प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: युद्ध शरणार्थियों का गहरा रहा है संकट

By प्रमोद भार्गव | Published: June 24, 2023 02:19 PM2023-06-24T14:19:26+5:302023-06-24T14:21:10+5:30

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फिलिपो ग्रैंडी ने कहा कि उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण करीब 11 करोड़ लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है. 

The crisis of war refugees deepens | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: युद्ध शरणार्थियों का गहरा रहा है संकट

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsद्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोग जंग के कारण विस्थापित हुए हैं.ग्रैंडी ने कहा कि सूडान में संघर्ष के चलते अप्रैल 2023 के बाद से अब तक 20 लाख लोग विस्थापित हुए हैं.दुनिया के अनेक देशों में अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमाई और आंतरिक संघर्ष चल रहा है. 

संयुक्त राष्ट्र में शरणार्थियों के मामलों से जुड़े 'यूनाइटेड नेशन्स हाई कमिश्नर और रिफ्यूजी' (यूएनएचसीआर) की ग्लोबल ट्रेंड्स‌ रिपोर्ट्स को जिनेवा में जारी करते हुए संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फिलिपो ग्रैंडी ने कहा कि उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण करीब 11 करोड़ लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है. 

2022 में करीब 1.9 करोड़ लोग विस्थापित हुए, जिनमें से 1.1 करोड़ से अधिक लोगों ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के चलते अपना घर छोड़ा. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोग जंग के कारण विस्थापित हुए हैं. ग्रैंडी ने कहा कि सूडान में संघर्ष के चलते अप्रैल 2023 के बाद से अब तक 20 लाख लोग विस्थापित हुए हैं. 

वहीं कांगो गणराज्य, इथोपिया और म्यांमार में संघर्ष के चलते करीब 10-10 लाख लोग अपने मूल आवास और देश छोड़ने को विवश हुए हैं. हालांकि उन्होंने सकारात्मक जानकारी देते हुए संतोष जाहिर किया कि '2022 में एक लाख 14 हजार शरणार्थियों का पुनर्वास किया गया, जो 2021 की तुलना में दोगुना है. लेकिन यह संख्या अब भी समुद्र की मात्र एक बूंद के बराबर है.'

यूक्रेन पर जबर्दस्त रूसी हमले के चलते यूक्रेनी शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि जारी है. यूक्रेन ने भी पश्चिमी देशों की सामरिक मदद से रूस के कई नगरों में बदहाली पसार दी है, नतीजतन वहां भी विस्थापन का सिलसिला शुरू हो गया है. सीरिया, लेबनान, लीबिया में संघर्ष, विस्थापन और युद्ध शरणार्थियों की त्रासदी हम पहले ही देख चुके हैं. दुनिया के अनेक देशों में अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमाई और आंतरिक संघर्ष चल रहा है. 

भारत में एक साथ तीन देश चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश आंतरिक हालात खराब करने में लगे हैं. जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवाद के चलते करीब पांच लाख कश्मीरी पंडितों को विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ा है. ये अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं. 

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की 2019 में आई रिपोर्ट के मुताबिक कुल सात करोड़ 95 लाख विस्थापितों में से 4 करोड़ 57 लाख घरेलू सांप्रदायिक, नस्लीय, जातीय हिंसा और पर्यावरणीय एवं प्राकृतिक आपदाओं के कारण अपने ही देश में विस्थापन का दंश झेल रहे हैं.

इसे जीवन की विडंबना ही कहा जाएगा कि ताकतवर देशों की सनक के चलते कमजोर देश पर युद्ध थोपा जाए और लाखों लोग शरणार्थी का अभिशापित जीवन जीने को विवश हो जाएं. उन विस्थापितों पर क्या गुजरती होगी, जो अपना आबाद घर, व्यवस्थित रोजगार और जमीन-जायदाद छोड़कर किसी अन्य देश के शरणार्थी शिविरों में अपने मूल देश की राह टकटकी लगाए देखते रहने को मजबूर कर दिए गए हों?

Web Title: The crisis of war refugees deepens

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे