कहां थे, किससे बात कर रहे थे, फोन क्यों नहीं उठाया... इतना इग्नोर?
By गुलनीत कौर | Published: January 18, 2018 11:42 AM2018-01-18T11:42:57+5:302018-01-19T11:30:16+5:30
पजेसिवनेस तब आती है जब हम किसी के प्रति अधिक सीरियस हो जाते हैं। रिश्ता प्यार का हो या दोस्ती का, हम चाहते हैं कि सामने वाला केवल हमें ही अटेंशन दे।
'पजेसिवनेस'... यह एक ऐसा शब्द है जो प्यार के रिश्ते में अक्सर सुनने को मिलता है। इसकी परिभाषा की बात करें तो कई अलग-अलग तर्क निकलकर आते हैं। कोई कहता है पजेसिवनेस प्यार व्यक्त करने का एक तरीका है जिसमें पार्टनर अधिक केयर दिखाता है। वहीं कुछ का मानना है कि पजेसिवनेस सिर्फ 'जलन' का दूसरा नाम ही है, जो रिश्ते को खराब कर देता है।
खैर आसान शब्दों में पजेसिव या पजेसिवनेस तब आती है जब हम किसी के प्रति अधिक सीरियस हो जाते हैं। रिश्ता प्यार का हो या दोस्ती का, हम चाहते हैं कि सामने वाला केवल हमें ही अटेंशन दे। उसका ध्यान कहीं और भटकना नहीं चाहिए। अब यह फीलिंग कितनी सही है और कितनी गलत, इसपर हर किसी कि अपनी-अपनी राय होती है।
खुद को रिलेशनशिप एक्सपर्ट तो नहीं कहूंगी लेकिन मेरे हिसाब से पजेसिवनेस का एक रिश्ते में होना जरूरी है, लेकिन एक सीमा तक ही। साथी के पजेसिव होने से रिश्ते को कुछ फायदे मिलते हैं - जैसे कि इससे पता चलता है कि वह आपकी केयर करता है या नहीं। अगर आप उसकी बजाय किसी और से बात कर रहे हैं और इस बात पर वो पजेसिव होकर आपका ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है तो यह इस बात का सबूत है कि वह आपको या आपके समय को किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहता है।
लेकिन फायदों से ज्यादा तो इसके नुकसान होते हैं। पार्टनर के अधिक पजेसिव होने से रिश्ते में घुटन होने लगती है। पजेसिव बिहेवियर जब जलन में तब्दील होने लगता है तो यह रिश्ते के विश्वास को तोड़ता है। फिर दोनों में टकराव और अंत में रिश्ता टूट जाना सामान्य बात होती है।
लेकिन पजेसिव बिहेवियर होते हुए भी अगर 4 बातों को ध्यान में रखा जाए तो रिश्ते पर इसका बुरा असर कभी नहीं पड़ेगा-
अगर स्पेस देंगे
पार्टनर को जितने स्पेस की जरूरत है अगर समय से वह दे दी जाए तो पजेसिव बिहेवियर कभी भी रिश्ते पर हावी नहीं होगा। हर किसी की अपनी एक पर्सनल लाइफ होती है और उसे उसको एंजॉय करने देना चाहिए। यह बात हर पार्टनर को समझनी चाहिए।
उन्हें बांधे नहीं
प्यार का रिश्ता दो लोगों को बांधता है लेकिन पजेसिव बिहेवियर के चलते दोनों एक दूसरे से जबरदस्ती बंधने लगते हैं। पार्टनर को भरपूर फ्रीडम देंगे तो रिश्ता मजबूरी नहीं लगेगा।
सवालों की संख्या हो कम
बात-बात पर सवाल करने से हम रिश्ते की सच्चाई और विश्वास को तोड़ते हैं। कहां थे, किसके साथ थे, किससे बात कर रहे थे, तुम मुझे इग्नोर तो नहीं कर रहे... ऐसे सवाल निराश करते हैं।
किसी को बदलना ठीक नहीं
शुरुआत में जिन बातों को पसंद करके रिश्ता बनाया था बाद में उन्हें ही बदल देना गलत नहीं है? अपने पजेसिव बिहेवियर के चलते कई लोग ऐसे काम करते हैं जो धीरे-धीरे उनके रिश्ते को खोखला कर देता है।
अगर इन बातों पर गौर किया जाए और खुद पर अमल भी किया जाए तो पजेसिव बिहेवियर के होते हुए भी प्रेमी-प्रेमिका एक हेल्दी रिश्ते को निभा सकते हैं।