आज के डिजिटल युग में डाटा बहुत ही कीमती चीज बन गया है। आप अपने स्मार्टफोन पर कोई भी ऐप डाउनलोड करें, वह अपने नियम और शर्तों के जरिये आपके मोबाइल में मौजूद पर्सनल डाटा तक पहुंच हासिल कर लेता है। कई बार आपने गौर किया होगा कि आप गूगल, फेसबुक या किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कुछ सर्च करते हैं तो उसी से संबंधित विज्ञापन आपको दिखाई देने लगते हैं। इस उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि कंपनियां आपके डाटा का किस तरह से इस्तेमाल करती हैं।
इसलिए डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण की जरूरत बहुत शिद्दत से महसूस की जा रही थी और लोकसभा में सोमवार को डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक, 2023 का पारित होना इस दृष्टि से आम आदमी के लिए राहतकारी है, जो कंपनियां यूजर्स का डाटा इकट्ठा करती हैं उनकी प्रोसेसिंग को यह विधेयक पूरी तरह से पारदर्शी बनाएगा। इस कानून के लागू होने के बाद अगर कोई संस्था यूजर का डाटा स्टोर करना चाहेगी तो इसके लिए उसे अनुमति लेनी होगी।
इतना ही नहीं बल्कि कोई भी संस्था इस डाटा का इस्तेमाल अपना हित साधने के लिए नहीं कर पाएगी। उल्लेखनीय है कि दुनिया के कई प्रमुख देशों में व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा को लेकर सख्त कानून हैं। संयुक्त राष्ट्र की व्यापार और विकास एजेंसी अंकटाड के अनुसार दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत देशों में डाटा सुरक्षा के लिए किसी न किसी प्रकार का कानून है। भारत का व्यक्तिगत डाटा संरक्षण कानून यूरोपीय संघ के सामान्य डाटा संरक्षण विनियमन (जीडीपीआर) के अनुरूप है, जिसे 2018 में लागू किया गया था।
इसके बारे में माना जाता है कि यह दुनिया का सबसे सख्त गोपनीयता और सुरक्षा कानून है। चीन और वियतनाम सहित कई देशों ने भी हाल ही में विदेशों में व्यक्तिगत डाटा के हस्तांतरण को नियंत्रित करने वाले कानूनों को कड़ा कर दिया है।
हालांकि हमारे देश में इस विधेयक के आलोचकों का कहना है कि इसमें सरकार और उसकी एजेंसियों को व्यापक छूट दी गई है, लेकिन संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि पिछले कई वर्षों में संसद की स्थायी समिति सहित अनेक मंचों पर कई घंटों तक इस पर चर्चा हुई है।
उन्होंने कहा कि 48 संगठनों तथा 39 विभागों/मंत्रालयों ने इस पर चर्चा की और इनसे 24 हजार सुझाव/विचार प्राप्त हुए हैं। डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण कानून की आवश्यकता से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन विधेयक के जिन प्रावधानों पर आपत्तियां उठाई जा रही हैं या संदेह व्यक्त किए जा रहे हैं, उनका निवारण करना भी सरकार का दायित्व है।