माजिद पारेख का ब्लॉग: ईद-उल-फितर के संदेश को समझो
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 5, 2019 07:05 AM2019-06-05T07:05:29+5:302019-06-05T07:05:29+5:30
सभी इंसानों को रहम, मनोहरता, कृपा, दया, और करुणा के चश्मे के माध्यम से देखा जाना चाहिए, तभी दुनिया मना सकती है शांतिपूर्ण और आनंदमयी ईद.
संसार के मालिक को इंसान से इस दुनिया में एक बेहतरीन किरदार चाहिए जिसमें इंसान का ईमान एक अकेले मालिक के लिए बिलकुल खालिस और शुद्ध हो. और इंसान यह सोचे कि यह दुनिया हमेशा की नहीं बल्कि खत्म होने वाली दुनिया है. इस पर जीवन भी हमेशा का नहीं है. इंसान अपनी मौत को याद करते हुए जीवन गुजारेगा तो उसके दिल में दुनिया की रंगीनियों की इमारत धराशायी हो जाएगी. अपने मालिक की दी हुई सलाहियतों और क्षमताओं को इंसानियत के फायदे और लाभ के लिए इस्तेमाल करे. अपने मालिक द्वारा हिसाब लिए जाने से इस दुनिया में लरजते हुए जीवन गुजारे.
रमजान के महीने में पैगम्बर मोहम्मद साहब (स.) पर जो पवित्न किताब का अवतरण शुरू हुआ उसके संदेश में है कि इंसान संपूर्ण तौर पर अपने आप को एक अकेले मालिक की गुलामी में दे दे. और उसकी बंदगी में अपनी किसी भी इच्छा को कोई अपवाद में न रखे. उसी की दी हुई हिदायत और सन्मार्ग से अपनी जिंदगी के जीने का तरीका बनाए. ऐसा न हो कि जबान से तो अपने आपको उसके हवाले करने का दावा करे, लेकिन अपने जीवन की प्रक्रि या में वैसा रवैया न अपनाए जो एक अकेले ईश्वर के आज्ञाकारी बंदे का होना चाहिए.
इंसान को इस दुनिया में इसलिए भेजा जाता है कि अपनी सीमित जिंदगी में रहते हुए इम्तेहान का पर्चा पूरा करे, उसके बाद वह इस दुनिया से चला जाएगा. इससे ज्यादा उसकी हैसियत नहीं. इंसान इस दुनिया में मालिक की चीजों का इस्तेमाल तो कर सकता है लेकिन इनको बदलने या मिटाने की ताकत उसमें नहीं. इंसान को यह छूट है कि वह इस हकीकत का इंकार कर दे, लेकिन इस हकीकत को बदलना उसके लिए मुमकिन नहीं.
इंसान अपनी मनमानी पर चल सकता है, लेकिन उसके लिए मुमकिन नहीं कि वह अपने ही बनाए हुए कानून पर रह कर कयामत की सफलता को पहुंच जाए. अब एक ही रास्ता है कि अपने आपको एक अकेले ईश्वर के हवाले कर दे, अपनी मर्जी और इच्छाओं को अपने मालिक के सुपुर्द कर दे, तो ऐसे व्यक्ति ने अपने रब का ऐसा सहारा थाम लिया कि उसे इस बात का कोई खतरा नहीं कि उसे गलत मार्गदर्शन मिलेगा.
सभी इंसानों को रहम, मनोहरता, कृपा, दया, और करुणा के चश्मे के माध्यम से देखा जाना चाहिए, तभी दुनिया मना सकती है शांतिपूर्ण और आनंदमयी ईद.