कौन है वो 'दलित चेहरा' जिसने PM मोदी के गढ़ में लगाई सेंध!
By कोमल बड़ोदेकर | Published: December 18, 2017 09:56 PM2017-12-18T21:56:39+5:302017-12-18T23:33:22+5:30
जिसकी सरहदें कल तक सिर्फ वडगाम की गलियों तक सीमित थी वो 'दलित चेहरा' जीत के साथ ही आज सुर्खियों में छा गया है।
कल तक जिसकी पहचान सिर्फ गुजरात तक सीमित थी। आज वही शख्स उन सीमाओं को तोड़ आसमान की बुलंदियों को छू रहा है। जी हां हम बात कर रहे हैं एक ऐसे युवा नेता की जिसने राजनीति में अपनी जमीन खुद तलाशी और न सिर्फ निर्दलीय चुनाव बल्कि लोगों के दिलों को भी जीता। इस युवा का नाम जिग्नेश मेवानी है। जिन्होंने वडगाम सीट से न सिर्फ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी दावेदारी पेश की बल्कि अपनी धुर विरोधी पार्टी बीजेपी को धूल चटाई। आज हर शख्स की जुबां पर इस दलित नेता का नाम है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर कौन है जिग्नेश। जिसकी सरहदें कल तक सीमित थी आज वहीं जिग्नेश जीत के साथ सुर्खियों में भी छा गया है।
शुरूआती जीवन और शिक्षा
11 दिसंबर 1980 को अहमदाबाद में जन्में 37 वर्षिय जिग्नेश राष्ट्रीय दलित मंच के संयोजक भी है। उनका परिवार मेहसाना जिले के मेउ गांव से ताल्लुक रखता है। अहमदाब के बाद के ही माध्यमिक स्कूल से प्रारंभिक स्कूल से शिक्षा हासिल करने वाले जिग्नेन ने 2003 में एचके आर्ट्स कॉलेज अहमदाबाद से उन्होंने बीए ग्रेजुएट (अंग्रेजी) की डिग्री हासिल की। साल 2004 में मास कम्यूनिकेशन करने के बाद उन्होंने अपने करियर की शुरूआत पत्रकार के रूप में की लेकिन बाद वह बतौर वकील अदालत में जिरह करने लगे। जिग्नेश की सिर्फ गुजराती ही नहीं बल्कि हिंदी और अंग्रेजी भाषा में भी अच्छी पकड़ है।
दलित आंदोलन का चेहरा
जिग्नेश एक दलित परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पहली बार जिग्नेश तब सुर्खियों में आए जब गुजरात के उना में गौरक्षा के नाम पर कथित तौर पर दलितों पर अत्याचार हुआ। जिग्नेश न सिर्फ इस दलित आंदोलन का चेहरा बने बल्कि गुजरात में दलितों की आवाज भी बनकर उभरे। उनकी साख उनका कद समय के साथ बढ़ता गया। जिग्नेश रेलियों के दौरान राहुल गांधी के साथ मंच साझा कर चुके हैं।
सबसे खास बात यह है कि जिग्नेश ने गुजरात यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ में जीत दर्ज की है। बीजेपी का पूरा लाव-लश्कर खुद पीएम मोदी भी चुनावी सभाओं में पसीना बहाते रहे। हालांकि बीजेपी बहुमत हासिल करने में सफल रही। पीएम मोदी के भाषण वडगाम की जनता को प्रभावित न कर सकें और उन्होंने जिग्नेश पर भरोसा जताया। जीत के साथ ही राजनीति में अब उनकी असली अग्निपरीक्षा पूरी होगी। जिग्नेश अपने इरादों के कितने पक्के हैं और जनता से किए गए कितने वादे पूरे करते हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।