ब्लॉग: विकास का सपना असलियत में बदले

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 18, 2023 09:28 AM2023-09-18T09:28:13+5:302023-09-18T09:29:48+5:30

शिंदे सरकार ने शनिवार को अपने फैसलों की घोषणा करने से पहले वर्ष 2016 में लिए फैसलों की सूची और उनकी प्रगति की रिपोर्ट रखकर नए निर्णयों की घोषणा की।

Turn the dream of development into reality | ब्लॉग: विकास का सपना असलियत में बदले

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

लंबे अंतराल के बाद मराठवाड़ा के मुख्यालय छत्रपति संभाजीनगर में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हुई, जिसमें मराठवाड़ा संभाग के लिए 45 हजार करोड़ रुपए के विभिन्न विकास कार्यों को मंजूरी मिली।

साथ ही नदी जोड़ो परियोजना के लिए अलग से 14 हजार करोड़ रुपए निर्धारित किए गए। कुल मिलाकर मराठवाड़ा के नाम पर 59 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।

आम तौर पर मंत्रिमंडल की बैठकों के बाद इस तरह की बातें सामने आना सामान्य है. चूंकि किसी क्षेत्र विशेष को केंद्र मानकर बैठक हुई, इसलिए आंकड़े कुछ ज्यादा ही बड़े लग रहे हैं।

वैसे राज्य मंत्रिमंडल की साप्ताहिक बैठकों में भी इसी तरह के निर्णय होते हैं। समस्याओं के लिहाज से राज्य में मराठवाड़ा, विदर्भ और खानदेश तीनों इलाके राज्य सरकार से विशेष उम्मीद रखते हैं।

हर सरकार भी अपनी तरह से उन्हें विश्वास दिलाने की कोशिश करती हैं। वर्तमान सरकार ने भी कुछ भी अलग नहीं किया है। सच्चाई तो यह ही है कि आंकड़े सरकार के बजट प्रावधानों के अंतर्गत होते हैं, क्योंकि एक मंत्रिमंडल की बैठक से नए कामों के बजट तय नहीं होते हैं।

बावजूद इसके यदि घोषणा को गंभीरता के साथ लिया जाए तो उन्हें वास्तविकता के धरातल पर खरा उतरना होगा। यदि राज्य का कोई विशेष भाग विकास की राह में पीछे है तो उसे अन्य क्षेत्रों के बराबर लाने के ठोस प्रयास होने चाहिए। यदि विकास कार्यों की नींव रखी जाती है तो उसकी गुणवत्ता का भी भरोसा दिलाया जाना चाहिए।

हाल के दिनों में देखने में आया है कि जहां अचानक और बड़ी संख्या में कार्य आरंभ होते हैं, वहां अच्छा काम नहीं होता है। राज्य के अनेक इलाकों में लंबे समय तक चलने के लिए सीमेंट की सड़कें बनाई जा रही हैं। किंतु उनमें से कई टूट भी रही हैं या फिर गलत योजना के चलते उन्हें तोड़ा जा रहा है।

कामों के ऐसे अनेक उदाहरण हैं जो केवल नाम या कागजों पर विकास दर्ज करने के लिए हैं, उनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है इसलिए जरूरी यह है कि पिछड़े इलाकों को केवल घोषणाओं के भंवर में न फंसाया जाए।

वहां जरूरत के अनुसार टिकाऊ काम किया जाए। निर्णय वही लिये जाएं जो कालांतर में मूर्त रूप ले सकें। व्यक्तिगत आकांक्षा और पक्षपात से लिये गए निर्णय अधिक दिन तक टिकते नहीं हैं. सरकार बदलते ही उन पर रोक अथवा निधि की कमी आ जाती है. ऐसे में कर के रूप में आम जनता से लिया गया पैसा बर्बाद हो जाता है।

शिंदे सरकार ने शनिवार को अपने फैसलों की घोषणा करने से पहले वर्ष 2016 में लिए फैसलों की सूची और उनकी प्रगति की रिपोर्ट रखकर नए निर्णयों की घोषणा की। उम्मीद की जानी चाहिए कि ताजा फैसलों को अमल में लाने में दोबारा सात साल का समय नहीं लगेगा। चाहे सरकार किसी की भी क्यों न हो।

Web Title: Turn the dream of development into reality

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