लाइव न्यूज़ :

ललित गर्ग का ब्लॉग: बेरोजगारी का बढ़ते जाना देश की सबसे बड़ी चिंता का कारण

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 22, 2019 11:21 IST

देश के लोग बेरोजगारी को लेकर सबसे ज्यादा परेशान पाए गए, हालांकि आर्थिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार की चिंता भी उन्हें परेशान किए हुए है. हमारे देश में सरकारी मशीनरी एवं राजनीतिक व्यवस्थाएं सभी रोगग्रस्त हैं. वे अब तक अपने आपको सिद्धांतों और अनुशासन में ढाल नहीं सके.  

Open in App
ठळक मुद्देरोजगार की फिक्र  भारत में सबसे ऊपर होने की पुष्टि अन्य सर्वेक्षणों से भी हुई है.पिछले ही महीने प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में 76 प्रतिशत वयस्कों ने बेरोजगारी को बहुत बड़ी समस्या बताया था.

ब हुराष्ट्रीय मार्केट रिसर्च कंपनी इप्सॉस के द्वारा कराया गया सर्वेक्षण ‘व्हॉट वरीज दि वर्ल्ड ग्लोबल सर्वे’ का निष्कर्ष विभिन्न देशों की जनता की अलग-अलग चिंताओं को उजागर करता है. जहां तक भारत का प्रश्न है तो यहां बीते मार्च में किए गए सर्वे में ज्यादातर लोगों ने यह तो माना कि सरकार की नीतियां सही दिशा में हैं, लेकिन आतंकवाद की चिंता उन्हें सबसे ज्यादा सता रही थी. उसके बाद देश के लोग बेरोजगारी को लेकर सबसे ज्यादा परेशान पाए गए, हालांकि आर्थिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार की चिंता भी उन्हें परेशान किए हुए है. हमारे देश में सरकारी मशीनरी एवं राजनीतिक व्यवस्थाएं सभी रोगग्रस्त हैं. वे अब तक अपने आपको सिद्धांतों और अनुशासन में ढाल नहीं सके.  

इप्सॉस का ऑनलाइन सर्वे 28 देशों के 65 वर्ष से कम आयु के लोगों के बीच किया गया, जिसमें बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण इन मुल्कों के औसतन 58 प्रतिशत नागरिकों ने माना है कि उनका देश नीतियों के मामले में भटक-सा गया है. ऐसा सोचने वालों में सबसे ज्यादा दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, फ्रांस, तुर्की और बेल्जियम के लोग हैं. आर्थिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार, गरीबी और सामाजिक असमानता ज्यादातर मुल्कों में बड़े मुद्दे हैं. बेरोजगारी, अपराध, हिंसा और स्वास्थ्य संबंधी चिंता इनके बाद ही आती है. अपनी सरकार में सबसे ज्यादा विश्वास चीन के लोगों का है. वहां दस में नौ लोग अपनी सरकारी नीतियों की दिशा सही मानते हैं. 

इस नियमित सर्वेक्षण पर तात्कालिक घटनाओं का काफी असर रहता है. जैसे भारत में इस बार का सर्वे पुलवामा हमले के बाद किया गया तो इस पर उस हादसे की छाया थी लेकिन देश के पिछले सर्वेक्षणों को देखें तो आतंकवाद का स्थान यहां की चिंताओं में नीचे रहा है और बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या के तौर पर देखी जाती रही है.

रोजगार की फिक्र  भारत में सबसे ऊपर होने की पुष्टि अन्य सर्वेक्षणों से भी हुई है. विकास की वर्तमान अवधारणा और उसके चलते फैलती बेरोजगारी को राजनेताओं ने लगभग भुला-सा दिया है, लेकिन ये ही ऐसे मसले हैं जिनके जवाब से कई संकटों से निजात पाई जा सकती है. पिछले ही महीने प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में 76 प्रतिशत वयस्कों ने बेरोजगारी को बहुत बड़ी समस्या बताया था.

दरअसल भारत में सरकार का आकलन कई मुद्दों को लेकर किया जा रहा है, लिहाजा ज्यादातर लोगों का भरोसा उसकी नीतियों पर बना हुआ है. लेकिन इस बात पर प्राय: आम सहमति है कि वह रोजगार के मोर्चे पर विफल रही है. एक तबका एनएसएसओ के हवाले से कहता है कि 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 प्रतिशत तक पहुंच गई जो पिछले 45 साल का सर्वोच्च स्तर है. 

टॅग्स :बेरोजगारी
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारविश्वनाथ सचदेव का ब्लॉग: बेरोजगारी दूर करने पर ही होगा वास्तविक विकास

कारोबारमहिलाओं और युवाओं को मिला रोजगार, घरेलू जरूरतें हुईं पूरी, शहरी क्षेत्र में ग्रोथ सबसे ज्यादा- रिपोर्ट

कारोबारब्लॉग: वैश्विक मंदी के बीच भारत में रोजगार के बढ़े मौके

ज़रा हटकेपुणे: 1 पद के लिए 2900 से ज्यादा आएं आवेदन, ऑफिस के बाहर लगी बेरोजगारों की कतार, देखें

कारोबारब्लॉग: छह वर्षों में बेरोजगारी दर छह फीसदी से घटकर 3.2 फीसदी पर आ गई, डिजिटल कौशल से बढ़ रहा है रोजगार

रोजगार अधिक खबरें

रोजगारइसरो, बीपीएससी, राजस्थान सरकारी सेवा और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में निकली बंपर भर्ती, सरकारी नौकरी के प्रतियोगी यहां जानें सब कुछ

रोजगारUPPBPB UP Police Recruitment 2022: जल्द होगी 26,382 पदों पर सिविल पुलिस और फायरमैन की भर्ती, जाने लास्ट डेट और अप्लाई का तरीका

रोजगाररेलवे भर्ती 2021: 3591 वैकेंसी के लिए आवेदन, कोई परीक्षा और इंटरव्यू नहीं, जानें प्रोसेस

रोजगारदिल्ली में सरकारी नौकरी करने का शानदार मौका, 1800 पदों पर भर्ती शुरू, जानें डिटेल्स

रोजगारSUPER TET 2021: यूपी में सरकारी शिक्षक बनने का सुनहरा मौका, आवेदन की तारीख चार दिन में हो रही है खत्म, जानें सबकुछ