पाकिस्तान के आतंकवादी अड्डों पर भारतीय हमले के बाद तीन दिन में जो घटनाएं घटी हैं, उनसे हम क्या नतीजा निकालें? पाकिस्तान पर विश्वास करें ? हर घंटे बयान बदले जा रहे हैं, पल्टियां खाई जा रही हैं और पाकिस्तान अपना पलड़ा भारी है, यह बताने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तानी प्रवक्ता परस्परविरोधी दावे कर रहे हैं और उनमें फेर-बदल भी कर रहे हैं.
वास्तव में इमरान खान युद्ध के विरुद्ध हैं तो उन्हें बयानबाजी करने की बजाय सीधे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करनी चाहिए थी. यदि वे वास्तव में आतंकवाद के विरोधी हैं तो उन्हें आतंकवादी अड्डों पर भारतीय हमले का स्वागत करना चाहिए था. फौज के डर से मानों वे स्वागत नहीं कर सकते थे तो उन्हें कम से कम मौन रहना चाहिए था. भारत ने कितना संयम रखा. न तो किसी फौजी अड्डे को अपना निशाना बनाया और न ही उसने एक भी नागरिक को नुकसान पहुंचाया.
पाकिस्तान के प्रवक्ता झूठा दावा कर रहे हैं कि भारतीय विमानों की बमबारी बेकार हो गई, क्योंकि तीन मिनट में ही उन विमानों को भगा दिया गया. यदि यह सच है तो पाकिस्तान को गुस्सा होने का कोई कारण नहीं है.
आज पाकिस्तानी फौज और इमरान, दोनों ने शांति की अपील की है. यह अपील सुनने में बहुत अच्छी लगती है लेकिन यह सच्ची है, यह दिखाने के लिए भी तो इमरान को कोई ठोस कदम उठाना था. आज के झगड़े की जड़ तो आतंकवादी ही हैं.
यदि इमरान आतंकवादी सरगनाओं को पकड़कर जेल में डाल देते या उनमें से दो-तीन को भी भारत के हवाले कर देते तो माना जाता कि उनकी पहल में कुछ दम है. उनके साथ कुछ काम की बात हो सकती है. आज सारी दुनिया की नजर में पाकिस्तान गुनाहगार हो गया है. उसकी आर्थिक हालत खस्ता है. यदि दोनों देश युद्ध की आग में कूद गए तो पाकिस्तान को बहुत गहरा नुकसान होगा.