बिम्सटेक को मजबूत करने की पहल
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 9, 2018 03:45 PM2018-09-09T15:45:06+5:302018-09-09T15:45:06+5:30
तंग आकर भारत ने फैसला किया था कि पिछली बार पाकिस्तान में होने वाली ‘सार्क’ की बैठक में वह भाग नहीं लेगा।
गौरीशंकर राजहंस
हाल के वर्षो में सारे संसार में विभिन्न देशों में यह प्रवृत्ति पाई गई है कि क्षेत्रीय देश मिलजुल कर अपनी आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं का समाधान करें। इसी सिलसिले में कुछ वर्ष पहले सार्क का गठन हुआ था जिसमें दक्षिण एशिया के देश मिलजुल कर अपनी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास कर रहे थे। परंतु पाकिस्तान की हठधर्मी के कारण ‘सार्क’ आगे बढ़ नहीं सका। इसलिए तंग आकर भारत ने फैसला किया था कि पिछली बार पाकिस्तान में होने वाली ‘सार्क’ की बैठक में वह भाग नहीं लेगा।
हाल ही में नेपाल की राजधानी काठमांडू में बिम्सटेक की महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें कहा गया कि यह संगठन दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व के देशों को आपस में जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण पुल का काम करेगा। बिम्सटेक की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र के लोगों के पास आगे बढ़ने के लिए अब स्वर्णिम अवसर है और इसके कारण इस क्षेत्र के लोग आपस में मिलकर आर्थिक, सामाजिक और यातायात की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और आपस में मिलकर पूरे क्षेत्र का विकास कर सकते हैं।
कहना नहीं होगा कि बिम्सटेक के मजबूत होने से भारत का इस क्षेत्र में प्रभुत्व बहुत अधिक बढ़ जाएगा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि चीन जिस तरह इस क्षेत्र के देशों में अपनी घुसपैठ बढ़ा रहा था वह रुक जाएगी। चीन का खतरा इस क्षेत्र के सभी देशों को है, परंतु वे खुलकर अपनी बात कह नहीं पा रहे थे। अब जब भारत ने इस दिशा में पहल की है तो इसमें कोई संदेह नहीं कि ‘बिम्सटेक’ इस क्षेत्र के लोगों का एक मजबूत संगठन होगा और हर दृष्टिकोण से यह ‘मील का पत्थर’ साबित होगा। इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से दोनों देशों की विभिन्न समस्याओं पर विस्तार से विचार किया। उन्होंने नेपाल के राष्ट्रपति से भी मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि भारत हर हाल में नेपाल के सुख-दुख में साथ खड़ा रहेगा।
कुल मिलाकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिम्सटेक को मजबूत करने की जो पहल की है वह हर दृष्टिकोण से प्रशंसनीय है। इससे पाकिस्तान को भी झटका लगेगा और वह यह सोचने के लिए मजबूर हो जाएगा कि उसकी आतंकी हरकतों की निंदा इस क्षेत्र के सारे देशों में हो रही है।