लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: आरोग्य के देवता धन्वंतरि का अवतरण दिवस है धनतेरस

By योगेश कुमार गोयल | Published: November 10, 2023 11:37 AM

पांच दिवसीय दिवाली महोत्सव की शुरुआत प्रतिवर्ष स्वास्थ्य चेतना जागृति के पर्व ‘धनतेरस’ से ही होती है। इन पांच दिनों को शास्त्रों में ‘यम पंचक’ कहा गया है और इन दिनों में यमराज, वैद्यराज धन्वंतरि, लक्ष्मी-गणेश, हनुमान, काली और भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है।

Open in App
ठळक मुद्देभगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12वां अवतार धन्वंतरि का माना गया हैयह त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता हैधनतेरस को अब भारत में ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है

प्रतिवर्ष दीवाली से पहले ‘धनतेरस’ त्यौहार मनाया जाता है। इसी दिन धनत्रयोदशी से शुरू होकर यम द्वितीया तक दिवाली के पंच पर्व की शुरुआत होती है। पांच दिवसीय दिवाली महोत्सव की शुरुआत प्रतिवर्ष स्वास्थ्य चेतना जागृति के पर्व ‘धनतेरस’ से ही होती है। इन पांच दिनों को शास्त्रों में ‘यम पंचक’ कहा गया है और इन दिनों में यमराज, वैद्यराज धन्वंतरि, लक्ष्मी-गणेश, हनुमान, काली और भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है।

‘धन्वंतरि जयंती’ आरोग्य के देवता धन्वंतरि का अवतरण दिवस है। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12वां अवतार धन्वंतरि का माना गया है। धनतेरस के प्रचलन का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है। यह त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। धनतेरस को अब भारत में ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है। धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता और देवताओं का चिकित्सक माना गया है इसलिए धनतेरस को चिकित्सकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।

धन्वंतरि को आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है, जिन्होंने विश्वभर की वनस्पतियों पर अध्ययन कर उनके अच्छे और बुरे प्रभावों व गुणों को प्रकट किया। इस दिन आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि तथा धन एवं समृद्धि की देवी लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय इसी दिन धन्वंतरि आयुर्वेद और अमृत लेकर प्रकट हुए थे। दिवाली महापर्व का पहला दीप जलाकर शुरू हुए महोत्सव का एक अंग नए बर्तन खरीदना भी है, ताकि भगवान के लिए भोग-प्रसाद नए पात्र में तैयार किया जा सके।

दरअसल धन्वंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था और चूंकि भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसीलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा है। धनतेरस मनाए जाने के संबंध में जो प्रचलित कथा है, उसके अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन देवताओं और असुरों द्वारा मिलकर किए जा रहे समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से निकले नवरत्नों में से एक धन्वंतरि ऋषि भी थे, जो जनकल्याण की भावना से अमृत कलश सहित अवतरित हुए थे।

समुद्र मंथन की इस कथा का उल्लेख श्रीमद्भागवत पुराण, विष्णु पुराण, अग्नि पुराण, महाभारत इत्यादि विभिन्न पुराणों में मिलता है। समुद्र मंथन के दौरान कई प्रकार की औषधियां उत्पन्न हुईं और उसके बाद अमृत निकला। इसी अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच भयानक संग्राम हुआ था। धन्वंतरि ऋषि ने समुद्र से निकलकर देवताओं को अमृतपान कराया और उन्हें अमर कर दिया। यही वजह है कि धन्वंतरि को ‘आरोग्य का देवता’ माना जाता है और आरोग्य तथा दीर्घायु प्राप्त करने के लिए ही लोग इस दिन उनकी पूजा करते हैं।

टॅग्स :धनतेरसदिवालीत्योहारदिल्लीशॉपिंग
Open in App

संबंधित खबरें

भारतSwati Maliwal Assault Allegations: 'स्वाति मेरी चचेरी बहन नहीं हैं', 9 साल पुराना केजरीवाल का पोस्ट हुआ वायरल

विश्वNepal Rs 100: 100 रुपए के नए नोट पर रार, नेपाल राष्ट्रपति पौडेल के आर्थिक सलाहकार चिरंजीवी ने दिया इस्तीफा, नक्शे में कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को किया शामिल...

पूजा पाठशारदा पीठ कॉरिडोर के निर्माण हेतु प्रयास करना हमारी प्राथमिकता हैः महर्षि केशवानंद

भारतराजस्थान: जयपुर के कई स्कूलों को मिली बम से उड़ाने की धमकी, छात्रों को निकाला गया

क्राइम अलर्टFarrukhabad: भैया, मामा ने कई बार लूटी मेरी आबरू, पीड़िता ने चचेरे मामा पर लगाए आरोप

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 14 May 2024: आज वृषभ, कर्क और कन्या समेत इन 5 राशिवालों के योग में है धन, आर्थिक लाभ के प्रबल संकेत

पूजा पाठआज का पंचांग 14 मई 2024: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठआज का पंचांग 13 मई 2024: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठGanga Saptami Katha: जब क्रोध में गंगा नदी को पूरा पी गए महर्षि जह्नु, फिर आगे क्या हुआ? पढ़ें गंगा सप्तमी की रोचक कथा

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 13 May 2024: आज इन 3 राशिवालों के जीवन से हटेंगे निराशा के बादल, पढ़ें दैनिक राशिफल