Blog: ये दिल्ली है मेरे यार बस इश्क मुहाब्बत या फिर डर...
By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: December 14, 2017 16:30 IST2017-12-14T14:49:05+5:302017-12-14T16:30:33+5:30
राजधानी दिल्ली में लाखों लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिए आते हैं। लाखों की भीड़ वाला ये शहर हर पर चलता रहता है लेकिन इसके साथ चलने वाले लोग कहीं अपने में ऐसे गुम से हो रहे ह

Blog: ये दिल्ली है मेरे यार बस इश्क मुहाब्बत या फिर डर...
दिल्ली दिलवालों का शहर...एक ऐसा शहर जहां हर रोज ना जाने कितने ही लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिए आते हैं। लाखों की भीड़ वाला ये शहर हर पर चलता रहता है लेकिन इसके साथ चलने वाले लोग कहीं अपने में ऐसे गुम से हो रहे हैं कि अपने आस-पास होने वाली दुर्घटनाओं को भी बड़ी ही आसानी से नजरअंदाज कर रहे हैं। सबसे ज्यादा शर्मनाक है देश की राजधानी में लड़कियों और महिलाओं के संग बढ़ती घटनाएं।
एक लड़की जब सुबह घर से नौकरी या स्कूल-कॉलेज के लिए निकलती है तो हर घर वाले को एक ही चिंता रहती है ना जाने उनकी बिटिया सही सलामत आएगी या नहीं। समझ नहीं आता जब देश की राजधानी में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं तो किस शहर में वह खुद को मां के आंचल जैसा महसूस करेंगी। 2012 में हुए निर्भया गैंग रेप ने पूरी दिल्ली क्या देश को हिला दिया था , लेकिन फिर भी ना ये शहर बदला ना ही यहां के हालात सब वहीं के वहीं हैं, गैरत की जंजीरों में कैद।
हर लड़की की एक ही कहानी शाम को 5 बजने के बाद बार बार उसकी नजर घड़ी पर ही जाती है इसका एक कारण है कि उनके अंदर एक डर है। ना जाने सदियों से पनप रहा ये डर कब आजादी दिलाएगा। हाल ही में एक आंकड़े सामने आए थे जिनके मुताबिक 19 बड़े शहरों में अपराध की श्रेणी में दिल्ली सबसे टॉप पर है। जिसमें रेप और छेड़छाड़ सबसे ऊपर हैं। दिल्ली महिलाओं के लिए कितनी सुरक्षित जगह है, इसका अंदाज आप पिछले साल के क्राइम के आंकड़े देखकर लगा सकते हैं। आरटीआई के जरिए जो जानकारी जुटाई है, वो किसी को डराने के लिए काफी है।
क्या कहते हैं आंकड़े -रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल दर्ज अपहरण के 699 मामलों में से 524 में महिलाएं पीड़ित थीं।साल 2015 में दिल्ली में 7,937 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से 792 मामले बालिग लोगों के अपहरण से जुड़े थे और कुल मामलों के 52.78 फीसदी में महिलाएं पीड़ित थीं। पिछले साल बलात्कार के कुल 2,181 मामले दाखिल किए गए थे, उनमें से 977 मामले यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (पॉक्सो) के तहत दर्ज किए गए थे। पिछले साल की तुलना में 2015 में रेप के 2,338 मामले दर्ज किए गए थे।
नाबालिग हो रहीं शिकार - राजधानी में 2015 और 2016 में दर्ज हुए रेप के मामलों में तकरीबन आधे मामलों में पीड़िता नाबालिग हैं। एनजीओ प्रजा ने आटीआई के जरिए जो आंकड़े जुटाए वह यही बताते हैं कि सेक्शुअल असॉल्ट के तकरीबन 50 पर्सेंट मामलों में पीड़ित नाबालिग होता है। सर्वे में यह भी साफ हुआ कि पॉक्सो ऐक्ट के तहत सबसे ज्यादा मामले बाहरी दिल्ली में दर्ज हुए। 57 फीसदी लोग सफर के दौरान खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करते हैं।
समझ नहीं आता है क्या करे एक औरत अपनी आवरू को बचाने के लिए किस चौखट पर जाए और कहे कि बस अब तो जागें और एक बेटी मां को छोड़ दो। ये शायद उस पर हो पाए जब देश में एक सख्त कानून इस अपराध को लेकर बनें। अगर ये नहीं हुआ तो वो दिन दूर नहीं जब दिल्लीवालों की दिल्ली रेपवालों की दिल्ली बन जाए।