राजेश बादल का ब्लॉग: अपने ही पाले भस्मासुर का शिकार पाकिस्तान

By राजेश बादल | Published: September 3, 2019 07:49 AM2019-09-03T07:49:10+5:302019-09-03T07:49:10+5:30

इमरान खान अब कहते हैं कि पाकिस्तान खुद दहशतगर्दी का मारा है. उसके देश में हजारों निदरेष लोग इसका शिकार हुए हैं. उसने कभी अपनी जमीन का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने दिया. इमरान के इस झूठ पर कौन यकीन करेगा?

Rajesh Badal's blog: Pakistan became a victim herself | राजेश बादल का ब्लॉग: अपने ही पाले भस्मासुर का शिकार पाकिस्तान

राजेश बादल का ब्लॉग: अपने ही पाले भस्मासुर का शिकार पाकिस्तान

उत्तरी अमेरिका में जाकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्नी कहते हैं कि बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी. अगर भारत से जंग हुई तो परमाणु हथियारों की आंच पूरी दुनिया में फैलेगी. मासूमियत से भरे इमरान ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता. यह बात तो खुद हिंदुस्तान बरसों से कहता आ रहा है. आतंकवाद न अच्छा होता है न बुरा. उसका कोई मजहब नहीं होता. तब तो पाकिस्तानी हुक्मरान अपने आतंकवाद को जेहाद मानते थे. आज भी मानते हैं, लेकिन इन दिनों वक्त की मार के चलते उन्हें वही कहना पड़ रहा है जो दशकों से भारत कहता आया है. 


इमरान खान अब कहते हैं कि पाकिस्तान खुद दहशतगर्दी का मारा है. उसके देश में हजारों निदरेष लोग इसका शिकार हुए हैं. उसने कभी अपनी जमीन का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने दिया. इमरान के इस झूठ पर कौन यकीन करेगा? वे इतिहास नहीं पढ़ते, भूगोल की जानकारी उन्हें नहीं है, अपने कथन से मुकर जाते हैं, चीनी राष्ट्रपति के खिलाफ धरने पर बैठने के बाद उनकी ही गोद में बैठ जाते हैं और अमेरिकी जाल में पाकिस्तान के फंसने का आरोप लगाकर ट्रम्प को अपने जाल में फांसने का प्रयास करते हैं.

पाकिस्तानी जनता के लिए वे सपनों के सौदागर हैं. साल भर बाद उनकी अंकसूची में विराट शून्य है. अवाम का ध्यान मुद्दों से भटकाने के लिए कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर तांडव कर रहे हैं. जनता अब इमरान की चाल में फंसने वाली नहीं है. बड़े जनआंदोलन की आहट पाकिस्तान में दिख रही है. रोम-रोम कर्ज में बिंधे होने के बावजूद लोग हैरान हैं कि एक बरस में इमरान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की कमाई सभी सियासी दलों से अधिक कैसे हो गई? प्रधानमंत्नी बनने से पहले इमरान की पार्टी के खाते में केवल 16 करोड़ रु. थे. आज यह रकम बढ़कर 40 करोड़ पार कर रही है. यह चुनाव आयोग की अधिकृत जानकारी है. जनता दाने-दाने को मोहताज है, हालत बद से बदतर है तो इमरान के पास कौन सी जादू की छड़ी है, जो पार्टी की आमदनी बढ़ाते जा रहे हैं.


बहरहाल! बात आतंकवाद की. पाकिस्तानी प्रधानमंत्नी आतंकवाद से अपने देश का कोई वास्ता नहीं बताते. क्या उन्हें सिर्फ डेढ़ महीने पुराने अपने बयान याद हैं? जुलाई में वे ट्रम्प से मिलने गए थे. वहां मीडिया में खुलकर माना था कि अमेरिका को पिछले पंद्रह साल में पाकिस्तान की सरकारों ने सच नहीं बताया. हकीकत यह है कि वहां 40 से अधिक आतंकवादी समूह सक्रि य थे. चालीस हजार से अधिक उग्रवादी अभी भी हैं, जिन्हें अफगानिस्तान या पाक अधिकृत कश्मीर में प्रशिक्षण मिला है. उन्होंने कहा कि अफगान, तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा वहां से गतिविधियां संचालित करते हैं. इमरान ने पुष्टि की थी कि  पाकिस्तान में सक्रिय तालिबानियों के एक गुट ने ही पेशावर के आर्मी स्कूल में 150 से अधिक बच्चों का कत्लेआम किया था. 


डोनाल्ड ट्रम्प का ट्वीट भी इमरान को याद होगा, जिसमें उन्होंने दस बरस बाद मुंबई बम धमाकों के मुजरिम हाफिज सईद की गिरफ्तारी पर खुशी जताई थी. हाफिज किसी मस्जिद का मौलवी नहीं है. वह अंतर्राष्ट्रीय दहशतगर्द है और पाकिस्तान में पल रहा है. इससे पहले मुंबई बम धमाकों का मास्टर माइंड दाऊद कई साल पाकिस्तान में पनाह पाता रहा. दाऊद कोई धर्मगुरु  नहीं है. पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष रहे जनरल परवेज मुशर्रफ के पुराने बयान नहीं, ताजा कथन को याद करें.

इसी बरस मार्च में उन्होंने मीडिया से कहा था कि जैश-ए-मोहम्मद ने उनके कार्यकाल में आईएसआई के निर्देश पर भारत में आतंकवादी हमले किए हैं. मुंबई हमला भी इनमें से एक है. यही नहीं, पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार महमूद अली दुर्रानी ने 6 मार्च 2017 को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि मुंबई हमला पाकिस्तानी आतंकी समूह ने किया था. उन्होंने कसाब को भी पाकिस्तानी माना था. इसके बाद उन पर गाज गिरी और पद से हटा दिया गया. मुशर्रफ ने तो एक कदम आगे जाकर कहा कि आईएसआई की हर आतंकवादी संगठन में घुसपैठ है. वह अपने हित में उनसे हमले करवाती है.


परवेज मुशर्रफ का एक पुराना बयान भी अभी हम भूले नहीं हैं कि अलकायदा का मुखिया मुल्ला उमर उनके जमाने में क्वेटा की कंदराओं में शरण ले रहा था. मुल्ला उमर के बाद मुखिया बना अल जवाहिरी भी इन दिनों पाकिस्तान में है. यह बात दस दिन पहले 23 अगस्त को खुद अलकायदा के हवाले से मीडिया को बताई गई है. अलकायदा का कहना है कि अल जवाहिरी पत्नी के साथ एक साल से पाक फौज के संरक्षण में है. मुल्ला उमर ने कुख्यात ओसामा बिन लादेन के बाद संगठन की कमान संभाली थी. ढाई करोड़ डॉलर का इनामी आतंकवादी ओसामा बिन लादेन कई साल पाकिस्तान के एबटाबाद में फौज की सुरक्षा में था, जब अमेरिकी सेना ने खुफिया मिशन में उसे मारा था. क्या इमरान खान मसखरापन छोड़ कर पाकिस्तान को तबाह होने से बचाएंगे? 

Web Title: Rajesh Badal's blog: Pakistan became a victim herself

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