ब्लॉग: आयकर की जगह ‘जायकर’ की व्यवस्था क्यों नहीं? सरकार की भी बढ़ेगी आमदनी
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 21, 2023 03:41 PM2023-02-21T15:41:44+5:302023-02-21T15:41:44+5:30
आयकर को खत्म किया जाना चाहिए और उसकी जगह जायकर लगाया जाए. इसके मायने ये हुए कि आमदनी पर नहीं, खर्च पर टैक्स लगाया जाए. इसके काफी फायदे होंगे. पहला तो यह कि टैक्स-चोरी पर लगाम लगेगी.
हमारे देश में आयकर यानी इनकम टैक्स फार्म भरनेवालों की संख्या 7 करोड़ के आसपास है लेकिन उनमें से मुश्किल से 3 करोड़ लोग टैक्स भरते हैं. क्या भारत-जैसे 140 करोड़ के देश में ढाई-तीन करोड़ लोग ही इस लायक हैं कि सरकार उनसे टैक्स वसूल सकती है? हर मोटी आमदनीवाला संपन्न आदमी ऐसे चार्टर्ड एकाउंटेंट की शरण लेता है, जो उसे टैक्स बचाने के नए-नए गुर सिखाता है.
इस सच्चाई को यदि हमारी सरकारें स्वीकार कर लें तो भारत में टैक्स-व्यवस्था में इतना सुधार हो सकता है कि कम से कम 30 करोड़ लोग टैक्स भरने लगें. देश में 30-40 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें हम मध्यम श्रेणी का मानते हैं. हर मध्यम श्रेणी का नागरिक टैक्स देना चाहेगा लेकिन यदि वह आयकर 10-15 प्रतिशत से शुरू होगा तो उसका पेट भरना भी मुश्किल हो जाएगा.
इसकी बजाय आयकर का प्रतिशत एकदम घटा दिया जाए तो इतने ज्यादा लोग टैक्स भरने लगेंगे कि वह 11 लाख करोड़ रु. से कहीं ड्योढ़ा-दुगुना हो सकता है. कई देश ऐसे हैं, जिनमें आमदनी पर कोई टैक्स ही नहीं लगता. कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वसंत साठे और मैंने लगभग 35 साल पहले एक मुहिम शुरू की थी, जिसमें हमारी मांग थी कि आयकर को खत्म किया जाए और उसकी जगह जायकर लगाया जाए यानी आमदनी पर नहीं, खर्च पर टैक्स लगाया जाए.
इसके कई फायदे होंगे. पहला तो यही कि टैक्स-चोरी की आदत पर लगाम लगेगी. दूसरा, लोगों के खर्च घटेंगे और बचत बढ़ेगी. तीसरा, आयकर विभाग बंद होगा जिससे सरकार का करोड़ों रुपया बर्बाद होने से बचेगा. चौथा, नागरिकों का सिरदर्द घटेगा. पांचवां, डिजिटल व्यवस्था के कारण हर खरीदी पर उपभोक्ता का टैक्स तत्काल कट जाएगा. यदि आयकर घटे या खत्म हो तो सरकार की आमदनी बढ़ेगी और लोगों को भी राहत मिलेगी.