यशस्वी यादव का ब्लॉग: दुनिया में सरकार प्रायोजित साइबर हमले का खतरा

By यशस्वी यादव | Published: April 8, 2022 02:52 PM2022-04-08T14:52:33+5:302022-04-08T14:55:02+5:30

आज के दौर में सरकार की ओर से प्रायोजित साइबर हमलों को प्राथमिकता दी जा रही है. एक तो इसकी लागत बहुत कम है और दूसरा इन्हें अंजाम देना भी आसान है. इसके दुर्लभ राजनयिक नतीजे भी मिलते हैं.

Yashasvi Yadav blog: Threat of government-sponsored cyber attacks in the world | यशस्वी यादव का ब्लॉग: दुनिया में सरकार प्रायोजित साइबर हमले का खतरा

दुनिया में सरकार प्रायोजित साइबर हमले का खतरा

‘‘यूक्रेन में रूस की घुसपैठ का मुकाबला करने की हमारी कार्रवाई के कारण रूसी राष्ट्रपति द्वारा हमारे देश के खिलाफ प्रतिशोध के रूप में साइबर हमलों का सहारा लेने की संभावना है.’’ - जो बाइडेन, अमेरिकी राष्ट्रपति

‘‘मार्च 2022 में, रूसी आईपी पते से जुड़े हैकर्स ने 5 अमेरिकी ऊर्जा कंपनियों और 18 अन्य क्षेत्र की अमेरिकी कंपनियों जैसे रक्षा और वित्तीय सेवाओं को स्कैन किया, ताकि विनाशकारी साइबर गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उनकी कमजोरियों को ढूंढ़ सकें.’’- एफबीआई

‘‘हम विश्व हैकर्स के असली चेहरे को दिखाएंगे, आपकी (रूसी) सरकार  के प्रमुख घटकों को हैक किया जाएगा. ड्यूमा, रक्षा मंत्रलय, राज्य नियंत्रित टीवी चैनल और रूसी स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइटों को पहले भी हैक किया जा चुका है.’’ - हैकर समूह, एनॉनिमस

नए जमाने के हाइब्रिड युद्ध की डरावनी दुनिया में साइबर हमले किसी भी सैन्य कार्रवाई के लिए अनिवार्य हैं. सरकार प्रायोजित हैकर समूह विरोधी देशों के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमला करने के लिए बीस्पोक मैलवेयर पर मंथन कर रहे हैं. सरकारों के समर्थन से वे एक संपूर्ण सैन्य अभियान शुरू करने से पहले अपने दुश्मनों को ‘कमजोर’ करने के लिए बिजली संयंत्रों, बैंकिंग प्रणालियों, परमाणु संयंत्रों, विरोधी सरकारों की परिवहन प्रणालियों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर अविश्वसनीय परिष्कार के साथ साइबर हमले  करते हैं.

ऑपरेशन ओलंपिक गेम्स

यह 2010 की शुरुआत थी, इजराइली अधिकारियों और यूएसए के एनएसए अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें थीं. ईरान तेजी से परमाणु आक्रामक क्षमताओं का विकास कर रहा था. उसने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, आईएईए के साथ सहयोग करना बंद कर दिया था और अपने परमाणु ईंधन संवर्धन संयंत्रों को निरीक्षण के लिए बंद कर दिया था.

इजराइल जानता था कि एक परमाणु संपन्न ईरान इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन को झुका देगा और छोटे यहूदी राज्य का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा. मिसाइलों को परिष्कृत करने और ईरान की परमाणु सुविधाओं पर बमबारी करने के लिए तैयारी शुरू हो गई थी. यह एक बड़े पैमाने पर युद्ध को जन्म दे सकता था और बहुत बड़ी जनहानि हो सकती थी. लेकिन इतने बड़े जोखिमों के बावजूद, इजराइल जानता था कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए ईरान को रोकना ही होगा.

ठीक ऐसे समय में, कथित तौर पर इजराइल के प्रधानमंत्री के प्रौद्योगिकी सलाहकार ने एनएसए में मुख्य वैज्ञानिक के परामर्श से ऑपरेशन ओलंपिक गेम्स को शुरू करने का फैसला किया. एक ऐसा ऑपरेशन जिसमें दुनिया के सबसे परिष्कृत साइबर हथियार का इस्तेमाल करना था, जिसका नाम था स्टक्सनेट (इसके कोड में कीवर्ड से लिया गया नाम). यह अब तक खोजा गया सबसे परिष्कृत मैलवेयर था और इसका प्रभाव भयानक था. इसने सरकार प्रायोजित साइबर युद्ध की होड़ शुरू कर दी.

