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ब्लॉग: पन्नू प्रकरण की छाया में भारत-अमेरिका के रिश्ते

By शोभना जैन | Updated: December 12, 2023 09:58 IST

अमेरिका में बसे खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित हत्या की साजिश की छाया क्या भारत-अमेरिकी रिश्तों पर पड़ रही है?

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ठळक मुद्देगुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित हत्या की साजिश को लेकर आरत-अमेरिका रिश्ते काफी असहज हैंअमेरिका ने पन्नू की हत्या की कथित साजिश में एक भारतीय अधिकारी निखिल गुप्ता को आरोपी बनाया हैइस मुद्दे पर एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे एनएसए अजित डोभाल से चर्चा कर रहे हैं

अमेरिका में बसे खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित हत्या की साजिश की छाया क्या भारत-अमेरिकी रिश्तों पर पड़ रही है? हालांकि विदेशी मामलों के कुछ जानकारों का कहना है कि यह प्रकरण कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिससे दोनों देशों के रिश्तों में कोई प्रभाव पड़े।

लेकिन यह भी सच्चाई है कि अमेरिका ने लंबी पड़ताल के बाद पन्नू की हत्या की कथित साजिश के मामले में एक भारतीय अधिकारी निखिल गुप्ता को आरोपी बनाया है। अमेरिका के फेडरल प्रॉसिक्यूटर ने गुप्ता पर इस आशय का आरोप लगाया था।

इस मसले की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे 11 और 12 दिसंबर की अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तथा भारत के अन्य वरिष्ठ गुप्तचर अधिकारियों से कुछ अहम मुद्दों पर विमर्श कर रहे हैं जिसमें खालिस्तानी आतंकी, कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकी गतिविधियां, साइबर अपराध और चीन की आपराधिक गतिविधियों पर जानकारियों का आदान-प्रदान शामिल है।

समझा जाता है इस दौरान भारत खास तौर पर पन्नू सहित खालिस्तानी आतंकियों  तथा अमेरिका में रहने वाले आपराधिक तत्वों की सांठगांठ संबंधी जानकारी भी अमेरिकी अधिकारियों को उपलब्ध कराएगा। अमेरिकी एफबीआई के किसी निदेशक की पिछले  12 वर्षों में यह पहली भारत यात्रा है।

इस दौरान रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने, विशेष तौर पर सुरक्षा एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाने पर भी अहम चर्चा होगी। पन्नू प्रकरण दोनों पक्षों के बीच चर्चा का मुख्य मुद्दा भले ही नहीं हो, लेकिन पन्नू प्रकरण फिलहाल दोनों देशों के रिश्तों में एक  डिप्लोमेटिक चुनौती तो लगता ही है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस यात्रा को लेकर कहा कि दोनों देशों के बीच उभयपक्षीय सहयोग बढ़ाने के क्रम में यह यात्रा हो रही है, दोनों देशों के बीच सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद और नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए बेहद प्रभावी तालमेल चल रहा है।

शीतयुद्ध के बाद से बदलती आधारभूत वास्तविकताओं, खासतौर पर नए अंतरराष्ट्रीय भू राजनीतिक समीकरणों  में भी भारत-अमेरिका साझेदारी  निरंतर आगे बढ़ी है। हाल ही में यूक्रेन के मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच अलग-अलग राय होने के बाद भी, वह पहलू व्यापक संबंधों में आड़े नहीं आया।

मौजूदा रिश्तों की स्थिति को देख कर तो फिलहाल यही कहा जा सकता है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते आपसी समझबूझ  और ताल मेल से आगे बढ़ रहे हैं। शायद इसी नाते दोनों देशों के रिश्तों  के लिए पन्नू प्रकरण  ऐसा नहीं है जिससे  दोनों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर कोई असर पड़े।

टॅग्स :भारतअमेरिकाअजीत डोभाल
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