वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः सदस्यता की बाढ़ क्यों?
By वेद प्रताप वैदिक | Updated: September 1, 2019 14:49 IST2019-09-01T14:49:30+5:302019-09-01T14:49:30+5:30
किसी जमाने में कांग्रेस भारत की ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी पार्टी हुआ करती थी लेकिन वह अब बस सबसे पुरानी ही रह गई है. भारत में नागरिकों को पूरी आजादी है कि वे सैकड़ों पार्टियों में से किसी के भी सदस्य बन सकते हैं लेकिन भाजपा में सदस्यता की यह बाढ़ क्यों आ रही है?

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किसी जमाने में चीन और रूस की कम्युनिस्ट पार्टियां दुनिया की सबसे बड़ी पार्टियां हुआ करती थीं, क्योंकि इन देशों में दूसरी पार्टियों को जिंदा ही नहीं रहने दिया जाता था. इनके करोड़ों सदस्य होते थे. रूस में दो करोड़ और चीन जैसे सबसे बड़े देश में नौ करोड़ सदस्य. लेकिन अब दुनिया चाहे तो अपने दांतों तले उंगली दबाए, क्योंकि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में भाजपा के 18 करोड़ सदस्य हो गए हैं. पिछले दिनों चले सदस्यता अभियान में भाजपा ने अपने 11 करोड़ सदस्यों में लगभग 7 करोड़ नए सदस्य जोड़ लिए. वह जितने जोड़ना चाहती थी, उससे ढाई गुना ज्यादा जुड़ गए.
किसी जमाने में कांग्रेस भारत की ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी पार्टी हुआ करती थी लेकिन वह अब बस सबसे पुरानी ही रह गई है. भारत में नागरिकों को पूरी आजादी है कि वे सैकड़ों पार्टियों में से किसी के भी सदस्य बन सकते हैं लेकिन भाजपा में सदस्यता की यह बाढ़ क्यों आ रही है? क्योंकि वह सत्तारूढ़है और साधारण लोगों को उसका भविष्य उज्ज्वल और सबल दिखाई पड़ रहा है. इसके अलावा कश्मीर से धारा 370 के प्रावधान हटने से आम भारतीयों के दिल में नई रोशनी भर गई है.
आर्थिक दिक्कतों के बावजूद लोग भाजपा में इसलिए नहीं आ रहे हैं कि वे भाजपा की विचारधारा से सम्मोहित हैं. सदस्यता की इस बाढ़ से गद्गद् भाजपा नेताओं को पता होना चाहिए कि सत्ता से हटते ही उनके लिए उमड़ी हुई यह बाढ़ लौटती लहरों की बारात बन जाएगी. इसलिए बेहतर होगा कि इन करोड़ों नए सदस्यों को काम पर लगाया जाए. इन्हें सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल न किया जाए.
इन्हें पेड़ लगाने, स्वच्छता अभियान चलाने, दहेज और रिश्वत लेने-देने का विरोध करने, नशाबंदी, प्लास्टिकबंदी, स्वभाषा आंदोलन चलाने तथा जातिवाद उन्मूलन, सांप्रदायिकता व सामूहिक हिंसा का परित्याग आदि अभियान चलाने के लिए प्रेरित किया जाए. भाजपा के 18 करोड़ सक्रिय सदस्य जागरूक होकर काम करें तो देश के 130 करोड़ लोगों के लिए वे प्रेरणा के स्रोत बन जाएंगे. नौकरशाही पर टिकी सरकारें तब सचमुच लोकशाही के सहारे चला करेंगी. भारत में सामाजिक परिवर्तन का एक चमत्कारी दौर शुरू हो जाएगा.