ब्लॉग: खेलों की दुनिया में नई ताकत बनता भारत
By योगेश कुमार गोयल | Published: August 29, 2023 11:51 AM2023-08-29T11:51:27+5:302023-08-29T12:07:51+5:30
पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने 19 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया था और उनमें से 16 में पदक जीतकर अहसास करा दिया था कि यदि उन्हें सही ढंग से तराशा जाए तो वे दुनिया में किसी से कम नहीं हैं
नई दिल्ली: विभिन्न अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में बीते कुछ वर्षों से भारतीय खिलाड़ी जिस प्रकार परचम लहराते दिख रहे हैं, उससे स्पष्ट अहसास होने लगा है कि खेलों की दुनिया में भारत अब एक नई ताकत के रूप में उभर रहा है. ओलंपिक हो या राष्ट्रमंडल खेल अथवा अन्य स्पर्धाएं, हर कहीं भारतीय खिलाड़ी अपने जलवे दिखा रहे हैं.
खेलों की जगत में भारत की बढ़ती ताकत
इसे भारत की बदलती खेल संस्कृति का ही असर माना जाना चाहिए कि क्रिकेट हो या बैडमिंटन, कुश्ती हो या भारोत्तोलन, भारतीय खिलाड़ी विभिन्न खेल स्पर्धाओं में अब दुनियाभर में सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं. 2021 में हुए टोक्यो ओलंपिक में तो भारत पहली बार सात पदक जीतने में सफल हुआ जबकि 2016 के ओलंपिक में भारत को मात्र दो पदक मिले थे.
भारत ने बनाया एक पर एक रिकॉर्ड
विभिन्न खेल स्पर्धाओं में भारत का विश्व चैम्पियन बनना, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारतीय पुरुष और महिला खिलाड़ियों द्वारा शानदार प्रदर्शन करते हुए नए-नए रिकॉर्ड बनाना, ओलंपिक खेलों में प्रदर्शन में सुधार, एशियाई चैम्पियनशिप तथा राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का परचम लहराना खेलों की दुनिया में भारत के बढ़ते दबदबे का स्पष्ट संकेत है.
हॉकी में भी भारत की हालत सुधर रही है
रसातल में जाती हॉकी के मामले में भी भारत की तस्वीर धीरे-धीरे सुधर रही है. देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष हॉकी के पूर्व कप्तान मेजर ध्यानचंद की जयंती 29 अगस्त के अवसर पर ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ मनाया जाता है. इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न खेल स्पर्धाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ प्रदान किया जाता है.
देश के पिछड़े इलाकों से भी निकल रहे है प्रतिभाएं
2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के बाद से भारत में बेहतर खेल सुविधाओं का विस्तार होने लगा और खिलाड़ियों की तैयारियों पर ध्यान देने की संस्कृति विकसित होनी शुरू हुई और करीब इस डेढ़ दशक में विकसित हुई खेल संस्कृति का ही परिणाम है कि विभिन्न राज्यों के ऐसे-ऐसे अति पिछड़े इलाकों से भी खेल प्रतिभाएं निकलकर सामने आ रही हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर रही हैं, जो तमाम बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित हैं.
खेल को बढ़ावा देने के लिए चलाई गई कई योजनाएं
देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कुछ समय से टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना, खेलो इंडिया, फिट इंडिया मूवमेंट, साई प्रशिक्षण केंद्र योजना इत्यादि कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं.
पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने 19 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया था और उनमें से 16 में पदक जीतकर अहसास करा दिया था कि यदि उन्हें सही ढंग से तराशा जाए तो वे दुनिया में किसी से कम नहीं हैं. भारतीय खेलों की दशा और दिशा सुधरने की सुखद तस्वीर यही है कि भारत की बेटियां भी अब खेलों की दुनिया में निरंतर स्वर्णिम इतिहास लिख रही हैं.