चंद्रमा की सतह पर मानव द्वारा पहली लैंडिंग की वर्षगांठ के रूप में 20 जुलाई को 'अंतरराष्ट्रीय चंद्रमा दिवस' मनाया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय चंद्रमा दिवस मनाने का आवेदन संयुक्त राष्ट्र कार्यालय फॉर आउटर स्पेस अफेयर्स को प्रस्तुत किया गया था.
संयुक्त राष्ट्र समिति (सीओपीयूओएस) के 64वें सत्र के दौरान 2017 में बने एक गैर-सरकारी संगठन 'मून विलेज एसोसिएशन' ने बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर एक आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसमें 20 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय चंद्रमा दिवस के रूप में नामित करने का अनुरोध किया गया था.
'मून विलेज एसोसिएशन' सरकारों, उद्योग, शिक्षा जगत तथा मून विलेज के विकास में रुचि रखने वाली जनता के लिए एक स्थायी वैश्विक अनौपचारिक मंच के रूप में कार्य करता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 9 दिसंबर 2021 को इस एसोसिएशन तथा संगठन के भीतर कई अन्य समूहों द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को मान्यता प्रदान की, जिसके बाद वैश्विक समुदाय द्वारा यह दिवस 20 जुलाई 2022 को पहली बार मनाया गया.
यह दिवस मनाने का उद्देश्य चंद्रमा के सतत उपयोग और अन्वेषण तथा चंद्र ग्रह पर और उसके आसपास की गतिविधियों के नियमों की आवश्यकता को बताना और बढ़ावा देना है.
इस वर्ष दूसरा अंतरराष्ट्रीय चंद्रमा दिवस 'मानवता के लिए नई चंद्र यात्रा की शुरुआत' थीम के साथ मनाया जा रहा है और ऐसे में भारत के लिए इस दिवस का महत्व बहुत ज्यादा है क्योंकि 14 जुलाई को ही चंद्र मिशन के तहत 'चंद्रयान-3' लांच किया गया है, जो अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है और जिसके 23-24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की संभावना है.
जहां तक 20 जुलाई को 'अंतरराष्ट्रीय चंद्रमा दिवस' मनाए जाने की बात है तो 20 जुलाई 1969 को पहली बार किसी इंसान ने चंद्रमा की सतह पर कदम रखा था. अमेरिकी अंतरिक्ष उड़ान 'अपोलो-11' मिशन के हिस्से के रूप में अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले मानव थे.