निरंकार सिंह का ब्लॉगः तीसरा विश्वयुद्ध होने के बाद कैसी नजर आएगी दुनिया?
By निरंकार सिंह | Published: April 1, 2022 03:42 PM2022-04-01T15:42:27+5:302022-04-01T15:42:36+5:30
विशेषज्ञों के अनुसार तीसरा विश्वयुद्ध होने पर आसमान से सारे सैटेलाइट नीचे गिर जाएंगे। जंगल जलकर राख हो जाएंगे और दुनिया में न्यूक्लियर विंटर की शुरुआत हो जाएगी।
रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में अमेरिका और नाटो देशों की दखलंदाजी से दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की तरफ कदम बढ़ा रही है। रूस ने यूक्रेन पर हमला करने के बाद पूरी दुनिया को वॉर्निंग भी दे दी है कि जो भी उसके रास्ते में आएगा, उसे भयंकर अंजाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसके बाद से न्यूक्लियर हमले के कयास शुरू हो गए हैं। यदि तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो दुनिया से इंसान का खात्मा हो जाएगा।
विशेषज्ञों के अनुसार तीसरा विश्वयुद्ध होने पर आसमान से सारे सैटेलाइट नीचे गिर जाएंगे। जंगल जलकर राख हो जाएंगे और दुनिया में न्यूक्लियर विंटर की शुरुआत हो जाएगी। इसमें दुनिया का हर एक शख्स देर-सबेर मौत के मुंह में समा जाएगा। जो लोग इस युद्ध को पार कर जिंदा बच जाएंगे, उनकी जिंदगी भी ज्यादा लंबी नहीं चल पाएगी।
रूस का यूक्रेन सहित कुछ देशों के साथ, अमेरिका का ईरान और उत्तर कोरिया के साथ जिस तरह तनाव रहा है उससे लगता है कि दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के कगार पर पहुंच गई है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ऐसे हथियारों के निर्माण में लगा हुआ है जिनसे निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों से सुरक्षा संबंधी ढांचा ध्वस्त किया जा सके और सभी इलेक्ट्रॉनिक और कम्प्यूटर संबंधी उपकरण बंद हो जाएं। अब यदि कहीं भी परमाणु युद्ध हुआ तो इसमें न कोई विजेता होगा और न कोई पराजित देश होगा। परमाणु बमों का इस्तेमाल करने वाले देश तो मिट ही जाएंगे, आसपास के देशों में भी भारी तबाही होगी। इस समय दुनिया के नौ देशों के पास कुल 16300 से भी अधिक परमाणु बम हैं। दुनिया इन परमाणु बमों के साये में जी रही है। परमाणु संपन्न देशों के बीच बढ़ते तनाव से कभी भी कहीं भी परमाणु युद्ध की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं। दक्षिणी चीन सागर को लेकर वियतनाम व चीन के बीच तनाव है।
परमाणु हथियारों की संख्या के मामले में रूस सबसे आगे है। उसके पास आठ हजार से अधिक परमाणु बम हैं। अमेरिका के पास 7300, फ्रांस के पास 300, चीन के पास 250, ब्रिटेन के पास 225, पाकिस्तान के पास 110, भारत के पास 100, इजराइल के पास 80 और उत्तर कोरिया के पास 6 परमाणु बम हैं।
इन परमाणु बमों की क्षमता नागासाकी और हिरोशिमा पर डाले गए बमों की तुलना में कई हजार गुना ज्यादा है। हिरोशिमा पर 580 मीटर की ऊंचाई पर बम विस्फोट किया गया था। बम विस्फोट से बने हाइपोसेंटर से धुएं व आग का गोला 16 हजार मीटर ऊंचाई तक गया। जिस अमेरिकी विमान से विस्फोट के समय फोटो लिए गए थे, वह उस वक्त 28480 फुट ऊंचाई पर तथा विस्फोट बिंदु से 56 हजार फुट की दूरी पर था। विशेषज्ञों के मुताबिक तब शहर का तापमान तीन हजार से चार हजार डिग्री सेंटीग्रेड हो गया था। जबकि चाय या दूध सिर्फ 100 डिग्री पर उबल जाते हैं। इस विस्फोट के साथ ही काली बारिश ने शहर पर मौत का कफन बिछा दिया, जिसका बम बनाने वालों को भी अंदाजा नहीं था। रेडियो एक्टिव किरणों ने अपना काम किया, जिसका खामियाजा आज की पीढ़ी भी भुगत रही है।
परमाणु युद्ध के खतरे से मानव जाति को मुक्त करने और नि:शस्त्रीकरण तथा शांति के लिए संघर्षशील वैज्ञानिक’ शीर्षक से मास्को में 1983 में हुए सम्मेलन और ‘परमाणु युद्ध के उपरांत विश्व’ शीर्षक से उसी वर्ष वाशिंगटन में हुए सम्मेलन में इंगित किया गया था कि नाभिकीय अस्त्र के प्रयोग से पृथ्वी की जलवायु बदलकर विश्वव्यापी पारिस्थितिक महाविपत्ति को जन्म दे सकती है। नगरों पर किए परमाणु प्रहारों से होने वाले विराट अग्निकांड फैलकर वायुमंडल को प्रदूषित करेंगे। कालिख के सूक्ष्मकणों से बने बादल सौर प्रकाश को अवशोषित करना और छितराना आरंभ कर देंगे। फलत: धरती की सतह पर अंधेरा या ‘परमाणु रात’ छा जाएगी। इसके फलस्वरूप धरती की सतह का तापमान चंद दिन में ही सामान्य स्तर से 30 से 50 डिग्री गिर जाएगा। वायुमंडल में परिसंचरण प्रणाली के मूलत: बदल जाने की वजह से यह वायुमंडलीय महाविपत्ति कुछ ही हफ्तों में ही संपूर्ण पृथ्वी पर फैल जाएगी। वनस्पति और जीव जगत का सर्वनाश शुरू होगा। और यदि कोई बच भी गया तो अपनी शरण स्थली से बाहर निकलकर पृथ्वी को मरता हुआ ही देखेगा। निष्कर्ष यह कि जो कोई परमाणु युद्ध छेड़ेगा, वह स्वयं अपनी हत्या करेगा।