वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः जनता के ये बगावती तेवर
By वेद प्रताप वैदिक | Updated: October 29, 2019 07:18 IST2019-10-29T07:18:48+5:302019-10-29T07:18:48+5:30
ज्यादा बागी तेवर लातिनी अमेरिका के देश चिली, स्पेन की राजधानी बार्सिलोना और इराक की राजधानी बगदाद में आम आदमी दिखा रहे हैं. हांगकांग जैसे छोटे से चीनी प्रदेश में 15-20 लाख लोग सड़क पर उतर आए हैं, यह असाधारण घटना है.

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पाकिस्तान में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के नेता फजलुर रहमान ने इमरान खान के खिलाफ कराची में बगावत का झंडा गाड़ दिया है. उन्होंने अपने साथ नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो की पार्टियों को भी जोड़ लिया है. मुस्लिम लीग (न) और पीपल्स पार्टी के अलावा भी कई छोटी-मोटी पार्टियां मिलकर अब इस्लामाबाद में धरना देंगी. उनकी मांग है कि जब तक इमरान खान इस्तीफा नहीं देंगे, हम राजधानी को घेरे रखेंगे.
इनसे भी ज्यादा बागी तेवर लातिनी अमेरिका के देश चिली, स्पेन की राजधानी बार्सिलोना और इराक की राजधानी बगदाद में आम आदमी दिखा रहे हैं. हांगकांग जैसे छोटे से चीनी प्रदेश में 15-20 लाख लोग सड़क पर उतर आए हैं, यह असाधारण घटना है. चिली में भी हाल ही में 10 लाख लोगों ने प्रदर्शन किया. बार्सिलोना में अलगाव के जनमत संग्रह को लेकर साढ़े तीन लाख लोग मैदान में उतर आए. बगदाद में हजारों लोग पुलिसवालों से जूझते रहे. अफगानिस्तान में भी कुछ हफ्ते पहले जबर्दस्त प्रदर्शन हुए थे. इन प्रदर्शनों में सैकड़ों लोग मारे गए.
इन सरकारों के पसीने छूट गए. उन्हें लगभग हर जगह जनता के गुस्से के आगे झुकना पडा. लेकिन भारत में नोटबंदी, किसान आत्महत्या, बेरोजगारी, जीएसटी से पैदा होने वाली कठिनाइयों, बैंकों में होने वाली अनियमितताओं के बावजूद हमारे लोग सब कुछ बर्दाश्त कर रहे हैं. बस, महाराष्ट्र में किसानों का एक प्रदर्शन भर हुआ.
भारत की जनता आंदोलित नहीं हो रही, इसका अर्थ यह नहीं कि वह कुंभकर्ण की नींद सोई हुई है या डरपोक है या निकम्मी है. वह अपने सेवकों (शासकों) को सबक सिखा रही है. उसने महाराष्ट्र और हरियाणा में सरकारों को चेता दिया है. विपक्ष में कोई सशक्त नेता या दल नहीं है, इसके बावजूद यह पहल उसने खुद की है. इसका अत्यंत गंभीर अर्थ है. वह यह है कि अगले साल
डेढ़-साल में यदि केंद्र सरकार ने अपना ढर्रा नहीं बदला तो बिना किसी विरोधी दल या नेता के ही जनता अपने आप बगावती तेवर अख्तियार कर लेगी.