पाकिस्तान की बौखलाहट उसके असली मकसद की पोल खोल रही

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 11, 2019 06:51 AM2019-08-11T06:51:34+5:302019-08-11T06:51:34+5:30

ज म्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को भारतीय संसद द्वारा रद्द कर देने और जम्मू-कश्मीर को जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के रूप में अलग-अलग संघ शासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर देने संबंधी निर्णय के बाद पाकिस्तान की सरकार....

Pakistan's fury is revealing its true purpose | पाकिस्तान की बौखलाहट उसके असली मकसद की पोल खोल रही

पाकिस्तान की बौखलाहट उसके असली मकसद की पोल खोल रही

(लेखक-रहीस सिंह )

ज म्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को भारतीय संसद द्वारा रद्द कर देने और जम्मू-कश्मीर को जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के रूप में अलग-अलग संघ शासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर देने संबंधी निर्णय के बाद पाकिस्तान की सरकार और उसके प्रधानमंत्री इमरान खान की तरफ से जो प्रतिक्रिया आई वह हैरत भरी नहीं है, लेकिन पूरी तरह से अस्वीकार्य है. ऐसा लगता है कि पाकिस्तान अपना मनोवैज्ञानिक संतुलन खो चुका है. अब वह अपने उन्हीं आकाओं के सामने विलाप करेगा जो अब तक उसकी पीठ पर हाथ रखते चले आए हैं और कश्मीर को एक समस्या के रूप में रेखांकित करने में उसकी मदद करते रहे हैं. लेकिन क्या वह वास्तव में आज के भारत को पहचानने की सही कोशिश कर पा रहा है?  

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे तब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ट्वीट के माध्यम से अपनी खीझ निकाल रहे थे. इससे पहले ही पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में पाकिस्तानी उच्चायुक्त को नई दिल्ली से वापस बुलाने और भारत के उच्चायुक्त को निष्कासित करने का फैसला लिया जा चुका है और यह तय किया गया कि भारत और पाकिस्तान के संबंधों का रिव्यू किया जाएगा. इसके अतिरिक्त पाकिस्तान ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने, भारत के साथ किए जा रहे हर तरह के द्विपक्षीय व्यापार को रोकने, पाक के स्वतंत्रता दिवस यानी 14 अगस्त को कश्मीरियों के साथ सौहार्द दिवस के तौर पर और भारत के स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को ब्लैक डे के तौर पर मनाने का भी फैसला किया. 

इस समय पाकिस्तान एक राष्ट्र जैसा व्यवहार नहीं कर रहा है. वह शायद है भी नहीं, क्योंकि वह एक राष्ट्र कम, एक समस्या अधिक है. अभी तो वह इसलिए बौखलाया है, क्योंकि वह भारत के खिलाफ जो सुनियोजित छद्म युद्ध दशकों से लड़ रहा था उसके लिए मुक्त द्वार अब बंद हो गया. कश्मीर में बैठी उसकी कुछ जारज संतानें अब शक्तिहीन हो गईं.  उसे कश्मीर के लोगों की चिंता सता रही है लेकिन उसने नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रॉविन्स, बलूचिस्तान, सिंध के लोगों की चिंता कभी नहीं की.  
 

पाकिस्तान को गंभीरता से देखें तो वहां मुख्य तीन शक्तियां हैं. पहली है- पोलिटिकल स्टैब्लिशमेंट, दूसरी-आर्मी जो कि रियल स्टेक होल्डर है और तीसरी हैं कट्टरपंथी या जिहादी ताकतें जो नॉन स्टेट एक्टर कही जाती हैं लेकिन इसका प्रभाव इतना है कि सेना भी इसके साथ-साथ बहुत बार कदम-ताल करती दिखी है. पोलिटिकल स्टैब्लिशमेंट का काम है शेष दोनों ताकतों को खुश रखना और जनता को बेवकूफ बनाना. यही वजह है कि राजनीतिक और द्विपक्षीय मोर्चे पर कश्मीर अवश्य आता था. पाकिस्तानी आर्मी भारत को दुश्मन नंबर एक मानती है इसलिए वह कोई ऐसा अवसर नहीं छोड़ना चाहती जिससे भारत के शरीर पर चोट पहुंचाई जा सकती हो. जम्मू-कश्मीर में जो अब तक हुआ उसके पीछे दिमाग आर्मी और उसकी शरीके-हयात आईएसआई का था.

ये दोनों भारत द्वारा लिए गए जम्मू-कश्मीर संबंधी निर्णय के बाद पराजित महसूस कर रही हैं. इसलिए इनकी भृकुटियां खान साहब पर इस कदर टेढ़ी हैं कि यदि वे ठीक से चिल्ल-पों नहीं करेंगे या अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी के सामने रोने का सटीक अभिनय नहीं कर पाएंगे तो फिर न उनकी कुर्सी सही सलामत रह पाएगी और न वो. तीसरी ताकत यानी जिहादी, भारत को सनातन शत्रु मानते हैं और भारत को नेस्तनाबूद करने का सपना देखते हैं. लेकिन जम्मू-कश्मीर की हैसियत में बदलाव ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. उनके सामने अहम प्रश्न यह है कि अब वे कश्मीर के युवाओं की ब्रेेन मैपिंग कैसे कर पाएंगे. इनका डंडा भी खान साहब पर चलेगा. 

Web Title: Pakistan's fury is revealing its true purpose

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