राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉग: नववर्ष पर लें एक अच्छा इंसान बनने का संकल्प
By राजिंदर सिंह महाराज | Published: January 1, 2021 01:07 PM2021-01-01T13:07:12+5:302021-01-01T13:08:24+5:30
नए साल की शुरुआत में हमें कुछ संकल्प लेने चाहिएं, जिसमें एक अच्छा इंसान बनना हमारी प्राथमिकता हो...
नया साल जब भी शुरू होता है तो बहुत से लोग संकल्प बनाते हैं और कोई संकल्प एक दिन के लिए रखता है, कोई एक हफ्ते के लिए रखता है, कोई एक महीने के लिए रखता है और कोई-कोई होते हैं जो पूरे साल संकल्प बनाए रखते हैं.
हम सब अपनी-अपनी प्राथमिकता के आधार पर अपनी तरक्की व प्रगति के लिए नववर्ष संकल्प करते हैं. कुछ लोग प्रतिदिन व्यायाम का, कुछ ज्यादा मेहनत का, कुछ सुबह जल्दी उठने का, कुछ व्यावसायिक प्रगति का, जबकि कुछ शराब-सिगरेट छोड़ने का.
इन सभी के साथ हमें आध्यात्मिक प्रगति का भी संकल्प करना चाहिए. एक अच्छा, नेक, पवित्र और सदाचारी इंसान बनने के लिए भी प्रयास करना चाहिए. एक अच्छा नेक व्यक्ति बनने के लिए हमें बाहरी दुनिया में नहीं बल्कि अपने अंदर काम करना होगा, अपनी सोच व समझ को निखारना होगा.
हम लोग दुनिया को एक दृष्टिकोण से देखते हैं. जैसे-जैसे हमारी समझ हो, जैसे-जैसे संस्कार हों, जैसे-जैसे हमारी जिंदगी में कुछ ढला हुआ हो, वैसे ही हमारी सोच बननी शुरू हो जाती है तो उस किस्म से हम सोचना और समझना शुरू कर देते हैं. कई बार आप किसी को मिलते हो. उनसे आपकी वार्तालाप ऐसी होती है कि आपको लगता है के ये इंसान सही नहीं. तो फिर आप उसी नजर से उनको देखना शुरू कर देते हो और ये भूल जाते हो कि वो इंसान जो आपको सही नहीं लग रहा उसमें शायद कई चीजें अच्छी हों.
सोचने योग्य बात यह है कि क्यों हम कुछ लोगों को पसंद नहीं करते, या क्यों कुछ लोग हमें पसंद नहीं करते? ये इसलिए क्योंकि हम अपने आस-पास के लोगों का आकलन केवल अपनी भौतिक दृष्टि से करते हैं. हमें याद रखना चाहिए कि सब धर्मग्रंथ हमें यही समझाते हैं कि हम सभी पिता परमेश्वर की संतान हैं. उन्हें किसी भी नाम से पुकारें, उनके हम अंश हैं, बच्चे हैं और वो हिस्सा जिसको हम आत्मा कहते हैं, वो ही हमें जान दे रही है और जैसे एक अंश प्रभु का हम में है, ऐसा औरों में भी है.
हमें जब ये अहसास हो जाएगा कि जो प्रभु की शक्ति हम में काम कर रही है, वो ही दूसरे मनुष्यों में, जानवरों में और पेड़-पौधों में भी है, तब हम सबको अपना समझने लगेंगे. हमारी संवेदनशीलता औरों के प्रति बढ़ जाएगी, हमारी सोच व समझ सही मायने में बढ़ेगी.