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आर. के. सिन्हा का ब्लॉग: पाकिस्तान से दूरी बनाता जा रहा है चीन?

By आरके सिन्हा | Updated: July 19, 2024 09:50 IST

चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए इस्लामाबाद में एक नया पुलिस बल भी बनाया गया है. ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि चीनी वित्त पोषित मेगा परियोजनाओं को निशाना बनाया जा रहा है. 

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ठळक मुद्देपाकिस्तान लगातार भारत में आतंकवादी हरकतों को अंजाम देता रहा है. मुंबई में 2008 में हुए हमलों से लेकर कठुआ, पठानकोट और उरी वगैरह में उसने आतंक फैलाया है. डर का कारण चीन का नाराज होना है.

पाकिस्तान लगातार भारत में आतंकवादी हरकतों को अंजाम देता रहा है. मुंबई में 2008 में हुए हमलों से लेकर कठुआ, पठानकोट और उरी वगैरह में उसने आतंक फैलाया है. पर अब पाकिस्तान खुद ही अपने आतंकवाद की आग में स्वाहा हो रहा है. वह भयभीत है. डर का कारण चीन का नाराज होना है. पाकिस्तान में चीनी नागरिकों के मारे जाने के कारण चीन सरकार उससे सख्त नाराज है. 

इसलिए सारे पाकिस्तान में चीनी नागरिकों को अब खास सुरक्षा दी जा रही है, जो पाकिस्तान में चीन की मदद से चल रही परियोजनाओं में काम कर रहे हैं. चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए इस्लामाबाद में एक नया पुलिस बल भी बनाया गया है. ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि चीनी वित्त पोषित मेगा परियोजनाओं को निशाना बनाया जा रहा है. 

इनमें काम करने वाले चीनियों को आतंकवादी चुन-चुन कर मार रहे हैं. इन हमलों के कारण ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाएं खतरे में हैं. चीन ने पाकिस्तान में अपना बड़े स्तर पर निवेश करना 2015 में शुरू किया था. चीन की योजना थी कि वह पाकिस्तान में 60 अरब डॉलर का निवेश विभिन्न परियोजनाओं में करे. इस वक्त हजारों चीनी कामगार और इंजीनियर पाकिस्तान में हैं. 

पाकिस्तान को अफगानिस्तान में युद्ध समाप्त होने के बाद अमेरिका से मदद मिलनी बंद हो गई थी. इसलिए उसे चीनी निवेश का ही एकमात्र सहारा था. उस पर भी फिलहाल तो ग्रहण लग गया दिखता है. पिछले तीन वर्षों में पाकिस्तान में आतंकवादी समूह फिर से उभरे हैं. इस दौरान आतंकवादी हमलों की संख्या में वृद्धि हुई है. इसका असर चीनी परियोजनाओं पर बहुत ज्यादा हुआ है. 

इस कारण चीन से पोषित परियोजनाओं पर काम ठंडा पड़ने लगा है. मार्च के महीने के अंत में, सशस्त्र आतंकियों ने अरब सागर के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित ग्वादर में चीन निर्मित और संचालित बंदरगाह को निशाना बनाया, जिसमें दो पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों की मौत हो गई. कुछ दिनों बाद आतंकवादियों ने देश के दूसरे सबसे बड़े एयर बेस पर हमला किया. यह बलूचिस्तान में है. यहां भी चीनी नागरिक सक्रिय थे. 

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हमले थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. कुछ समय पहले पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक जलविद्युत परियोजना पर आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें पांच चीनियों की मौत हो गई. इसके बाद चीनी कंपनियों ने कम से कम तीन महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं पर अपना काम रोक दिया था. 

ये परियोजनाए थीं- दासू बांध, डायमर-बाशा बांध और तारबेला पांचवां एक्सटेंशन. खैबर पख्तूनख्वा सीमांत गांधी के प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है. चीनियों पर हमले खैबर पख्तूनख्वा के अलावा बलूचिस्तान में भी हो रहे हैं. 

पाकिस्तान के मशहूर अखबार दि डॉन में 1 अप्रैल, 2024 को छपी एक खबर के अनुसार, इस साल के पहले तीन महीनों में देश के दो प्रमुख राज्यों क्रमश: खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में बीते साल की इसी अवधि की तुलना में आतंकी और हिंसक वारदातों में 92 और 86 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है. जाहिर है, अपने नागरिकों पर हमले के कारण चीन नाराज है. पाकिस्तान चीन को अपना सबसे भरोसे का मित्र कहता है. 

चीन के नाराज होने से पाकिस्तान की सांसें रुक रही हैं. पाकिस्तान से मिल रही खबरों पर यकीन करें तो चीनी नागरिक अपनी जान को खतरा होने के कारण पाकिस्तान छोड़ने पर विचार कर रहे हैं. पाकिस्तानी सरकार बार-बार अपराधियों को पकड़ने का वादा कर रही है लेकिन हो कुछ नहीं रहा है.

चीनियों पर हो रहे हमलों के लिए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और आईएस-खुरासान को जिम्मेदार माना जा रहा है. ये तीनों आतंकी संगठन अब पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लगभग जंग छेड़े हुए हैं.  सवाल यह है कि चीनी नागरिकों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है जबकि वहां पर वे विकास परियोजनाओं को खड़ा कर रहे हैं? दरअसल बलूचिस्तान और खैबर के लोगों का कहना है कि उनके यहां लगने वाली

परियोजनाओं का स्थानीय जनता को लाभ नहीं मिलता. सारी मलाई पंजाब खा जाता है. इसका विरोध करने के लिए ही चीनियों पर हमले हो रहे हैं. पाकिस्तान की सेना और सरकार का मतलब पंजाब ही है. पिछले महीने, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ बीजिंग गए थे.

वे चीन के शिखर नेता शी जिनपिंग से मिले. लेकिन इस यात्रा का कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला क्योंकि चीन ने पाकिस्तान में निवेश करने को लेकर कोई वादा नहीं किया. चीन ने पाकिस्तान में चीनियों पर हमलों पर नाराजगी जताई. अगर चीन ने पाकिस्तान के कटोरे में भीख डालना बंद कर दिया तो पाकिस्तान पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा.

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