दक्षिण भारत में क्यों पड़ रही अप्रत्याशित ठंड?

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: December 27, 2025 07:43 IST2025-12-27T07:41:32+5:302025-12-27T07:43:51+5:30

लेकिन जलवायु परिवर्तन इस बात की संभावना को बढ़ाता है कि शीत लहर जैसी चरम-मौसम की घटनाएं असामान्य रूप से तीव्र या अप्रत्याशित हो सकती हैं, जो दक्षिण भारत जैसे क्षेत्रों के लिए सामान्य नहीं है.

Why is there unexpected cold in South India | दक्षिण भारत में क्यों पड़ रही अप्रत्याशित ठंड?

दक्षिण भारत में क्यों पड़ रही अप्रत्याशित ठंड?

कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ में कभी स्वेटर की दुकान नहीं होती थी, आज वहां लोग रूम हीटर खरीद रहे हैं. यह हाल भीषण गर्मी के लिए मशहूर पूरे उत्तरी-कर्नाटक का है. धारवाड़ में तापमान लगातार 10.2 डिग्री के आसपास है. इसी तरह, गडग में न्यूनतम तापमान 10.8, बीदर में 10 डिग्री सेल्सियस, हासन में 8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. हासन, विजयपुर में बाजारों में पहली बार जाड़े के कपड़ों की बिक्री जमकर हो रही है. बेंगलुरु में इतनी सर्दी कभी देखी नहीं गई. उधर चेन्नई में वर्षों बाद 20 डिग्री से नीचे तापमान गया और समुद्र किनारे के इस महानगर के लिए यह कड़ाके की ठंड हो गया.

ऊटी तो चलो राज्य का पहाड़ी क्षेत्र है लेकिन वहां भी तापमान 5.3 हो जाना अचरज है. ईरोड के तलवाड़ी में 11.4 डिग्री, धर्मपुरी के कुछ हिस्सों में 15, कोयंबतूर के पेरियनायकन पालयम में 15.8 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. यही हाल आंध्र प्रदेश के बहुत से हिस्सों में है.

भारत के दक्षिणी प्रायद्वीपीय राज्यों - तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश-तेलंगाना और केरल - को आमतौर पर समशीतोष्ण या उष्णकटिबंधीय जलवायु के लिए जाना जाता है, जहां शीत लहर की स्थिति दुर्लभ होती है. हाल के वर्षों में ठंड के मौसम में उत्तरी हवाओं के असामान्य रूप से गहरे प्रवेश के कारण इन क्षेत्रों के आंतरिक हिस्सों में तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है. मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अप्रत्याशित शीत लहर के चलते बहुत सी जगह न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री तक नीचे चला गया है.

भारत के एक प्रमुख थिंक टैंक संस्थान ‘सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी’ का एक शोध बताता है कि साल 2021-2050 के बीच दक्षिण भारत के बहुत से इलाकों का तापमान 0.5 डिग्री से 1.5 डिग्री तक और सर्दियों में न्यूनतम तापमान एक  से दो डिग्री तक बढ़ सकता है. यही नहीं, खरीफ और रबी दोनों खेती-मौसम में वर्षा में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी. रिपोर्ट में राज्यों को जलवायु जोखिम मूल्यांकन और लचीली आधारभूत संरचना निर्माण की सलाह दी गई है. बढ़‌ती मौसम असमानता के कारण बाढ़ के बाद जल-जनित बीमारियां और तापमान में उतार-चढ़ाव से श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ी हैं.  

मौसम की ये प्रवृत्तियां दक्षिण भारत के समाज के लिए नई चुनौती है.  मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो दक्षिण भारत में इस साल पड़ रही अधिक ठंड मुख्य रूप से अल्पकालिक मौसमी विसंगतियों, जैसे ठंडी हवाओं का गहरा प्रवेश, साफ आसमान, चक्रवात के अप्रत्यक्ष असर का परिणाम है. लेकिन जलवायु परिवर्तन इस बात की संभावना को बढ़ाता है कि शीत लहर जैसी चरम-मौसम की घटनाएं असामान्य रूप से तीव्र या अप्रत्याशित हो सकती हैं, जो दक्षिण भारत जैसे क्षेत्रों के लिए सामान्य नहीं है. याद रखना होगा कि दक्षिणी राज्यों में जहां एक तरफ भारत में लू की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ असामान्य रूप से तीव्र शीत लहर जैसी घटनाएं भी उभर  रही हैं.

दक्षिण भारत के राज्यों में इस बार की अप्रत्याशित शीत लहर एक स्पष्ट संकेत है कि जलवायु परिवर्तन न केवल औसत तापमान को बढ़ा रहा है, बल्कि मौसमी घटनाओं को चरम और अप्रत्याशित बना रहा है.  

Web Title: Why is there unexpected cold in South India

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