Pakistan: हाशिये पर क्यों पहुंच गया पाकिस्तान?, ऐसा सलूक किसने किया और क्यों किया?

By विकास मिश्रा | Updated: February 25, 2025 05:50 IST2025-02-25T05:50:20+5:302025-02-25T05:50:20+5:30

Pakistani terrorists:  ताजा मामला ओमान की राजधानी मस्कट में पिछले सप्ताह आयोजित इंडियन ओशियन कॉन्फ्रेंस का है जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र में बसे देशों के विदेश मंत्रियों समेत कुल 60 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

Pakistani terrorists Why has Pakistan reached margins blog Vikas Mishra Who behaved like this and why | Pakistan: हाशिये पर क्यों पहुंच गया पाकिस्तान?, ऐसा सलूक किसने किया और क्यों किया?

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Highlightsचुनौतियों से निपटने का रास्ता तलाशना था और भविष्य को लेकर विचार-विमर्श करना था. पाकिस्तान भी हिंद महासागर क्षेत्र का ही देश है लेकिन इस कॉन्फ्रेंस के लिए उसे न्योता तक नहीं भेजा गया!वाल उठना लाजिमी है कि पाकिस्तान के साथ ऐसा सलूक किसने किया और क्यों किया?

Pakistani terrorists: एक जमाना था जब अमेरिका जैसी महाशक्ति के साथ पाकिस्तान गलबहियां करता था. इस्लामिक देशों में उसकी अच्छी पूछ-परख थी, वह इस्लामिक दुनिया का बादशाह बनने के लिए उतावला हो रहा था लेकिन अब हालात बिल्कुल बदल चुके हैं. मौजूदा दौर की हकीकत यह है कि उसकी कोई नहीं सुन रहा है. वह दरकिनार हो चुका है. बहुत ताजा मामला ओमान की राजधानी मस्कट में पिछले सप्ताह आयोजित इंडियन ओशियन कॉन्फ्रेंस का है जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र में बसे देशों के विदेश मंत्रियों समेत कुल 60 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

इस सम्मेलन का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के सामने मौजूदा चुनौतियों से निपटने का रास्ता तलाशना था और भविष्य को लेकर विचार-विमर्श करना था. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस कार्यक्रम में उपस्थित थे. जाहिर सी बात है कि पाकिस्तान भी हिंद महासागर क्षेत्र का ही देश है लेकिन इस कॉन्फ्रेंस के लिए उसे न्योता तक नहीं भेजा गया!

जबकि बांग्लादेश भी इसका हिस्सा था. सवाल उठना लाजिमी है कि पाकिस्तान के साथ ऐसा सलूक किसने किया और क्यों किया? इस सवाल का जवाब तलाशने से पहले यह जान लीजिए कि जिस ओमान में इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ वह पाकिस्तान का बेहद करीबी मुल्क समझा जाता रहा है. दोनों की साझा समुद्री सीमा है.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत जिस ग्वादर पोर्ट का विकास हो रहा है वह पहले ओमान का ही था जिसे 1958 में पाकिस्तान ने ओमान से खरीद लिया था. यदि आप ओमान के निवासियों की पड़ताल करें तो उनमें से 30 प्रतिशत लोग बलूच मूल के हैं जो करीब सौ साल पहले बलूचिस्तान से ओमान जाकर बस गए थे.

इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन ओमान और इंडिया फाउंडेशन ने किया था. पाकिस्तानी चैनल यह रोना रो रहे हैं कि पाकिस्तान को इस कॉन्फ्रेंस में न बुलाए जाने के पीछे भारत का हाथ है. वे कह रहे हैं कि इंडिया फाउंडेशन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सोच वाला संगठन है. दूसरी ओर पाकिस्तान के ही कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरी तरह से पाकिस्तानी कूटनीति की पराजय है.

