वेदप्रताप वैदिक ब्लॉगः बलूचिस्तान की गुलामी का पथ
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 26, 2018 12:22 AM2018-11-26T00:22:37+5:302018-11-26T00:22:37+5:30
यह अजूबा है क्योंकि पहले कोई भी आतंकी हमला कहीं भी हुआ हो, सिंध में, बलूचिस्तान में, पख्तूनख्वाह में या पंजाब में, उसका सारा दोष भारत के मत्थे मढ़ दिया जाता था.
मुझे थोड़ा अचरज हुआ और खुशी भी कि इस बार पाकिस्तान की सरकार ने अपना संतुलन नहीं खोया. कराची स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास पर बलूच राष्ट्रवादियों ने जो आतंकी हमला किया, उसके लिए न तो प्रधानमंत्नी इमरान खान ने और न ही विदेश मंत्नी शाह महमूद कुरैशी ने भारत को जिम्मेदार ठहराया है.
यह अजूबा है क्योंकि पहले कोई भी आतंकी हमला कहीं भी हुआ हो, सिंध में, बलूचिस्तान में, पख्तूनख्वाह में या पंजाब में, उसका सारा दोष भारत के मत्थे मढ़ दिया जाता था. नेता नहीं मढ़ते थे तो फौज मढ़ देती थी लेकिन अब दोनों का रवैया काफी जिम्मेदाराना दिखाई पड़ रहा है. इस हमले में तीनों बलूच आतंकवादी मारे गए.
इस हमले का मुकाबला करने में पुलिस के दो जवान भी शहीद हुए लेकिन महिला पुलिस अफसर सुहाई अजीज तालपुर की बहादुरी तारीफ के लायक है. फिदायीन मजीद ब्रिगेड के आतंकियों का कहना है कि वे चीन की रेशम महापथ (ओबोर) की योजना के बिल्कुल खिलाफ हैं. बलूचिस्तान पर यह चीन का शिकंजा कस देगी. भारत भी चीनी रेशम महापथ का समर्थन नहीं करता है लेकिन उसका कारण यह है कि वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में से होकर जाता है.
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि भारत ने इस मतभेद के बावजूद इस हमले की निंदा की है. भारत किसी भी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा के खिलाफ है. क्या पाकिस्तान की सरकारें भी इसी नीति को नहीं अपना सकतीं? इधर जबकि चीनी दूतावास पर बलूच हमला हो रहा था, उधर चीन में भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी नेता सीमा-समस्या को सुलझाने के लिए द्विपक्षीय वार्ता का 21 वां दौर चला रहे थे.
यह शुभ-संयोग है कि इस मौके पर इन तीनों पड़ोसी देशों के बीच कोई तू-तू-मैं-मैं नहीं हुई. डेरा बाबा नानक से करतारपुर तक नानक गलियारे का भी उद्घाटन हो रहा है. क्या ही अच्छा हो कि इन तीनों देशों के बीच यह रचनात्मक प्रवृत्ति बढ़ती चली जाए!