अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉगः दिल क्यों नहीं पसीजता ब्रिटेन का
By अभिषेक कुमार सिंह | Published: December 13, 2019 09:02 AM2019-12-13T09:02:29+5:302019-12-13T09:02:29+5:30
चुनावी वादों पर अमल करने की नीति तो अपने देश भारत में भी नहीं रही है. लेकिन इससे बड़ा सवाल यह है कि बीते सौ साल में अभी तक किसी भी ब्रिटिश सरकार ने जलियांवाला बाग कांड पर माफी क्यों नहीं मांगी? जलियांवाला के भयावह नरसंहार पर ब्रिटेन की माफी का एक प्रसंग चुनावी गहमागहमी से पहले इस साल सितंबर में भी तब उठा था, जब ब्रिटेन के आर्कबिशप ऑफ कैंटरबरी भारत आए थे.
ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने 107 पन्नों के अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा कर रखा है कि अगर वह सत्ता में आती है तो भारत के जलियांवाला बाग नरसंहार में ब्रिटेन की भूमिका की समीक्षा की जाएगी और जरूरी हुआ तो इसके लिए माफी मांगी जाएगी. आज 12 दिसंबर को ब्रिटेन में संपन्न होने वाले चुनावों पर जलियांवाला बाग मुद्दे पर माफी की अहमियत इससे समझी जा सकती है कि ब्रिटेन के विपक्षी दल यानी लेबर पार्टी ने खुलेआम ऐलान किया कि भारत में औपनिवेशिक अतीत की जांच कर ब्रिटेन अपने पाप धोना चाहेगा. ब्रिटिश संसदीय चुनाव की 650 सीटों के लिए मतदान से काफी पहले ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने भी 100 साल पहले जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए अफसोस जाहिर किया है, लेकिन माफी का मसला उठते ही ब्रिटेन का दिल छोटा हो जाता है.
कह नहीं सकते कि सौ साल पहले की इस त्रसदी पर लेबर पार्टी का घोषणापत्र कितना ईमानदार है, लेकिन इस कांड पर ब्रिटेन से औपचारिक माफी मांगने की बात कई बार उठ चुकी है. चुनावी नजरिये से देखें तो ब्रिटेन में बसे दक्षिण एशियाई मूल के 30 लाख लोगों (जिनमें भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी शामिल हैं) के वोट कम से कम 48 सीटों के नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में हैं.
हालांकि चुनावी वादों पर अमल करने की नीति तो अपने देश भारत में भी नहीं रही है. लेकिन इससे बड़ा सवाल यह है कि बीते सौ साल में अभी तक किसी भी ब्रिटिश सरकार ने जलियांवाला बाग कांड पर माफी क्यों नहीं मांगी? जलियांवाला के भयावह नरसंहार पर ब्रिटेन की माफी का एक प्रसंग चुनावी गहमागहमी से पहले इस साल सितंबर में भी तब उठा था, जब ब्रिटेन के आर्कबिशप ऑफ कैंटरबरी भारत आए थे. भारत भ्रमण के दौरान वह विशेष रूप से अमृतसर गए और जलियांवाला बाग जाकर दंडवत होते हुए सौ साल पहले हुए इस हत्याकांड पर व्यक्तिगत शर्मिदगी व्यक्त की थी.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1919 में बैसाखी के दिन रोलेट एक्ट के विरोध में अपने नेताओं की गिरफ्तारी पर मौन प्रतिरोध जताने अमृतसर के जलियांवाला बाग में जमा करीब डेढ़ हजार निदरेष लोगों की गोली मार कर हत्या पर ब्रिटेन से दर्जनों बार माफी की मांग की जा चुकी है.