और हकीकत भी यही है. पाकिस्तान पर आज कोई भी भरोसा करने को तैयार नहीं है. उसने खुद को आर्थिक रूप से तो कंगाल बना ही लिया है, रारजनीतिक रूप से भी दिवालिया जैसी स्थिति में है. वह दुनिया भर के मुसलमानों के संरक्षण की बात करते-करते उस चीन की गोद में जा बैठा जिस पर दस लाख से ज्यादा वीगर मुसलमानों को सुधार के नाम पर जेल में कैद करने का आरोप लगता रहा है.

अरब वर्ल्ड के मुल्क भी यह समझने लगे हैं कि उसका एटम बम उनके किसी काम का नहीं है. वह तो वास्तव में झोलाछाप देश बन चुका है जिसके पास अपने मुल्क के लोगों का पेट भरने के लिए भी पैसे नहीं हैं. पाकिस्तानी लोग टूरिस्ट और धार्मिक  वीजा पर अरब देश पहुंचते हैं और वहां भीख मांगने का धंधा करते हैं.  सऊदी अरब ने तो पिछले साल सैकड़ों पाकिस्तानियों को भीख मांगने के जुर्म में गिरफ्तार किया था.

ऐसे में कोई भी इस्लामिक मुल्क क्यों पाकिस्तान से रिश्ते मजबूत करना चाहेगा. यदि उसे ओमान कॉन्फ्रेंस में नहीं बुलाया गया तो निश्चित रूप से इसमें ओमान की सहमति रही होगी. पाकिस्तान के साथ जो सबसे बड़ी समस्या है, वह है आतंकवाद का गढ़ बन जाने की. वह भले ही लाख इनकार करता रहे और यह रोना रोता रहे कि वह खुद आतंकवाद का शिकार है,

हकीकत तो यही है कि पाकिस्तान पिछले कई दशक से आतंकवादियों का जन्म स्थल और पनाहगाह, दोनों बना हुआ है. जिस ओसामा बिन लादेन के खिलाफ जंग में अमेरिका से वह करोड़ों डॉलर डकारता रहा, उसी लादेन को उसने अपनी गोद में छिपा रखा था. ऐसे देश पर कोई क्यों भरोसा करे?  यहां तक कि उसका सबसे नजदीकी पड़ोसी अफगानिस्तान भी उससे नफरत करने लगा है.

अफगानियों का मानना है कि अपने फायदे के लिए उसने अफगानिस्तान को बर्बादी की राह पर धकेला. अब यही काम वह बांग्लादेश के साथ कर रहा है. शेख हसीना की तरक्कीपसंद सरकार को ध्वस्त करने के लिए उसने धार्मिक कट्टरता की ज्वाला भड़काई. वह इस बात से जला-भुना बैठा था कि बांग्लादेश तरक्की क्यों कर रहा है?

अब बांग्लादेश के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के खिलाफ चलाना चाह रहा है लेकिन भारत इतना कमजोर भी नहीं है कि पाकिस्तान कुछ बिगाड़ सके. जम्मू-कश्मीर में उसे जो भी करना था कर लिया लेकिन भारत का क्या बिगड़ा? जम्मू-कश्मीर तरक्की की राह पर है और अरब मुल्क भी वहां अब इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब अंतरराष्ट्रीय पटल से पाकिस्तान को दरकिनार किया गया हो.

एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर इसी महीने पेरिस में हुए सम्मेलन में दुनिया भर के नेताओं के साथ हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे लेकिन वहां पाकिस्तान नहीं था. पाकिस्तानी अवाम को सोचना होगा कि हर बात के लिए भारत पर तोहमत लगाने वाली आर्मी और आईएसआई के मिलेजुले षड्यंत्र में आतंकवाद के पनाहगाह बन चुके मुल्क को बर्बाद हो जाने दे.

फिर ऐसा जनसैलाब उमड़े जो मुल्क के खिलाफ चल रहे षड्यंत्र को नेस्तनाबूद कर दे. लेकिन फिलहाल ऐसे किसी जनसैलाब की उम्मीद करना बेमानी है क्योंकि आईएसआई और आर्मी की छत्रछाया में ज्यादातर नेता भी अवाम को  मजहब की अफीम चटाने में लगे हैं.

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