ब्लॉगः दोहा में भारत-तालिबान के बीच संवाद, अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में भारत की दखलंदाजी कम

By वेद प्रताप वैदिक | Published: September 2, 2021 03:02 PM2021-09-02T15:02:44+5:302021-09-02T15:03:34+5:30

पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने तो यहां तक कह दिया है कि पाकिस्तान अकेले ही तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दे देगा.

India-Taliban dialogueDoha India's interference Afghanistan's internal affairs less Ved Pratap Vaidik | ब्लॉगः दोहा में भारत-तालिबान के बीच संवाद, अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में भारत की दखलंदाजी कम

पाकिस्तानी विदेश मंत्नी शाह महमूद कुरैशी के बयान से सारी दुनिया को मिल गई है.

Highlightsअफगान सरकार को मान्यता देने के पहले वह क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय जगत के रवैये का भी ध्यान रखेगा.तालिबान से आशा करते हैं कि वे मानव अधिकारों की रक्षा करेंगे और अंतरराष्ट्रीय मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करेंगे.

मुझे खुशी है कि कतर में नियुक्त हमारे राजदूत दीपक मित्तल और तालिबानी नेता शेर मुहम्मद स्थानकजई के बीच दोहा में संवाद स्थापित हो गया है.

 

तालिबान शासन के बारे में जो शंकाएं भारत सरकार के अधिकारियों के दिल में थीं और अब भी हैं, बिल्कुल वे ही शंकाएं पाकिस्तानी सरकार के मन में भी हैं. इसका अंदाज मुझे पाकिस्तान के कई नेताओं और पत्नकारों से बातचीत करते हुए काफी पहले ही लग गया था. आज उन शंकाओं की खुलेआम जानकारी पाकिस्तानी विदेश मंत्नी शाह महमूद कुरैशी के बयान से सारी दुनिया को मिल गई है.

कुरैशी ने कहा है कि वे तालिबान से आशा करते हैं कि वे मानव अधिकारों की रक्षा करेंगे और अंतरराष्ट्रीय मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करेंगे. पाकिस्तान के सूचना मंत्नी फवाद चौधरी ने तो यहां तक कह दिया है कि पाकिस्तान अकेले ही तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दे देगा. उन्होंने साफ-साफ कहा है कि अफगान सरकार को मान्यता देने के पहले वह क्षेत्नीय और अंतरराष्ट्रीय जगत के रवैये का भी ध्यान रखेगा.

पाकिस्तान सरकार का यह आधिकारिक बयान बहुत महत्वपूर्ण है. यदि आज के तालिबान पाकिस्तान के चमचे होते तो पाकिस्तान उन्हें 15 अगस्त को ही मान्यता दे देता और 1996 की तरह सऊदी अरब और यूएई से भी दिलवा देता. लेकिन उसने भी वही बात कही है, जो भारत चाहता है यानी अफगानिस्तान में अब जो सरकार बने, वह ऐसी हो जिसमें सभी अफगानों का प्रतिनिधित्व हो.

पाकिस्तान को पता है कि यदि तालिबान ने अपनी पुरानी ऐंठ जारी रखी तो अफगानिस्तान बर्बाद हो जाएगा. दुनिया का कोई देश उसकी मदद नहीं करेगा. पाकिस्तान खुद आर्थिक संकट में फंसा हुआ है. पहले से ही 30 लाख अफगानी वहां जमे हुए हैं. यदि 50 लाख और आ गए तो पाक का भट्ठा बैठते देर नहीं लगेगी.

पाकिस्तान के बाद सबसे ज्यादा चिंता किसी देश को होनी चाहिए तो वह भारत है, क्योंकि अराजक अफगानिस्तान से निकलने वाले हिंसक तत्वों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ होने की पूरी आशंका है. इसके अलावा भारत द्वारा किया गया अरबों रु. का निर्माण-कार्य भी अफगानिस्तान में बेकार चला जाएगा.

इस समय अफगानिस्तान में मिली-जुली सरकार बनवाने में पाकिस्तान भी जुटा हुआ है लेकिन यह काम पाकिस्तान से भी बेहतर भारत कर सकता है क्योंकि अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में भारत की दखलंदाजी न्यूनतम रही है जबकि पाकिस्तान के कई अंध-समर्थक और अंध-विरोधी तत्व वहां आज भी सक्रि य हैं. भारत ने दोहा में शुरुआत अच्छी की है. इसे अब वह काबुल तक पहुंचाए.

Web Title: India-Taliban dialogueDoha India's interference Afghanistan's internal affairs less Ved Pratap Vaidik

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