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भाजपा उठाएगी तालिबान का राजनीतिक फायदा!, हरीश गुप्ता का ब्लॉग

By हरीश गुप्ता | Updated: August 26, 2021 14:22 IST

भाजपा को लगता है कि इससे उसके वोट बैंक का ध्रुवीकरण होगा और पार्टी यूपी में फिर 320 से अधिक सीटें जीतेगी.

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ठळक मुद्देभाजपा ने 2022 में सात चुनावी राज्यों - यूपी, गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात और कर्नाटक में नए चुनाव सर्वेक्षण का आदेश दिया है.टीवी चैनलों पर प्रमुखता से दिखाई देने वाली विभिन्न एजेंसियों को बड़े-बड़े ठेके दिए गए हैं. पार्टी को अपनी स्वतंत्र प्रतिक्रिया देने के लिए कुछ प्रमुख चुनाव विशेषज्ञों को काम पर रखा गया है.

दुनिया अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं के नतीजों से चिंतित है और उससे उभरते खतरों से जूझ रही है. डर है कि अलकायदा या आईएसआईएस के बाद एक नए प्रकार का आतंकवाद उभर सकता है जो अधिक क्रूर होगा.

 

उइगर मुसलमानों के खिलाफ अपनी दमनकारी नीतियों के कारण चीन की अपनी चिंता है और पाकिस्तान को क्वेटा में तालिबानियों को पनाह देने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. जम्मू-कश्मीर के बारे में भारत की अपनी चिंताएं हैं क्योंकि पाकिस्तान द्वारा तालिबानियों को पीओके के लिए रास्ता दिया जा सकता है.

भारत में एक बार फिर बाहरी लोगों की घुसपैठ की पुनरावृत्ति हो सकती है जैसा कि कारगिल में देखा गया था. मुख्यत: इन कारणों से ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत के हितों की रक्षा के लिए बातचीत के जरिये समाधान की खातिर नई दिल्ली-वाशिंगटन-दोहा और विश्व की राजधानियों के बीच चक्कर लगा रहे हैं.

सरकार ने इन घटनाक्रमों पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से भले ही परहेज किया हो लेकिन भाजपा नेता यूपी समेत पांच राज्यों में आगामी चुनावों में राजनीतिक फसल काटने के लिए तैयार दिख रहे हैं. कई लोगों के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के लिए देशद्रोह के मामले भी दर्ज किए गए हैं.

भाजपा के रणनीतिकार ऐसे समय में इस ईश्वर प्रदत्त अवसर को लेकर उत्साहित हैं, जबकि कुछ समय पहले ही पार्टी को पश्चिम बंगाल में अपमानजनक हार झेलनी पड़ी है. पीडीपी की महबूबा मुफ्ती सहित अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं के कुछ बयानों से भाजपा को अपना वोट बैंक मजबूत करने में मदद मिल सकती है. भाजपा को लगता है कि इससे उसके वोट बैंक का ध्रुवीकरण होगा और पार्टी यूपी में फिर 320 से अधिक सीटें जीतेगी.

भाजपा ने दिए मतदान सर्वेक्षण के आदेश

अफगानिस्तान के नए घटनाक्रम के बाद, भाजपा ने 2022 में सात चुनावी राज्यों - यूपी, गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात और कर्नाटक में नए चुनाव सर्वेक्षण का आदेश दिया है. टीवी चैनलों पर प्रमुखता से दिखाई देने वाली विभिन्न एजेंसियों को बड़े-बड़े ठेके दिए गए हैं. पार्टी को अपनी स्वतंत्र प्रतिक्रिया देने के लिए कुछ प्रमुख चुनाव विशेषज्ञों को काम पर रखा गया है.

हालांकि वर्तमान परिदृश्य में भाजपा पंजाब में दावेदार नहीं है लेकिन वह सीमावर्ती राज्य में आम आदमी पार्टी के आगमन को रोकना चाहती है और गुप्त रूप से कैप्टन अमरिंदर सिंह का समर्थन कर सकती है जैसा कि 2017 के विधानसभा चुनावों में किया गया था.

दिलचस्प बात यह है कि दो एजेंसियों को विशेष रूप से लोगों के मिजाज का आकलन करने के लिए कहा गया है कि क्या तालिबान विरोधी रुख अपनाने से लाभ होगा. काफी हद तक इसी कारण से तालिबान के पक्ष में बोलने वालों के खिलाफ एनएसए और यूएपीए के तहत कुछ भाजपा शासित राज्यों में मामले दर्ज किए गए हैं.

दिलचस्प बात यह है कि आरएसएस अलग-अलग टीमों के जरिए अपना सर्वे खुद करवा रहा है. एक प्रमुख चैनल द्वारा हाल ही में किए गए ‘मूड ऑफ द नेशन पोल’ में पीएम को 24 प्रतिशत लोकप्रिय वोट मिले, जो 2019 के 66 प्रतिशत से कम है. लेकिन उसी सर्वेक्षण ने भाजपा को अभी चुनाव होने पर 269 लोकसभा सीटें मिलने की बात कही जो उसके लिए राहत की बात है.

विपक्षी एकता के पीछे ‘फियर फैक्टर’!

विपक्षी दल पहले कभी भी लोकसभा चुनाव से तीन साल पहले सत्ता पक्ष के खिलाफ एकजुट नहीं हुए. चाहे 1967, 1971, 1977, 1989, 1996 के चुनाव हों या 2004 के, चुनाव से कुछ महीने पहले ही गोलबंदी हुई है. इसलिए, यह आश्चर्यजनक था कि 2024 के लोकसभा चुनाव से तीन साल पहले ही, पीएम मोदी को अपदस्थ करने के लिए 19 विपक्षी दल एक साथ आए.

अगर आपको लगता है कि इन दलों ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में एकजुट होने का फैसला किया या वे इस एकता के लिए किसी तरह से जिम्मेदार हैं, तो आप गलत हैं. यह ‘फियर फैक्टर’ है जिसने इन प्रतिद्वंद्वी पार्टियों को एकजुट किया है. यहां तक कि कांग्रेस भी इस एकता के लिए सिद्धांत रूप में राजी हो गई है.

किसी विशेष राज्य में जो भी पार्टी मजबूत होगी, वह मुख्य भूमिका निभाएगी और दूसरों को सहयोगी की भूमिका में रहना होगा. यदि कुछ सीटों पर मतभेद हैं, तो दल ‘दोस्ताना लड़ाई’ का सहारा ले सकते हैं. ऐसा 1989 में हुआ था जब वीपी सिंह ने राजीव गांधी को हटाने के लिए भाजपा और वाम दलों के साथ भागीदारी की थी.

आपसी समन्वय के लिए नई नियमावली तैयार की जा रही है. शुरुआत में कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनाव में दोयम दर्जा स्वीकार करने का फैसला किया है. तमिलनाडु, झारखंड, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों ने भाजपा को रोकने के उद्देश्य से सम्मेलन में भाग लिया.

भाजपा ने इन चार राज्यों की 143 लोकसभा सीटों में से 53 सीटें जीती थीं; महाराष्ट्र में 23, पश्चिम बंगाल में 18, झारखंड में 12 और तमिलनाडु में शून्य. इस संख्या को एकजुट होकर और नीचे लाया जा सकता है. इसी तरह के प्रयास अन्य राज्यों में भी किए जा रहे हैं. विपक्ष के नए हमले पर नजर रखने की जरूरत है.

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