वेद प्रताप वैदिक का ब्लॉगः श्रीलंका में सत्ता के लिए संघर्ष

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: November 16, 2018 06:50 IST2018-11-16T06:50:09+5:302018-11-16T06:50:09+5:30

इस सारे घटनाक्र म में श्रीलंका के सांसदों और जजों ने जिस नैतिकता का परिचय दिया है, वह दक्षिण एशिया के सभी देशों के लिए अनुकरणीय है.

Ved Pratap Vaidik Blog: Political situation in Srilanka | वेद प्रताप वैदिक का ब्लॉगः श्रीलंका में सत्ता के लिए संघर्ष

वेद प्रताप वैदिक का ब्लॉगः श्रीलंका में सत्ता के लिए संघर्ष

श्रीलंका में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्नी, संसद और यहां तक कि उसके संविधान की जैसी दुर्गति आजकल हो रही है, पहले कभी नहीं हुई. मुङो वह 40 साल पुराना जमाना याद है जब सिरिमाओ भंडारनायके और विरोधी नेता प्रेमदासा के बीच कटु सार्वजनिक वार्तालाप होता था लेकिन तब भी संवैधानिक मर्यादा का पालन किया जाता था. आज तो उसकी हर संवैधानिक संस्था पर प्रश्नचिह्न् खड़ा हो गया है. 

अब जबकि श्रीलंका की संसद ने महिंदा राजपक्षे के विरोध में अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया है, तब भी वे अपने पद पर टिके हुए हैं. यह तथ्य राष्ट्रपति श्रीसेना की छवि धूमिल करता है. उन्होंने ही संविधान की धारा का दुरुपयोग कर प्रधानमंत्नी रनिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था और संसद को इसलिए भंग कर दिया था क्योंकि राजपक्षे के पक्ष में वे पर्याप्त सांसदों को नहीं जुटा पाए थे. लेकिन श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति के इस कदम को गैर-कानूनी बताया और संसद फिर जी उठी. 

अब इस पुनर्जीवित संसद ने राजपक्षे को हरा दिया. यदि राजपक्षे को श्रीसेना अब भी घर नहीं बिठाएंगे तो उन्हें खुद जाना पड़ेगा. उनके खिलाफ श्रीलंका में भयंकर जनमत खड़ा हो गया है. राजपक्षे खुद इतने माहिर हैं कि उन्होंने श्रीसेना को छोड़कर अपनी अलग पार्टी खड़ी कर ली है. गनीमत है कि इस मौके पर श्रीलंका की फौज तख्ता-पलट की नहीं सोच रही है. यदि फौज राष्ट्रपति और प्रधानमंत्नी दोनों को गिरफ्तार कर ले तो भी कोई आश्चर्य नहीं होगा. 

इस सारे घटनाक्र म में श्रीलंका के सांसदों और जजों ने जिस नैतिकता का परिचय दिया है, वह दक्षिण एशिया के सभी देशों के लिए अनुकरणीय है. राष्ट्रपति श्रीसेना के पास इस समय सिर्फ एक ही विकल्प है कि अपने क्रोध पर काबू करें और विक्रमसिंघे को दुबारा प्रधानमंत्नी पद लेने दें. यह कितने दुर्भाग्य का विषय है कि श्रीलंका में कई दशकों से चला आ रहा सिंहल-तमिल संग्राम बंद हुआ तो सिंहल-सिंहल संग्राम शुरू हो गया है.

Web Title: Ved Pratap Vaidik Blog: Political situation in Srilanka

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