हरीश गुप्ता का ब्लॉग: नए कांग्रेस अध्यक्ष के चयन के लिए मुंबई मॉडल!

By हरीश गुप्ता | Published: December 24, 2020 03:55 PM2020-12-24T15:55:13+5:302020-12-24T15:56:35+5:30

एआईसीसी प्रबंधकों ने पार्टी आलाकमान के चुनाव के लिए एक नए तरीके के बारे में सोचा और मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए इस तरीके को आजमाया जा रहा है. इसे अब मुंबई मॉडल कहा जाता है.

Blog of Harish Gupta: Mumbai model for selection of new Congress president! | हरीश गुप्ता का ब्लॉग: नए कांग्रेस अध्यक्ष के चयन के लिए मुंबई मॉडल!

कांग्रेस पार्टी का झंडा (फाइल फोटो)

कांग्रेस अध्यक्ष के प्रतिष्ठित पद के लिए अगर सोनिया गांधी के स्थान पर नए कांग्रेस अध्यक्ष का लोकतांत्रिक रूप से चुनाव किया जाए तो वह किस प्रकार किया जा सकता है? अगर चुनाव टाले नहीं गए तो पहले 1400 से अधिक एआईसीसी प्रतिनिधियों और अन्य लोगों को चुना जाएगा, फिर वे एक नई कांग्रेस कार्यसमिति को चुनेंगे और अंत में फरवरी 2021 में अध्यक्ष का चुनाव होगा.

एआईसीसी प्रबंधकों ने एक नए तरीके के बारे में सोचा और मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए मुंबई में इसको आजमाया. इसे अब मुंबई मॉडल कहा जाता है.

महाराष्ट्र के महासचिव एच.के. पाटिल ने 450 नामित पार्टी पदाधिकारियों को एक वॉइस मैसेज भेजा: ‘‘मैं एआईसीसी प्रभारी एच.के. पाटिल बोल रहा हूं. मैं आपके विचार जानना चाहता हूं कि मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष कौन होना चाहिए. बीप के बाद, बस एक नाम भेजें. आपके जवाब को गोपनीय रखा जाएगा. धन्यवाद.’’

किसी को नहीं पता कि किसने इसमें हिस्सा लिया और किसने नहीं. लेकिन राहुल गांधी की तकनीकी टीम में परदे के पीछे काम करने वाले दिग्गजों ने इस बात का पर्याप्त ध्यान रखा कि इस प्रक्रिया को कुशलता से अंजाम दिया जाए.

यह अलग बात है कि 450 प्रतिनिधियों में से कोई भी आज तक नहीं जानता है कि किसने किसका नाम भेजा और कैसे मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष को चुना गया. लेकिन एक बात स्पष्ट है कि इस मुंबई मॉडल को एआईसीसी चुनावों में भी आजमाया जा सकता है, क्योंकि राहुल गांधी के वफादार उन्हें पार्टी प्रमुख के रूप में स्थापित करने के लिए दृढ़ हैं.

एआईसीसी के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला पहले ही कह चुके हैं कि 99.9} राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चाहते हैं. वे पहले से ही 1400 एआईसीसी प्रतिनिधियों में से 99.9} लोगों के मन की बात जानते हैं. फैसला अभी बाकी है.

राहुल का नया मोबाइल

जब सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ पर 5 घंटे की लंबी बैठक हुई, तो राहुल और प्रियंका आमंत्रितों की अगवानी कर रहे थे. गांधी परिवार जूम पर एक वर्चुअल बैठक चाहता था, लेकिन गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, भूपिंदर सिंह हुड्डा सहित कोई भी असंतुष्ट इसके लिए तैयार नहीं था.

उन्होंने आमने-सामने की बैठक पर जोर दिया, जिस पर सोनिया गांधी अंतत: सहमत हो गईं. लेकिन कई नेता इस बात से निराश थे कि राहुल गांधी अपने नए आईफोन 12 में तल्लीन थे. बैठक का हिस्सा रहे एक नेता ने कहा कि राहुल लगभग तीन घंटे तक अपने मोबाइल में व्यस्त रहे.

बीच में उन्होंने कमलनाथ और ए. के. एंटनी के साथ बातचीत करने और अर्जेट कॉल के लिए दो बार बैठक छोड़ी. दूसरी ओर, सोनिया गांधी बिना कोई ब्रेक लिए पूरे 5 घंटे तक बैठी रहीं.

भूपिंदर सिंह हुड्डा ने सबों को चौंकाया

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा एक मृदुभाषी व्यक्ति हैं और मुश्किल से ही कठोर बात कहते हैं. लेकिन वे असंतुष्टों में शायद अकेले थे जिन्होंने पूरी सभा को भौंचक्का कर दिया था. पत्र लिखने वालों में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, पृथ्वीराज चव्हाण और कई अन्य मैत्रीपूर्ण स्वर में बात कर रहे थे. लेकिन जब हुड्डा की बारी आई तो उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के अपनी बात कही और सर्द लॉन के माहौल को गर्म कर दिया.

हुड्डा ने कहा कि वे हरियाणा में भाजपा के खिलाफ एक अकेली लड़ाई लड़ रहे हैं जिसने एक कड़वे उपचुनाव में बड़ौदा विधानसभा सीट जीतने के लिए 100 करोड़ रुपए खर्च किए थे. फिर भी वे सभी बाधाओं के बावजूद भाजपा को हराने में सक्षम थे. हुड्डा यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि उन्हें पिछले साल राज्य विधानसभा चुनावों से तीन महीने पहले हरियाणा में पार्टी का नेता बनाया गया होता तो कांग्रेस को यह राज्य मिल गया होता.

हुड्डा ने दर्द भरे स्वर में कहा, ‘दुर्भाग्य से, मुझे दिल्ली में नेता के रूप में स्वीकार नहीं किया गया, जबकि हरियाणा में लोग मुझे प्यार करते हैं.’ इसके बाद सभा में बहुत देर तक सन्नाटा था.

जेपी नड्डा का बढ़ता दबदबा

भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के कोरोना संक्रमित होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी संभाली है. शाह कुछ असामान्य कारणों से बिहार में सक्रिय नहीं थे. लेकिन अब वे ममता बनर्जी पर सीधे हमले का नेतृत्व कर रहे हैं.

हालांकि नड्डा घर बैठे ओवरटाइम कर रहे हैं और उन्होंने सात केंद्रीय मंत्रियों के चयन में अहम भूमिका निभाई, जिन्हें विधानसभा चुनाव के लिए सात क्षेत्रों का प्रभारी बनाया गया है. पता चला है कि चयन पीएम की इच्छा के अनुसार किया गया और कई पसंदीदा मंत्रियों को इससे बाहर रखना आश्चर्यजनक है.

जाहिर है, बिहार की जीत और अन्य चुनावों के बाद नड्डा का ग्राफ ऊपर चढ़ा है. हाल ही में भाजपा शासित राज्यों के कुछ मुख्यमंत्रियों ने पीएम से बात करनी चाही. पर मोदी ने विनम्रता से उन्हें पहले पार्टी अध्यक्ष को मुद्दों से अवगत कराने को कहा.

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