ब्लॉग: भारतीय संस्कृति में नाग पूजा का महत्व
By योगेश कुमार गोयल | Published: August 21, 2023 09:20 AM2023-08-21T09:20:15+5:302023-08-21T09:24:24+5:30
भगवान शिव को नाग बहुत प्रिय हैं और इसीलिए नाग देवता वासुकि गले का हार बनकर उनके गले की शोभा बढ़ाते हैं इसीलिए ‘नाग पंचमी’ के अवसर पर नाग देवता के साथ भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक भी किया जाता है।
नागों की पूजा का भारतीय संस्कृति में बड़ा महत्व है। माना जाता है कि भगवान शिव को नाग बहुत प्रिय हैं और इसीलिए नाग देवता वासुकि गले का हार बनकर उनके गले की शोभा बढ़ाते हैं इसीलिए ‘नाग पंचमी’ के अवसर पर नाग देवता के साथ भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक भी किया जाता है।
प्रतिवर्ष श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को देशभर में नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है, जो इस वर्ष 21 अगस्त को मनाया जा रहा है। हालांकि कुछ राज्यों में चैत्र तथा भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन भी ‘नाग पंचमी’ मनाई जाती है।
ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं, इसीलिए मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के आभूषण नाग देवता की पूजा पूरे विधि-विधान से करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि के अलावा आध्यात्मिक शक्ति, अपार धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सर्पदंश के भय से भी मुक्ति मिलती है।
कुछ धर्मग्रंथों में नागों को पूर्वजों की आत्मा के रूप में भी माना गया है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार नागों को पौराणिक काल से ही देवता के रूप में पूजा जाता रहा है और नाग पंचमी के दिन नाग पूजन करने का तो काफी ज्यादा महत्व माना गया है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नागों को कृषक मित्र जीव माना गया है। दरअसल ये खेतों में फसलों के लिए खतरनाक जीवों, चूहों इत्यादि का भक्षण कर फसलों के लिए मित्र साबित होते हैं लेकिन वर्तमान समय में नागों या सांपों की खाल, जहर इत्यादि चीजों से बड़े व्यापारिक लाभ के लिए बड़ी संख्या में इन्हें मारा और बेचा जाता है।
इसी कारण वन्य और जीव-जंतु विभाग तथा सरकारों द्वारा नागों को संरक्षित करने के लिए सांपों को पकड़ने पर रोक लगाई जाती है।