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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: जम्मू-कश्मीर चुनाव से मजबूत होता लोकतंत्र

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: December 24, 2020 09:07 IST

जम्मू-कश्मीर के जिला विकास परिषद के चुनाव के नतीजों के अलग-अलग मायने सभी पार्टियां निकाल रही हैं. गुपकार और भाजपा के अपने-अपने दावे हैं. वैसे ये भी पहली बार हुआ है कि कश्मीर की घाटी में भाजपा के तीन उम्मीदवार जीते हैं.

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर के जिला विकास परिषद के चुनाव में गुपकार गठबंधन को सर्वाधिक सीटें पर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी अब 20 जिला परिषदों में से 13 गुपकार के कब्जे में होने की उम्मीदपहली बार ऐसा हुआ कि कश्मीर की घाटी में भाजपा के तीन उम्मीदवार जीते हैं

जम्मू-कश्मीर के जिला विकास परिषद के चुनाव परिणामों का क्या अर्थ निकाला जाए? उसकी 280 सीटों में से गुपकार गठबंधन को सर्वाधिक सीटें मिली हैं लेकिन भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. 

असली टक्कर गुपकार मोर्चे और भाजपा में है. दोनों दावा कर रहे हैं कि उनकी विजय हुई है. कांग्रेस ने अपने चिह्न् पर चुनाव लड़ा है लेकिन वह गुपकार के साथ है और निर्दलीयों का पता नहीं कि कौन किसके खेमे में जाएगा. 

गुपकार मोर्चे के नेता डॉ. फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने धारा 370 और 35-ए को खत्म करने के केंद्र सरकार के कदम को रद्द कर दिया है. वे इसका प्रमाण यह बताते हैं कि इस बार हुए इन जिला चुनावों में 51 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने मतदान किया. लेकिन भाजपा का कहना है कि उसे सबसे ज्यादा वोट मिले हैं.

अंदाज लगाया जा रहा है कि अब 20 जिला परिषदों में से 13 गुपकार के कब्जे में होंगी. गुपकार पार्टियों ने गत वर्ष हुए दो स्थानीय चुनावों का बहिष्कार किया था लेकिन इन जिला चुनावों में उसने भाग लेकर दर्शाया है कि वह लोकतांत्रिक पद्धति में विश्वास करती है. 

इसके बावजूद उसे जो प्रचंड बहुमत मिलने की आशा थी, वह इसलिए भी नहीं मिला हो सकता है कि एक तो उसके नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के तीखे आरोप लगे, उनमें से कुछ ने पाकिस्तान और कुछ ने चीन के पक्ष में अटपटे बयान दे दिए. इन पार्टियों के कुछ महत्वपूर्ण नेताओं ने अपने पद भी त्याग दिए. 

इतना ही नहीं, पहली बार ऐसा हुआ है कि कश्मीर की घाटी में भाजपा के तीन उम्मीदवार जीते हैं. पार्टी के तौर पर इस चुनाव में भाजपा ने अकेले ही सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं लेकिन जम्मू क्षेत्र में अधिकांश सीटें जीतने के बावजूद उसे अपेक्षा से कम सीटें मिली हैं.

उसका कारण शायद यह रहा हो कि इस बार कश्मीरी पंडितों ने ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया और भाजपा ने विकास आधारित रचनात्मक अभियान पर कम और गुपकार को बदनाम करने में ज्यादा ताकत लगाई. 

अब यदि ये जिला परिषदें ठीक से काम करेंगी और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा उनसे संतुष्ट होंगे तो कोई आश्चर्य नहीं कि नए साल में जम्मू-कश्मीर फिर से पूर्ण राज्य बन जाएगा.    

टॅग्स :जम्मू कश्मीरभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)फारूक अब्दुल्लाकांग्रेस
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