विष्णु गुप्त का ब्लॉग: भुखमरी से जूझता वेनेजुएला

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 15, 2019 11:26 AM2019-02-15T11:26:55+5:302019-02-15T11:27:49+5:30

वेनेजुएला के संकट ने खासकर लैटिन अमेरिकी देशों को भी संकट में डाल दिया है. वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था के विध्वंस का दंश लैटिन अमेरिकी देशों ने भी ङोलना शुरू कर दिया है.

Vishnugupta's blog: Venezuela battles hunger | विष्णु गुप्त का ब्लॉग: भुखमरी से जूझता वेनेजुएला

विष्णु गुप्त का ब्लॉग: भुखमरी से जूझता वेनेजुएला

वेनेजुएला की स्थिति इन दिनों बेहद विकट है और वहां की जनता  भुखमरी से जूझ रही है. परिस्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां एक लीटर दूध की कीमत 5 हजार रुपए, एक किलो टमाटर की कीमत 11 हजार रुपए, मक्खन 17 हजार रुपए है. 

इतनी महंगाई का अर्थ है वेनेजुएला की करेंसी का ढहना. वेनेजुएला की करेंसी कैसे मजबूत होगी? जब तक करेंसी मजबूत नहीं होगी तब तक महंगाई कैसे रुकेगी और राजनीतिक स्थिरता कैसे आएगी? राजनीतिक विद्रोह और प्रदर्शनों के खिलाफ तानाशाही शासन हिंसा और सैनिक समाधान से कैसे बचेगा? क्या वेनेजुएला के लोकतांत्रिकीकरण से वर्तमान संकट का समाधान हो सकता है?

वेनेजुएला के संकट ने खासकर लैटिन अमेरिकी देशों को भी संकट में डाल दिया है. वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था के विध्वंस का दंश लैटिन अमेरिकी देशों ने भी ङोलना शुरू कर दिया है. कई लैटिन देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दी हैं और वेनेजुएला की तरफ से हो रहे पलायन को रोकने की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. पर जान की परवाह किए बिना वेनेजुएला के लोग पलायन करने के लिए विवश हैं, उनके सामने मौत भी है तब भी वे पलायन करने के लिए बाध्य हैं.

 इसलिए कि भूख की आग बड़ी होती है. भुखमरी से जूझते लोग आखिर क्या करेंगे? वहां बढ़ती महंगाई रोकने के लिए कोई नीति और संसाधन नहीं है. इसलिए वहां से अब तक दस लाख लोग ब्राजील और कोलंबिया में पलायन कर गए हैं. 

हालांकि पलायन कर चुके वेनेजुएला के लोगों को भी नारकीय जीवन जीने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है. ब्राजील का कहना है कि वह अत्यधिक शरणार्थियों का बोझ सहन नहीं कर सकता है. पेरू जैसे देश ने भी शरणार्थी समस्या के लिए कम्युनिस्ट तानाशाही को जिम्मेदार ठहराया है.

वेनेजुएला का राजनीतिक विवाद कम होने वाला नहीं है. कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ विपक्ष आंदोलन पर उतारू है, लेकिन  वर्तमान सरकार समझौता करने के लिए राजी नहीं है.

 ऐसे में वेनेजुएला के नागरिकों के सामने संकट गहरा गया है. वेनेजुएला को दुनिया की मदद तभी मिल सकती है जब वहां का कम्युनिस्ट शासन अपनी तानाशाही समाप्त करने के लिए तैयार होगा और वेनेजुएला एक लोकतांत्रिक देश के रूप में खड़ा होगा. फिर भी वेनेजुएला के लोगों को मदद की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र की पहल जरूरी है. 

Web Title: Vishnugupta's blog: Venezuela battles hunger

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