विश्वनाथ सचदेव का ब्लॉग: लोकतंत्र के लिए सशक्त विपक्ष भी जरूरी

By विश्वनाथ सचदेव | Published: February 29, 2024 02:57 PM2024-02-29T14:57:15+5:302024-02-29T14:57:15+5:30

सरकार और विपक्ष दोनों की मजबूती ही जनतंत्र को मजबूत बनाती है। दुर्भाग्य से आज जो स्थिति है वह इस संदर्भ में भरोसा दिलाने वाली नहीं है।

Vishwanath Sachdev's blog: Strong opposition is also necessary for democracy | विश्वनाथ सचदेव का ब्लॉग: लोकतंत्र के लिए सशक्त विपक्ष भी जरूरी

विश्वनाथ सचदेव का ब्लॉग: लोकतंत्र के लिए सशक्त विपक्ष भी जरूरी

देश के मतदाताओं के मन की बात जानने का दावा करने वालों का, अथवा अनुमान लगाने वालों का, मानना है कि आज की स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आम चुनाव में भाजपा को आसानी से बढ़त मिलने की संभावना है। इस ‘आसानी से’ का सही आकलन तो चुनाव के परिणाम ही बताएंगे, लेकिन यह तय है कि भारतीय जनता पार्टी जिस शिद्दत के साथ चुनाव की तैयारी में लगी है उसमें किसी भी प्रकार की गफलत के लिए कोई जगह नहीं है। जीत की सारी संभावनाओं के बावजूद प्रधानमंत्री समेत भाजपा का समूचा नेतृत्व जीत के लिए हर जरूरी कोशिश में लगा हुआ है।

दूसरी ओर चुनाव को लेकर विपक्ष की कोशिशें अभी तो आधी-अधूरी ही दिख रही हैं, इंडिया गठबंधन के शुरुआती दौर में यह अवश्य लगा था कि विपक्ष की कोशिशों में कुछ दम है, पर बात बनी नहीं, कोशिश कमजोर पड़ने लगी। सीटों का बंटवारा आसान नहीं था, यह तो सब जानते थे, पर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों के स्वार्थ भाजपा से लड़ने के लिए जरूरी मजबूत इरादों की तुलना में इतने कमजोर बन जाएंगे, यह नहीं लग रहा था। पर ऐसा हुआ। 

राजनीतिक दलों द्वारा अपने-अपने राजनीतिक हितों की रक्षा करना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, पर देश की वर्तमान राजनीतिक स्थितियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि विपक्ष चुनौती को स्वीकार करने में विफल सिद्ध हो रहा है, आगामी दो महीनों में देश की राजनीति क्या करवट लेती है यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है, लेकिन फिलहाल जो स्थिति बनी है वह भाजपा के लिए चुनावी लड़ाई आसान होती दिखाई देने वाली है।

लेकिन इस संदर्भ में इस बात पर गौर किया जाना जरूरी है कि जनतंत्र की सफलता और सार्थकता एक मजबूत विपक्ष पर ही निर्भर करती है। दुर्भाग्य से, आज विपक्ष कमजोर होता दिख रहा है। जनतंत्र की सफलता के लिए सत्तारूढ़ पक्ष और विपक्ष में एक संतुलन होना जरूरी है। संसद में भारी-भरकम बहुमत वाली सरकार के निरंकुश बनने के खतरे बढ़ जाते हैं और विपक्ष का बहुत कमजोर होना भी जनतंत्र की सफलता के लिए खतरा ही होता है। 

आजादी प्राप्त करने के बाद के दो-एक शुरुआती चुनावों में हमारी संसद में विपक्ष काफी कमजोर था, तब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पार्टी कांग्रेस के सांसदों को आगाह किया था कि विपक्ष की भूमिका भी उन्हें ही निभानी होगी। विपक्ष का काम सरकार के कामकाज पर नजर रखने का होता है। सरकार की निरंतर चौकसी ही जनतंत्र की सफलता की गारंटी होती है।

यह चौकीदारी प्रभावशाली ढंग से हो सके, इसके लिए ही संसद और विधानसभाओं में सत्तारूढ़ पक्ष और विपक्ष में एक संतुलन की अपेक्षा की जाती है। सरकार और विपक्ष दोनों की मजबूती ही जनतंत्र को मजबूत बनाती है। दुर्भाग्य से आज जो स्थिति है वह इस संदर्भ में भरोसा दिलाने वाली नहीं है।

Web Title: Vishwanath Sachdev's blog: Strong opposition is also necessary for democracy

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