अगर चुनाव आयोग से पहले टीवी चैनल बताएंगे इलेक्शन की तारीख तो कैसे बचेगी लोकतंत्र में आस्था?
By रंगनाथ | Published: March 27, 2018 04:39 PM2018-03-27T16:39:23+5:302018-03-27T17:21:55+5:30
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने मंगलवार को कर्नाटक विधान सभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की। राज्य में 12 मई को मतदान होगा और 15 मई को मतगणना होगी।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय एक बार फिर चर्चा में है। वो पहले भी कई बार चर्चा में आ चुके हैं लेकिन ग़लत या भ्रामक खबरों या ट्वीट को लेकर। लेकिन इस बार नियति ने उनके संग उलटा खेल खेल दिया है। इस बार वो सही ख़बर देने की वजह से चर्चा में है। बस उनसे थोड़ी सी चूक हो गयी। उन्होंने चुनाव आयोग से पहले ही कर्नाटक विधान सभा चुनाव 2018 की तारीखों की ट्विटर पर घोषणा कर दी। मंगलवार (27 मार्च) को मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत प्रेस वार्ता करके पत्रकारों को कर्नाटक चुनाव का ब्योरा दे रहे थे। रावत ने अभी वोटिंग और काउंटिंग की तारीख बतायी भी नहीं थी कि ट्विटर पर अमित मालवीय का ट्वीट वायरल होने लगा। मालवीय ने ट्वीट किया था कि मतदान 12 मई को और मतगणना 18 मई को होगी। सवालों से घिरने के बाद मालवीय ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।
प्रेस वार्ता में पत्रकारों ने मुख्य चुनाव आयुक्त से पूछा तो उन्होंने उचित कार्रवाई करने की बात कहकर मामले को फौरी तौर पर टाल दिया। लेकिन तीर कमान से निकल चुका था। कांग्रेस ने तुरत-फुरत बीजेपी को सुपर इलेक्शन बता दिया। अमित मालवीय ने अपने बचाव में कहा कि उन्होंने टाइम्स नाउ टीवी चैनल देखकर ट्वीट किया था। हैरत की बात ये है कि अमित मालवीय इस बार भी सच्चे प्रतीत हुए। टाइम्स नाउ चैनल के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर सोमवार (26 मार्च) रात साढ़े दस बजे के करीब ही ब्रेकिंग न्यूज चला दी गयी थी कि कर्नाटक चुनाव के लिए 12 मई को मतदान होगा और 15 मई को नतीजे आएँगे।
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कुछ समाचार चैनलों ने खबर चलायी कि अमित मालवीय ने सोमवार रात को भी कर्नाटक चुनाव के बारे में ट्वीट किया था और उसे भी डिलीट कर दिया था। इतना साफ है कि सोमवार रात और मंगलवार दिन में चुनाव आयोग से पहले टाइम्स नाओ चैनल और बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कर्नाटक चुनाव की तारीखों की घोषणा चुनाव आयोग से पहले कर दी थी। कैसे इसका जवाब अब चुनाव आयोग को देना है, जाँच एजेंसियों को देना है।
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पिछले कुछ सालों में चुनाव आयोग कई बार विवादों से घिर चुका है। दिल्ली में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में आम आदमी पार्टी के विधायकों की सदस्यता रद्द करना का फैसला हो गोवा या मेघालय जैसे राज्यों में सरकार गठन को लेकर चुनाव आयोग पर उठे सवाल या ईवीएम से जुड़ी आम लोगों या राजनीतिक दलों की चिंताएँ आयोग को इनका उन्मूलन करना होगा। चुनाव आयोग को ध्यान रखना होगा कि लोकतंत्र की विश्वसनीयता स्वच्छ एवं पारदर्शी चुनाव पर ही निर्भर है। अगर लोगों का चुनाव आयोग से भरोसा उठा तो लोकतंत्र से विश्वास उठते देर नहीं लगेगी। चुनाव आयोग को वो कार्रवाई करके दिखाने होगी जिसका उसने पत्रकारों को आश्वासन दिया है।