राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉग : दुनिया में सिर्फ मां और बच्चे का संबंध ही होता है पूर्णत: नि:स्वार्थ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 12, 2019 07:10 IST2019-05-12T07:10:31+5:302019-05-12T07:10:31+5:30

एक मां का प्रेम अपने बच्चे के लिए दिल से दिल की राह है. मां और बच्चे के रिश्ते के बीच लालच का कोई स्थान नहीं है. एक मां अपने बच्चे के लिए सब कुछ न्यौछावर कर देती है.  

Rajinder Singh Maharaj's blog: Only the mother and child are concerned in the world, completely selfless | राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉग : दुनिया में सिर्फ मां और बच्चे का संबंध ही होता है पूर्णत: नि:स्वार्थ

मां और बच्चे का संबंध ही सिर्फ एक ऐसा प्रेम है जो कि पूर्णत: पवित्र व स्वार्थ से रहित है

मदर्स डे एक ऐसा दिन है जो सारे संसार में अपनी माताओं को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. मां और बच्चे का संबंध ही सिर्फ एक ऐसा प्रेम है जो कि पूर्णत: पवित्र व स्वार्थ से रहित है. यदि हम अपने जीवन से उदाहरण लें तो देखते हैं कि सबसे ऊंची व अच्छी मिसाल मां और बच्चे के सांसारिक प्रेम की ही है.

हम देखते हैं कि कैसे एक छोटा बच्चा अपनी मां के बालों को खींचता है और उसके गालों पर थप्पड़ मारता है तो भी मां को उसकी इन हरकतों पर क्रोध नहीं आता. यहां तक कि अगर बच्चा गंदगी से लिपटा हुआ अपनी मां के पास आता है तो भी वह बच्चे को गले से लगा लेती है. एक मां का प्रेम अपने बच्चे के लिए दिल से दिल की राह है. मां और बच्चे के रिश्ते के बीच लालच का कोई स्थान नहीं है. एक मां अपने बच्चे के लिए सब कुछ न्यौछावर कर देती है.  

एक मां अपने बच्चे के प्रेम के सिवाय इस दुनिया के जितने भी लगाव व प्रेम हैं उनको छोड़ देती है. जब बच्चा उसकी बांहों में लेटा होता है तो वह सब कुछ भूल जाती है और सिर्फ अपने बच्चे के प्रेम में मगन रहती है. एक मां इस रिश्ते में अपना आपा अर्थात् अहंकार त्याग देती है. इसी प्रकार एक मां अपने बच्चे की इच्छाओं के आगे स्वयं को झुका लेती है और उसकी नि:स्वार्थ भाव से सेवा करती है. हम जानते हैं कि एक मां का अपने बच्चे के प्रति प्रेम नाजुक और हृदय स्पर्शी है. यह सांसारिक प्रेम का शुद्ध रूप है जो कि पूरी तरह से स्वार्थ से रहित है. इसके साथ ही बच्चों को भी यह जानना और समझना चाहिए कि उनकी माताएं किस प्रकार उनकी सेवा करती हैं और कितना वे उनके आराम और सुख-सुविधा के लिए त्याग करती हैं. जब हम बड़े हों तो हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपनी माताओं के लिए क्या करें. हम उन्हें आदर सहित प्रेम करके ऐसा कर सकते हैं. 

इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि एक प्रभु का प्रेम अपने शिष्य के लिए हजारों माताओं के प्रेम से भी बढ़कर है. सर्वशक्तिमान पिता-परमेश्वर हम सभी को बहुत प्रेम करते हैं. वे हमसे किसी भी प्रकार की कोई आशा नहीं करते और वे केवल हमें देने के लिए ही आते हैं. वे हमेशा हमें अपने अंतर में जाकर उनसे जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं.

हम मदर्स डे के दिन यह प्रतिज्ञा करें कि अपनी मां के नि:स्वार्थ प्यार को न सिर्फ मदर्स डे के दिन स्मरण करेंगे बल्कि उसे प्रतिदिन अपने दिलों में संजो कर रखेंगे. हम परम पिता-परमात्मा का भी शुक्रिया अदा करें कि उन्होंने हमें मानव जीवन का सुनहरा अवसर प्रदान किया है और उनके अनगिनत आशीर्वाद व असीम प्रेम का शुक्रिया अदा करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम प्रेम से सदाचारी जीवन जीते हुए ध्यान-अभ्यास में समय दें और आध्यात्मिक मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ें.

Web Title: Rajinder Singh Maharaj's blog: Only the mother and child are concerned in the world, completely selfless

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