ब्लॉग: भूटान तंबाकू को प्रतिबंधित कर सकता है, तो बाकी देश क्यों नहीं?
By रमेश ठाकुर | Updated: May 31, 2024 09:06 IST2024-05-31T09:05:39+5:302024-05-31T09:06:05+5:30
केंद्र सरकार को तंबाकू उत्पाद की बिक्री की आयु 21 वर्ष लागू करनी चाहिए। सभी तंबाकू और निकोटीन उत्पादों में मेन्थॉल सहित सभी स्वाद सामग्री को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

ब्लॉग: भूटान तंबाकू को प्रतिबंधित कर सकता है, तो बाकी देश क्यों नहीं?
31 मई को समूचे संसार में ‘वर्ल्ड नो टोबैको डे’ मनाया जाता है जिसे भारत में ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ के नाम से जानते हैं। सन् 1988 से ये दिवस अमल में आया। अमल के एक वर्ष पूर्व यानी 1987 में ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ ने तंबाकू के इस्तेमाल को नियंत्रित करने और जनमानस को इसके नुकसान के बारे में शिक्षित और जागरूक करने का निर्णय लिया था।
पिछले साल 2023 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम थी, ‘हमें भोजन चाहिए, तंबाकू नहीं। जबकि, 2024 की थीम ‘बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना’ पर निर्धारित है। दरअसल, ये विषय उन नीतियों और उपायों की वकालत करने पर केंद्रित है जो तंबाकू उद्योग को हानिकारक तंबाकू उत्पादों के साथ युवाओं को लक्षित करने से रोकते हैं।
खैनी, तंबाकू या गुटखा खाने से सेहत को कितना नुकसान पहुंचता है, ये सब जानने के बावजूद भी कई लोग तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं और विभिन्न किस्म की बीमारियों को न्यौता देते हैं। तंबाकू पर जब छोटा सा मुल्क ‘भूटान’ कमर कस सकता है, तो अन्य देश क्यों नहीं? भूटान विश्व का पहला देश है जहां तंबाकू की न खेती की इजाजत है और न ही तंबाकू के इस्तेमाल की। वहां तंबाकू पर पूर्ण प्रतिबंध है।
सन् 2004 में, भूटान तंबाकू की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने और सभी निजी स्थानों पर धूम्रपान पर बैन करने को लेकर अव्वल दर्जा प्राप्त कर चुका है। भूटान जून 2010 में तंबाकू पर रोक लगाकर दुनिया के सबसे सख्त तंबाकू विरोधी कानूनों में से एक को लागू कर चुका है। इसलिए वहां तंबाकू से मौतें नहीं होती, बीमारियों का लेबल जीरो है। दुनिया के 80 लाख लोग हर साल तंबाकू के खाने से मरते हैं. वहीं, तंबाकू से 4 लाख से अधिक लोगों की मौत भारत में होती है। जो विश्व के अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक है। इस समस्या से सरकारों और समाज दोनों को सामूहिक लड़ाई लड़नी होगी।
तंबाकू से बीमारियों के बढ़ते मामलों को देखते हुए बच्चों और किशोरों में तंबाकू के सेवन की शुरुआत को कम करने के लिए तंबाकू और निकोटीन उत्पाद की कीमतें बढ़ाई जानी चाहिए। केंद्र सरकार को तंबाकू उत्पाद की बिक्री की आयु 21 वर्ष लागू करनी चाहिए। सभी तंबाकू और निकोटीन उत्पादों में मेन्थॉल सहित सभी स्वाद सामग्री को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। क्योंकि बिना सरकारी सख्ती के बात नहीं बनने वाली है। यार्क यूनिवर्सिटी की रिसर्च की मानें तो धुआंरहित तंबाकू के प्रयोग से होने वाली बीमारियों के सबसे ज्यादा रोगी भारत में बढ़ रहे हैं।