Narak Chaturdashi 2024: यम यातना से मुक्ति के लिए दीपदान, क्या है महत्व
By योगेश कुमार गोयल | Updated: October 30, 2024 05:22 IST2024-10-30T05:22:30+5:302024-10-30T05:22:30+5:30
Narak Chaturdashi, Choti Diwali Date 2024: कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाए जाने वाले पर्व ‘नरक चतुर्दशी’ नाम में ‘नरक’ शब्द से ही आभास होता है कि इस पर्व का संबंध किसी न किसी रूप में मृत्यु अथवा यमराज से है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन यमराज का पूजन करने तथा व्रत रखने से नरक की प्राप्ति नहीं होती.

सांकेतिक फोटो
Narak Chaturdashi, Choti Diwali Date 2024: कार्तिक कृष्ण पक्ष में पांच पर्वों का जो विराट महोत्सव मनाया जाता है, महापर्व की उस श्रृंखला में सबसे पहले पर्व धनतेरस के बाद दूसरा पर्व आता है ‘नरक चतुर्दशी’. हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है. कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाए जाने वाले पर्व ‘नरक चतुर्दशी’ नाम में ‘नरक’ शब्द से ही आभास होता है कि इस पर्व का संबंध किसी न किसी रूप में मृत्यु अथवा यमराज से है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन यमराज का पूजन करने तथा व्रत रखने से नरक की प्राप्ति नहीं होती.
दीपावली से ठीक एक दिन पहले मनाए जाने वाले इस पर्व की तिथि को लेकर इस बार लोगों के मन में भ्रम की स्थिति है कि यह पर्व 30 अक्तूबर को मनाया जाएगा या 31 अक्तूबर को. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 30 अक्तूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से शुरू हो रही है और चतुर्दशी तिथि अगले दिन यानी 31 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी.
यम चतुर्दशी की पूजा चूंकि प्रदोष काल यानी शाम के समय ही की जाती है इसीलिए नरक चतुर्दशी 30 अक्तूबर को ही मनाई जाएगी. इस दिन शाम 5 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 2 मिनट तक यम के लिए दीपदान का शुभ मुहूर्त है. नरक चतुर्दशी पर्व को ‘नरक चौदस’, ‘रूप चतुर्दशी’, ‘काल चतुर्दशी’ तथा ‘छोटी दीवाली’ के नाम से भी जाना जाता है.
इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और धर्मराज चित्रगुप्त का पूजन किया जाता है और यमराज से प्रार्थना की जाती है कि उनकी कृपा से हमें नरक के भय से मुक्ति मिले. इसी दिन रामभक्त हनुमान का भी जन्म हुआ था और इसी दिन वामन अवतार में भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगते हुए तीनों लोकों सहित बलि के शरीर को भी अपने तीन पगों में नाप लिया था.
हनुमान जयंती वैसे तो चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, लेकिन उत्तर भारत के कई भागों में यह दीपावली से एक दिन पहले भी मनाई जाती है. यम को मृत्यु का देवता और संयम का अधिष्ठाता देव माना गया है. नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना शुभ माना गया है और सायंकाल के समय यम के लिए दीपदान किया जाता है.
आशय यही है कि संयम-नियम से रहने वालों को मृत्यु से जरा भी भयभीत नहीं होना चाहिए. इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने का आशय ही आलस्य का त्याग करने से है और इसका सीधा संदेश यही है कि संयम और नियम से रहने से उनका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा और उनकी अपनी साधना ही उनकी रक्षा करेगी.
धनतेरस, नरक चतुर्दशी तथा दीपावली के दिन दीपक जलाए जाने के संबंध में एक मान्यता यह भी है कि इन दिनों में वामन भगवान ने अपने तीन पगों में संपूर्ण पृथ्वी, पाताल लोक, ब्रह्मांड व महादानवीर दैत्यराज बलि के शरीर को नाप लिया था और इन तीन पगों की महत्ता के कारण ही लोग यम यातना से मुक्ति पाने के उद्देश्य से तीन दिनों तक दीपक जलाते हैं तथा सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति हेतु मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं.