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ब्लॉग: बदहाली से जूझते सूडान में गृहयुद्ध गहराने की आशंका, सड़क पर खून-खराबा और मारपीट, आखिर कब खत्म होगा ये दौर?

By शोभना जैन | Updated: April 24, 2023 10:44 IST

सूडान की जनता इन दिनों दो जनरलों की लड़ाई में पिस रही है. सड़कों पर मारकाट मची है. जनता भूखी-प्यासी है. देश में धीरे-धीरे गृहयुद्ध गहराने की आशंका बढ़ती जा रही है.

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सुदू्रवर्ती छोटा-सा अफ्रीकी देश सूडान धधक रहा है. एक तरफ जहां देश की जनता आर्थिक संकट, भूख से जूझ रही है, वहीं दूसरी तरफ सेना और वहां के अर्धसैनिक बल के बीच पिछले कई बरसों से चले आ रहे शक्ति संघर्ष ने अब  विकराल रूप ले लिया है. सड़कों पर मारकाट मची है और इस खून-खराबे के बीच भूखी-प्यासी जनता लोकतंत्र की ठंडी हवा के लिए छटपटा रही है. आलम यह है कि देश में धीरे-धीरे गृहयुद्ध गहराने की आशंका बढ़ती जा रही है.  

सूडान के पूर्व सैन्य शासक उमर अल-बशीर के ढाई दशक तक चले नृशंस शासन के बाद घोर जनाक्रोश के बीच अप्रैल 2019 में जिस तरह से उनकी सरकार को हटना पड़ा तो लोगों को लगा कि देश की दिशा पलटेगी लेकिन दो वर्ष बाद ही सेना ने फिर कब्जा कर लिया. अक्तूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार के तख्तापलट के बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल आमने-सामने हैं. 

सूडान में नागरिक सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने की मांग को लेकर 2021 से ही संघर्ष चल रहा है. मुख्य विवाद सेना और अर्धसैनिक बल ‘आरएसएफ’ के विलय को लेकर है. अक्तूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार के तख्तापलट के बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल आमने-सामने हैं.

फिलहाल सॉवरेन काउंसिल के जरिये देश को सेना और आरएसएफ चला रहे हैं. लेकिन सरकार की असली कमान सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथों में है. वे एक तरह से देश के राष्ट्रपति हैं. बात यह है कि दो वर्ष पूर्व सॉवरेन काउंसिल के डिप्टी और आरएसएफ प्रमुख मोहम्मद हमदान दगालो यानी हेमेदती देश के दूसरे नंबर के नेता हैं. यानी दोनों जनरलों की लड़ाई देश की सत्ता पर काबिज होने की है. दिलचस्प बात यह है कि दो वर्ष पूर्व तत्कालीन असैनिक सरकार को हटाने के लिए ये दोनों साथ-साथ ही थे.  

लगभग एक लाख की संख्या वाली रैपिड सपोर्ट फोर्स के सेना में विलय के बाद बनने वाली नई सेना का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर सहमति नहीं बन पा रही है. आरएसएफ प्रमुख का कहना है कि सेना के सभी ठिकानों पर कब्जा होने तक उनकी लड़ाई चलती रहेगी. वहीं सेना ने बातचीत की किसी संभावना को नकारते हुए कहा है कि अर्धसैनिक बल आरएसएफ के भंग होने तक उनकी कार्रवाई जारी रहेगी.  

बहरहाल, सूडान मानवीय त्रासदी झेल रहा है, हजारों लोग देश छोड़ कर भाग रहे हैं. निश्चित तौर पर जो स्थितियां बन रही हैं, इससे सूडान और कमजोर होगा और देश में अशांति बढ़ेगी. देश को गृहयुद्ध से बचाने और लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि दोनों जनरल सुलह का रास्ता अपना कर बातचीत करें और सर्वसम्मति से नागरिक सरकार बनाएं.

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