Akshaya Tritiya: सर्वसिद्ध मुहूर्त का पर्व है अक्षय तृतीया, द्वापरयुग इसी तिथि को हुआ था खत्म, जानिए और क्या हैं इससे जुड़ी मान्यताएं

By योगेश कुमार गोयल | Published: April 22, 2023 09:22 AM2023-04-22T09:22:55+5:302023-04-22T09:23:31+5:30

Akshaya Tritiya: festival of universal auspicious time, Dwapara yuga ended on this date, know mythological stories and importance | Akshaya Tritiya: सर्वसिद्ध मुहूर्त का पर्व है अक्षय तृतीया, द्वापरयुग इसी तिथि को हुआ था खत्म, जानिए और क्या हैं इससे जुड़ी मान्यताएं

Akshaya Tritiya: सर्वसिद्ध मुहूर्त का पर्व है अक्षय तृतीया, द्वापरयुग इसी तिथि को हुआ था खत्म, जानिए और क्या हैं इससे जुड़ी मान्यताएं

अक्षय तृतीया पर्व हिंदू धर्म में प्रत्येक शुभ एवं मांगलिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष अक्षय तृतीया पर्व 22 अप्रैल को मनाया जा रहा है. अक्षय तृतीया संपूर्ण पापों का नाश करने वाली और समस्त सुख प्रदान करने वाली मानी गई है. विभिन्न शास्त्रों के अनुसार इस दिन हवन, जप, दान, स्वाध्याय, तर्पण इत्यादि जो भी कर्म किए जाते हैं, वे सब अक्षय हो जाते हैं. 

मान्यता है कि द्वापर युग इसी तिथि को समाप्त हुआ था जबकि त्रेता, सतयुग और कलियुग का आरंभ इसी तिथि को हुआ था, इसीलिए इसे कृतयुगादि तृतीया भी कहा जाता है. भारत में कई स्थानों पर अक्षय तृतीया को ‘आखा तीज’ के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व का उल्लेख मत्स्य पुराण, नारदीय पुराण, भविष्य पुराण, विष्णु धर्म सूत्र इत्यादि में भी मिलता है.

भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की गणना युगादि तिथियों में होती है. इस तिथि की अधिष्ठात्री देवी पार्वती मानी गई हैं और इस दिन मां लक्ष्मी की भी विधिवत पूजा की जाती है. भगवान शिव और मां पार्वती तथा भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से इनकी कृपा बरसती है, समृद्धि आती है, जीवन धन-धान्य से भरपूर होता है और संतान भी अक्षय बनी रहती है. 
मांगलिक कार्यों के लिए यह दिन बेहद शुभ माना गया है. जिस प्रकार सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं, वैशाख के समान कोई मास नहीं और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं, उसी प्रकार अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है. 
मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन स्वयंसिद्ध योग होते हैं और इस दिन बिना मुहूर्त निकलवाए कोई भी शुभ कार्य सम्पन्न किया जा सकता है. इसीलिए लोग बिना पंचांग देखे अक्षय तृतीया के दिन विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार, धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, घर, भूखंड या नए वाहन आदि की खरीदारी इत्यादि विभिन्न शुभ कार्य करते हैं. 

पुराणों के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान, दान, जप, स्वाध्याय इत्यादि करना शुभ होता है. अक्षय तृतीया पर इस बार खरीदारी के लिए तीन राजयोग भी बन रहे हैं. मान्यता है कि यदि अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र को आए तो इस दिवस की महत्ता कई गुना बढ़ जाती है. 

इस वर्ष अक्षय तृतीया पर्व शनिवार 22 अप्रैल को है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्षय तृतीया पर 6 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. इन शुभ संयोगों में त्रिपुष्कर योग, आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग शामिल हैं.

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