स्टक्सनेट ने ईरान के नेतांज में यूरेनियम परमाणु ईंधन संवर्धन मशीनरी को तबाह कर दिया, जो अत्यधिक दृढ़ और एयरगैप्ड था, अर्थात इंटरनेट से जुड़ा नहीं था. पाकिस्तान के प्रमुख परमाणु भौतिक विज्ञानी डॉ. एक्यू खान ने ईरान को यूरेनियम के संवर्धन के लिए सेंट्रीफ्यूज बेचे थे और मोसाद व एनएसए के शोधकर्ताओं ने उनके ऑपरेशन का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया था. तद्नुसार, बीस्पोक स्टक्सनेट को क्यूरेट किया गया था.

यह अनुमान लगाया गया है कि बाहरी कॉन्ट्रैक्टरों ने सीमेंस के प्रोग्रामेबल लॉजिक कंट्रोलर्स पीएलसी में यूएसबी फ्लैश ड्राइव के माध्यम से स्टक्सनेट की शुरुआत करके एयर-गैपिंग पर काबू पा लिया, जो छोटे कम्प्यूटर हैं और व्यावहारिक रूप से एयरलाइंस, बिजली संयंत्र, जल शोधन संयंत्र, परमाणु सहित सभी क्षेत्रों में औद्योगिक स्वचालन को नियंत्रित करते हैं. यह हाइब्रिड युद्ध और अत्याधुनिक डिजिटल हथियार की शुरुआत थी, जो किसी भी जमीनी सैनिक के बिना अत्यधिक गति और सटीकता से लैस था.

एक साइबर हथियार के कारण ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से पटरी से उतर गया. स्टक्सनेट ईरान का दु:स्वप्न साबित हुआ, और यही एकमात्र कारण था कि ईरान आज तक एक बड़ा परमाणु हथियार संपन्न देश नहीं बन सका है.

रूस-यूक्रेन साइबर युद्ध की पृष्ठभूमि

2014 में, रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया, जो तत्कालीन यूक्रेन का हिस्सा था. इसके बाद पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित विद्रोह हुआ, जिसके फलस्वरूप अब तक 20000 से अधिक मौतें हुई हैं. उसी वर्ष रूस और यूक्रेन के बीच साइबर युद्ध की शुरुआत हुई, जो आज तक जारी है जब यूक्रेन पूरी तरह से रूसी आक्रमण का केंद्र बन गया है.

कहा जाता है कि  2014 में रूसी हैकरों ने राष्ट्रपति चुनावों में धांधली करने के लिए यूक्रेनी केंद्रीय चुनाव आयोग के कम्प्यूटर सिस्टम पर हमला किया. ठीक होने से पहले चुनाव आयोग के हैक किए गए कम्प्यूटर सिस्टम ने अल्ट्रा- नेशनलिस्ट मिस्टर यारोश को भारी मतों से जीतते हुए दिखाया, यह बताते हुए कि उन्हें 37 प्रतिशत वोट मिले, हालांकि वास्तव में उन्हें सिर्फ 1 प्रतिशत वोट मिले थे.

रूसी चैनल 1 बुलेटिन ने यारोश को ठीक उसी संख्या से विजयी घोषित करने की जल्दबाजी की. फलस्वरूप चुनाव परिणामों को हैक किए जाने का पता चल गया और 79 प्रतिशत वोट शेयर वाले अन्य उम्मीदवार को अंतत: विजयी घोषित किया गया.

सरकार प्रायोजित साइबर हमलों को प्राथमिकता दी जा रही है क्योंकि उनकी लागत बहुत कम है, उन्हें अंजाम देना आसान है, उनसे इनकार किया जा सकता है और इसके दुर्लभ राजनयिक नतीजे मिलते हैं. स्टक्सनेट हमला पथप्रदर्शक साबित हुआ और देशों ने जल्दी ही महसूस किया कि साइबर हमलों का उपयोग राजनीतिक, वाणिज्यिक और सैन्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है.

राष्ट्रों के साइबर-हैकर्स को वर्तमान में इन कामों के लिए तैनात किया जा रहा है: जासूसी, कॉपोर्रेट रहस्य, तकनीकी प्रगति और राजनीतिक खुफिया जानकारी निकालना, रक्षात्मक क्षमताओं को कमजोर करने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमला करना.  विश्वसनीयता कम करने और जनमत को प्रभावित करने के लिए दुष्प्रचार फैलाना.

यह आवश्यक है कि साइबर सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रमुख मानदंड के रूप में स्वीकार किया जाए अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब साइबर सैन्य हथियार रेलगाड़ियों को पटरी से उतार सकते हैं, पानी की आपूर्ति में जहर घोल सकते हैं, बिजली ग्रिड को पंगु बना सकते हैं या यहां तक कि परमाणु मिसाइलों को भी ठप कर सकते हैं.

Web Title: Yashasvi Yadav blog: Threat of government-sponsored cyber attacks in the world

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