वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: नाटो के टूटने के आसार
By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 28, 2019 07:43 AM2019-12-28T07:43:00+5:302019-12-28T07:43:00+5:30
ट्रम्प ने यदि नाटो को अब ‘बेकार’ कहा है तो फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुअल मैक्रों ने उसे ‘जिंदा लाश’ करार दे दिया है. तुर्की इससे भी आगे बढ़ गया है.
यों तो शीतयुद्ध के खत्म होते ही नाटो सैन्य संगठन का बने रहना बेमतलब हो गया था लेकिन अब भी यूरोप में उसका दबदबा बना हुआ है. डोनाल्ड ट्रम्प जब से अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, यह दबदबा खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. फ्रांस और जर्मनी के नेताओं से ट्रम्प की जुबानी मुठभेड़ कई बार हो चुकी है.
ट्रम्प ने यदि नाटो को अब ‘बेकार’ कहा है तो फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुअल मैक्रों ने उसे ‘जिंदा लाश’ करार दे दिया है. तुर्की इससे भी आगे बढ़ गया है. अब तुर्की और अमेरिका के बीच तलवारें खिंच गई हैं. हो सकता है कि तुर्की अब नाटो को खत्म करने की शुरुआत ही कर दे.
इसके तीन कारण हैं- पहला, तुर्की रूस से एस-400 मिसाइल खरीद रहा है, जिसका अमेरिका सख्त विरोध कर रहा है. अमेरिका को शक है कि वह नाटो देशों को जो एफ-35 एस विमान दे रहा है, उन पर ये रूसी मिसाइल जासूसी करेंगे. अमेरिकी सीनेट ने इस सौदे पर प्रतिबंध लगा दिया है. दूसरा, अमेरिका तुर्की के दो सैन्य अड्डों, इंवर्लिक और कुरेसिक को बंद करने के संकेत दे रहा है.
तुर्की राष्ट्रपति रिसेप तैयब एदरेगन ने घोषणा कर दी है कि यदि तुर्की पर प्रतिबंध लगाए गए तो उक्त दोनों अड्डे बंद कर दिए जाएंगे. तीसरा, अमेरिका इस बात से चिढ़ा हुआ है कि सीरिया के जिन कुर्द लोगों की वह सक्रिय मदद कर रहा है, उनके खिलाफ तुर्की अपनी फौज का इस्तेमाल कर रहा है. रूस के साथ मिलकर वह कुर्दो को दबाने की कोशिश कर रहा है. व्यावहारिक तौर पर सीरियाई युद्ध में तुर्की रूस का सहयोगी बन गया है.
इसी प्रकार लीबिया में भी तुर्की अपनी सेना भेजने की घोषणा कर चुका है, जो वहां जाकर उस गठबंधन से लड़ेगी, जिसका समर्थन अमेरिका और नाटो देश कर रहे हैं. तुर्की के इस रवैये से अमेरिका बहुत परेशान है, क्योंकि तुर्की में यूरोप की सबसे बड़ी फौज है और वह एक मुस्लिम देश है.
तुर्की के लोग यूरोप के लगभग सभी देशों में फैले हुए हैं. यदि तुर्की नाटो से बाहर हो गया तो नाटो के भंग होने की शुरुआत तो हो ही जाएगी, यूरोपीय देशों की परेशानी भी बढ़ जाएगी.