अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: सेमीकंडक्टर: छोटे पुर्जे के लिए दुनिया में बड़ी लड़ाई

By अभिषेक कुमार सिंह | Published: August 5, 2023 11:22 AM2023-08-05T11:22:31+5:302023-08-05T11:49:41+5:30

चलते पुर्जों की खासियत ये होती है कि इन्हें किसी भी मोर्चे पर लगा दो, अपनी चतुराई से वहां ये अपना काम निकाल ही लेते हैं। लेकिन पुर्जा तो मुख्यतः एक मशीनी शब्द है।

Semiconductors the world's biggest battle for the smallest parts | अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: सेमीकंडक्टर: छोटे पुर्जे के लिए दुनिया में बड़ी लड़ाई

(Photo Credit: Twitter)

Highlightsइंसानी संदर्भों में चतुर, चालाक, चौकस लोगों को अक्सर 'चलते पुर्जे' की संज्ञा दी जाती है।ये है अर्धचालक यानी सेमीकंडक्टर कहलाने वाली कम्प्यूटरीकृत इलेक्ट्रॉनिक चिप।कौन पूछता था कि उनके मोबाइल, कम्प्यूटर, घड़ी, कार वगैरह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सेमीकंडक्टर चिप लगी है या नहीं।

इंसानी संदर्भों में चतुर, चालाक, चौकस लोगों को अक्सर 'चलते पुर्जे' की संज्ञा दी जाती है। चलते पुर्जों की खासियत ये होती है कि इन्हें किसी भी मोर्चे पर लगा दो, अपनी चतुराई से वहां ये अपना काम निकाल ही लेते हैं। लेकिन पुर्जा तो मुख्यतः एक मशीनी शब्द है। इस संदर्भ में देखें तो हाल के अरसे में एक खास मशीनी कलपुर्जे को 'चलते पुर्जे' जैसी अहमियत मिली है। 

ये है अर्धचालक यानी सेमीकंडक्टर कहलाने वाली कम्प्यूटरीकृत इलेक्ट्रॉनिक चिप। कोरोना वायरस से पैदा महामारी- कोविड 19 के दुनिया में छाए आतंक से पहले सेमीकंडक्टर को विज्ञान के दायरे से बाहर भला कौन जानता था। कौन पूछता था कि उनके मोबाइल, कम्प्यूटर, घड़ी, कार वगैरह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सेमीकंडक्टर चिप लगी है या नहीं। 

अगर लगी है तो कहां बनती है, कैसे बनती है, कौन बनाता है आदि- इनके बारे में जानने की दिलचस्पी शायद ही किसी को होती हो। लेकिन कोविड 19 के दौर में इस पुर्जे की दुनिया में भर सप्लाई का ऐसा संकट पैदा हुआ कि स्मार्ट कारों की डिलीवरी में साल-साल भर की देरी हो गई। वॉशिंग मशीन से लेकर लैपटॉप, स्मार्टफोन आदि की कीमतों में इसकी किल्लत से भारी इजाफा हो गया। 

तब सब जान गए कि आखिर सेमीकंडक्टर क्या बला है। क्यों आज के जमाने में ये इतना जरूरी हो गया है कि इसके बिना न तो घर और न ही देश के चलने की उम्मीद की जा रही है।जो अर्थव्यवस्थाएं सेमीकंडक्टर बनाने और दुनिया में उसे बेचने के बल पर टिकी हुई हैं, उनकी तो इधर लॉटरी ही निकल आई है। 

पर जहां इनकी मांग होने के बावजूद घरेलू स्तर पर निर्माण का कोई खास प्रबंध नहीं है, उनके लिए सेमीकंडक्टर गले की फांस बन गया है। वजह ये है कि हर काम में डिजिटल निर्भरता बढ़ने के कारण सेमीकंडक्टर नाम की इलेक्ट्रॉनिक चिप एक अनिवार्यता बन गई है, लेकिन बाहर से इसे मंगाना वक्त, तमाम बाधाओं वाली इसकी सप्लाई और इसकी कीमत आदि बातों के चलते ये चिप तमाम जटिलताएं पैदा करने लगी है। 

इसलिए ज्यादा बेहतर ये माना जाने लगा है कि घर पर ही इसकी इंडस्ट्री लगाई और बढ़ाई जाए ताकि इसकी नियमित आपूर्ति में कोई अड़चन न आने पाए। इस कसौटी पर देखें तो भारत ने जो राह पकड़ी है, वह इस मामले में काफी आश्वस्तिदायक है। 

हाल में गुजरात के गांधीनगर में आयोजित सम्मेलन 'सेमीकॉन इंडिया 2023' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश में सेमीकंडक्टर उद्योग की वृद्धि के लिए एक पूरा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जा रहा है। इसके लिए यानी सेमीकंडक्टर बनाने की फैक्ट्री लगाने के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों को 50 फीसदी वित्तीय सहायता देने का ऐलान भी किया गया है।

Web Title: Semiconductors the world's biggest battle for the smallest parts

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