वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूक्रेन मामले में भारत पहल करे

By वेद प्रताप वैदिक | Published: May 10, 2022 07:00 PM2022-05-10T19:00:21+5:302022-05-10T19:00:21+5:30

संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद, महासभा और मानव अधिकार परिषद में रूस के खिलाफ जब भी कोई प्रस्ताव रखा गया तो ज्यादातर सदस्यों ने उसका डटकर समर्थन किया। बहुत कम राष्ट्रों ने उसका विरोध किया लेकिन भारत हर प्रस्ताव पर तटस्थ रहा।

Russia Ukraine War India should initiate it peace | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूक्रेन मामले में भारत पहल करे

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूक्रेन मामले में भारत पहल करे

पिछले ढाई महीने से मैं बराबर लिख रहा था कि यूक्रेन-विवाद शांत करने के लिए भारत की पहल सबसे ज्यादा सार्थक हो सकती है लेकिन जो पहल भारत को करनी थी, वह संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कर दी और वे काफी हद तक सफल भी हो गए। गुटेरेस खुद जाकर पुतिन और जेलेंस्की से मिले। उन्होंने दोनों खेमों को समझाने-बुझाने की कोशिश की। 

संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद, महासभा और मानव अधिकार परिषद में रूस के खिलाफ जब भी कोई प्रस्ताव रखा गया तो ज्यादातर सदस्यों ने उसका डटकर समर्थन किया। बहुत कम राष्ट्रों ने उसका विरोध किया लेकिन भारत हर प्रस्ताव पर तटस्थ रहा। उसने उसके पक्ष या विपक्ष में वोट नहीं दिया। भारत की नीति यह थी कि रूस का विरोध या समर्थन करने की बजाय हमें अपनी ताकत युद्ध को बंद करवाने में लगानी चाहिए। 

अभी युद्ध तो बंद नहीं हुआ है लेकिन गुटेरेस के प्रयत्नों से एक कमाल का काम यह हुआ है कि सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से यूक्रेन पर एक प्रस्ताव पारित कर दिया है। उसके समर्थन में नाटो देशों और भारत जैसे सदस्यों ने तो हाथ ऊंचा किया ही है, रूस ने भी उसके समर्थन में वोट डाला है। सुरक्षा परिषद का एक भी स्थायी सदस्य किसी प्रस्ताव का विरोध करे तो वह पारित नहीं हो सकता। 

रूस ने वीटो नहीं किया। क्यों नहीं किया? क्योंकि इस प्रस्ताव में रूसी हमले के लिए ‘युद्ध’, ‘आक्रमण’ या ‘अतिक्रमण’ जैसे शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। उसे सिर्फ ‘विवाद’ कहा गया है। इस ‘विवाद’ को बातचीत से हल करने की पेशकश की गई है। यही बात भारत हमेशा कहता रहा है। इस प्रस्ताव को नार्वे और मैक्सिको ने पेश किया था। 

यह प्रस्ताव तब पास हुआ है, जब सुरक्षा परिषद का आजकल अमेरिका अध्यक्ष है। वास्तव में इसे हम भारत के दृष्टिकोण को मिली विश्व-स्वीकृति भी कह सकते हैं। इसका श्रेय भारत को मिल सकता था और इससे सुरक्षा-परिषद की स्थायी सदस्यता मिलने में भी भारत की स्थिति मजबूत हो जाती। इस प्रस्ताव के बावजूद यूक्रेन-युद्ध अभी बंद नहीं हुआ है। 

भारत के लिए अभी भी मौका है। रूस और नाटो राष्ट्र, दोनों ही भारत से घनिष्ठता बढ़ाना चाहते हैं और दोनों ही भारत का सम्मान करते हैं। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहल करें तो यूक्रेन युद्ध तुरंत बंद हो सकता है।
 

Web Title: Russia Ukraine War India should initiate it peace

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