अवधेश कुमार का ब्लॉगः ईरान-यूएस तनाव का वैश्विक असर
By अवधेश कुमार | Published: June 28, 2019 08:22 PM2019-06-28T20:22:59+5:302019-06-28T20:22:59+5:30
ट्रम्प प्रतिबंधों के साथ ईरान की अर्थव्यवस्था को इस अवस्था में पहुंचाना चाहते हैं जहां से वह नाभिकीय मुद्दे पर बातचीत शुरू करने के लिए बाध्य हो जाए. उसके नाभिकीय कार्यक्र म को खत्म कराया जाए.
जैसे ही 20 जून को यह खबर आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का आदेश दे दिया है, पूरी दुनिया में आशंका पैदा हो गई. हालांकि यह आदेश एक छोटी सैन्य कार्रवाई का था किंतु इसके परिणाम कुछ भी हो सकते थे. ईरान ने घोषणा की है कि वह भी अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करेगा एवं फारस की खाड़ी खासकर हॉर्मूज जलडमरुमध्य को बंद कर देगा.
रूस की चेतावनी है कि अमेरिका का हमला खतरनाक परिणामों वाला होगा. सऊदी अरब का मानना है कि ईरान ने उसके साथ हॉर्मूज में दूसरे देशों के तेल टैंकरों पर हमले किए हैं, इसलिए उसको इसकी सजा मिलनी चाहिए. इस तरह देखें तो तत्काल ट्रम्प द्वारा सैन्य कार्रवाई का आदेश वापस लिए जाने से दुनिया ने राहत की सांस ली है, पर यह आदेश स्थायी नहीं है. ट्रम्प ने कहा है कि वह ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई पर अब भी विचार कर रहे हैं.
दरअसल, ट्रम्प प्रतिबंधों के साथ ईरान की अर्थव्यवस्था को इस अवस्था में पहुंचाना चाहते हैं जहां से वह नाभिकीय मुद्दे पर बातचीत शुरू करने के लिए बाध्य हो जाए. उसके नाभिकीय कार्यक्र म को खत्म कराया जाए. जुलाई 2015 में ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस तथा जर्मनी व यूरोपीय संघ के बीच विएना में ईरान नाभिकीय समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत ईरान पर नाभिकीय कार्यक्र म बंद करने पर प्रतिबंध हटाने की बात थी.
ट्रम्प ने ईरान पर नाभिकीय कार्यक्रम जारी रखने का आरोप लगाते हुए समझौते से अमेरिका को अलग कर प्रतिबंध फिर से लगा दिया. ईरान को बाध्य करने के लिए प्रतिबंध के साथ वे सैन्य कार्रवाई का माहौल बनाए रखना चाहते हैं. ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की चेतावनी है कि अगर देश की जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकेगा तो ईरान समझौते में अनुमति के स्तर से परे यूरेनियम का भंडार बढ़ाना शुरू कर देगा. ट्रम्प को रूस और चीन जैसे देशों की प्रतिक्रि याओं का भी ध्यान है. वैसे ट्रम्प ने सैन्य कार्रवाई का आदेश वापस लेने के बाद तथा नए प्रतिबंधों की घोषणा से पहले कहा था कि यदि ईरान नाभिकीय हथियार बनाने पर काम बंद कर दे, तब अमेरिका उसका सबसे अच्छा दोस्त बन सकता है.
ईरान शायद यह मानता है कि हॉर्मूज के द्वारा वह दुनिया को दबाव में ला सकता है. लेकिन इसके परिणामों से भी उसे अवगत होना चाहिए. अमेरिकी प्रतिबंधों से उसकी नाराजगी समझ में आने वाली है. किंतु कोई देश यह कहने को तैयार नहीं है कि समझौते के बावजूद उसने अपने नाभिकीय कार्यक्र म को विराम लगा दिया है. तो इसका प्रमाण उसे देना चाहिए. अगर मामला नहीं सुलझा तो सैन्य कार्रवाई के बाद यह क्या मोड़ लेगा, कहना कठिन है.