए बहुत उत्साहित हूं। आंखों का सटीक रंग पाने की पूरी कोशिश की जा रही है... कितना शानदार प्रॉसेस है!
इस ट्वीट को पढ़कर आपको इस खबर का मजमून समझ आ गया होगा! खबर ये है कि पोर्न इंडस्ट्री से बॉलीवुड फिल्मों में आने वाली एक्ट्रेस सनी लियोनी अब मैडम तुषाद में भी एंट्री मारेंगी। इसी के साथ वो माधुरी दीक्षित, कैटरीना कैफ, करीना कपूर खान, सलमान खान जैसे सितारों की कतार में शामिल हो जाएंगी, जिनके मोम के पुतले पहले ही मैडम तुषाद में लगाए जा चुके हैं। इस मोम के पुतले के लिए सनी लियोनी के जिस्म की 2 घंटे में 200 से ज्यादा बार माप ली गई। ऐसा क्यों? पूरी खबर पढ़िए।
मोम के इस पुतले को बनाने की प्रॉसेस को लेकर सनी लियोनी बेहद उत्साहित हैं। दिल्ली स्थित मैडम तुषाद म्यूजियम में इस साल के आखिर तक सनी लियोनी का पुतला लग जाएगा। इसी के साथ सनी को बेहद करीब से देखने की फैन्स की तमन्ना भी पूरी हो सकेगी क्योंकि किसी भी मामले में असल से कम नहीं होगा सनी लियोनी के मोम का पुतला।
So excited to see myself at the Delhi @MadameTussauds Trying to find the exact color match of my eyes... such an amazing process!! pic.twitter.com/ksBVi1YEi6
— Sunny Leone (@SunnyLeone) January 18, 2018
मर्लिन एंटरटेनमेंट इंडिया प्राइवेड लिमिटेड के जनरल मैनेजर और निदेशक अंशुल जैन ने कहा, सनी के पुतले की घोषणा करना हमारे लिए भी उत्साहित करने वाला अनुभव है और हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि इसके जरिए उनके लाखों फैन बहुत सारी सेल्फी के साथ कई यादगार लम्हे घर ले जा सकेंगे।
कैसे बनता है मैडम तुषाद में मोम का पुतला
स्टेप-1: सिटिंग
जिस स्टार का पुतला बनाया जाना है सबसे पहले उसकी दो घंटे की सिटिंग होती है। इसमें माप, तस्वीरें, पोशाक, हाथ का कास्ट, बाल के नमूने और हस्ताक्षर लिए जाते हैं। साथ ही यह भी देखा जाता है कि आंखों का रंग मेल खाता है या नहीं। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 250 से ज्यादा सटीक माप ली जाती है। फोटोग्राफर हर सिरे से अलग-अलग लेंस और लाइटिंग का इस्तेमाल करते हुए 180 तस्वीरें लेता है। मैडम तुषाद के अधिकारियों का कहना है कि शरीर के सभी मापों को बेहद गोपनीय रखा जाता है।
स्टेप-2: स्कल्पटिंग
माप लेने के बाद मेटल ट्यूबिंग और वायर का इस्तेमाल करते हुए एक आर्मेचर बनाया जाता है। उसी पर चिकनी मिट्टी से शरीर का रूप दिया जाता है। हर हड्डी, मांसपेशी और तंतु को ठीक उसी तरह से पेश किया जाता है जैसा पोज में था। पुतले के सिर को 2 प्रतिशत अधिक बड़ा बनाया जाता है क्योंकि ठंड की वजह से मोम सिकुड़ती है।
स्टेप 3: मोल्डिंग
एक मूर्ति को मोल्ड करने करने में 170 घंटे लगते हैं। स्कल्पटिंग में तैयार चिकनी मिट्टी को फाइबर ग्लास के सांचे में ढालकर आकार दिया जाता है। चिकनी मिट्टी से बने सिर के 13 टुकड़ों के प्लास्टर का ढांचा बनाया जाता है। वीजवैक्स और जापान वैक्स के मिश्रण से 74 डिग्री सेंटीग्रेट तक गर्म किया जाता है और सांचे में ढाला जाता है।
स्टेप 4: बाल पिरोना
मोम से बने सिर पर बाल डालने के लिए औसतन 140 घंटे लगते हैं जिसमें आंखों की भौंहे भी शामिल हैं। सिटिंग के दौरान जो बाल के नमूने लिए जाते हैं उन्हें बहुत सावधानी से असली मानव के बाल से मिलाया जाता है। बाल पिरोने के बाद उन्हें धोकर स्टाइल किया जाता है।
स्टेप-5: रंग करना
एक बार रंग करने में करीब 56 घंटे का वक्त लगता है। इसमें शरीर और बाल और आंख की भौंहों का रंग भी शामिल है।
स्टेप-6: आंख और दांत बनाना
सिटिंग के दौरान रंगों के लिए किरदार के आंखों का मेल किया जाता है। आंखों को एक-एक करके एक्रोलिक रेसिन से बनाया जाता है और हर बारीक विशेषता को सावधानीपूर्वक गढ़ा जाता है। इसके बाद किरदार के दांतों का एक ढांचा बना लिया जाता है। इस प्रॉसेस में 30 घंटे लगते हैं।
स्टेप-7: पोशाक
बड़ी मशहूर हस्तियां अपने निजी कपड़े दान करते हैं जिन्हें मूर्तियों को पहनाया जाता है। अगर किसी कारण से पोशाक दान में नहीं मिलती तो मैडम तुषाद की वार्डरोब टीम इसे डिजायन करके तैयार करती है।
स्टेप-8: फिनिशिंग
मोम का पुतला बनाने का ये आखिरी स्टेप है। इसमें सिर और आंखों को फाइबर ग्लास से बने शरीर के साथ फिट किया जाता है और तैयार मूर्ति को पोशाक बनाई जाती है। इसके बाद कपड़े पहनाए जाते हैं। प्रदर्शनी में भेजने से पहले उसे फोटोग्राफी स्टूडियो में ले जाया जाता है और प्रोडक्शन स्टाफ उस फिगर को आलोचनात्मक दृष्टि से देखते हैं। इन पुतलों की नियमित रूप से विशेष तरीकों से धुलाई की जाती है।







