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Israel-Iran war: हिंसा की आग में जलती दुनिया को कौन दिखाए दिशा?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: October 3, 2024 05:19 IST

Israel-Iran war LIVE: अभी कुछ साल पहले ही कोरोना ने जिस तरह से पूरी दुनिया को थर्रा दिया था, उसकी भयावह स्मृतियां लोगों के जेहन से अभी भी मिटी नहीं हैं.

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ठळक मुद्देसामूहिक उपाय ढूंढने के बजाय उसे और भी शीघ्र आमंत्रित करने के लिए तत्पर हैं! संयुक्त राष्ट्र संघ केंचुआ बनकर रह गया है, जिसकी कोई रीढ़ की हड्डी ही नहीं है.वैश्वीकरण के इस युग में युद्ध दुनिया में कहीं भी हों, उसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ता है.

Israel-Iran war LIVE: आखिर वही हुआ, जिसका डर था. ईरान द्वारा इजराइल पर पलटवार से अब खाड़ी क्षेत्र में पूर्ण युद्ध छिड़ने की आशंका पैदा हो गई है. पिछले ढाई साल से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध और करीब साल भर पहले हमास द्वारा इजराइल पर किए गए हमले के बाद से इजराइल के गाजा पट्टी में किए जा रहे हमलों के बीच खुले इस नए मोर्चे से दुनिया पर मंडराते विनाश के काले बादल और गहरे हो गए हैं. ग्लोबल वार्मिंग से दुनिया पहले ही आपदाओं की दिशा में आगे बढ़ रही है. अभी कुछ साल पहले ही कोरोना ने जिस तरह से पूरी दुनिया को थर्रा दिया था, उसकी भयावह स्मृतियां लोगों के जेहन से अभी भी मिटी नहीं हैं. लेकिन हम मनुष्य शायद विनाश से बचने के सामूहिक उपाय ढूंढने के बजाय उसे और भी शीघ्र आमंत्रित करने के लिए तत्पर हैं!

दुर्भाग्यजनक यह है कि वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखने के उद्देश्य से गठित संयुक्त राष्ट्र संघ केंचुआ बनकर रह गया है, जिसकी कोई रीढ़ की हड्डी ही नहीं है. न तो कोई उसकी बात मानता है, न उसके द्वारा पारित प्रस्तावों से कोई फर्क पड़ता है. वैश्वीकरण के इस युग में युद्ध दुनिया में कहीं भी हों, उसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ता है.

ईरान द्वारा इजराइल पर सैकड़ों मिसाइलें दागने की ताजा घटना के बाद भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में करीब चार फीसदी का इजाफा हो गया है और जंग अगर आगे बढ़ती है तो कीमतों में और वृद्धि होना तय है. भारत के लिए तो खासतौर पर दुविधा बहुत बड़ी है. रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष में भी भारत ने कभी युद्ध का समर्थन नहीं किया, जबकि रूस के साथ उसकी निकटता जगजाहिर है.

लेकिन इजराइल और ईरान मामले में तो दोनों ही देशों के साथ हमारे देश के घनिष्ठ संबंध हैं, सिर्फ आर्थिक ही नहीं बल्कि सामरिक स्तर पर भी. भारत और इजराइल न केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं बल्कि रक्षा और कृषि में भी दोनों के बीच द्विपक्षीय संबंध हैं.

वित्तीय वर्ष 2022-23 में दोनों देशों के बीच व्यापार 10.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया और इस आंकड़े में ड‍िफेंस शाम‍िल नहीं है. वहीं ईरान भी वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था और चूंकि उससे भारत काफी मात्रा में तेल का आयात करता है, इसलिए भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बहुत ज्यादा इजाफा हो सकता है.

खासकर ईरान के चाबहार बंदरगाह का भारत के लिए बहुत महत्व है. इसलिए ईरान और इजराइल के बीच शांति बहाली में भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. रूस और यूक्रेन मामले में भी दोनों देशों ने भारत की मध्यस्थता पर भरोसा जताया है और भारत पर्दे के पीछे से उस संबंध में काम भी कर रहा है.

दरअसल भारत हमेशा से शांति का पुजारी रहा है और ऐसे समय में, जबकि हम दुनिया को अहिंसक प्रतिरोध के लिए सत्याग्रह जैसा हथियार देने वाले राष्ट्रपति महात्मा गांधी की जयंती मना रहे हैं, विश्व शांति कायम करने की दिशा में भारत की भूमिका और जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है.

टॅग्स :ईरानइजराइलHamas
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